अजीव विचय: Difference between revisions
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<p class="HindiText">-धर्मध्यान के बारे में विस्तार से जानने के लिये देखें [[ धर्मध्यान#1 | धर्मध्यान - 1]]।</p> | |||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
हरिवंशपुराण - 56.44 द्रव्याणामप्यजीवानां धर्माधर्मादिसंज्ञिनाम् । स्वभावचिंतनं धर्म्यमजीवविचयं मतम् ।44। =धर्म-अधर्म आदि अजीव द्रव्यों के स्वभाव का चिंतवन करना, सो अजीव विचय नाम का धर्म्यध्यान है।44।
-धर्मध्यान के बारे में विस्तार से जानने के लिये देखें धर्मध्यान - 1।