संचेतन: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:59, 17 February 2024
समयसार / आत्मख्याति/ कलश 224 पं.जयचंद
- किसी के प्रति एकाग्र होकर उसका ही अनुभव रूप स्वाद लिया करना उसका संचेतन कहलाता है।