तप-शुद्धि: Difference between revisions
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<p> एक व्रत । इसमें अनशन आदि बाह्य तपों के क्रमश: दो, एक, एक, पांच, एक और एक इस प्रकार ग्यारह तथा प्रायश्चित्त आदि | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> एक व्रत । इसमें अनशन आदि बाह्य तपों के क्रमश: दो, एक, एक, पांच, एक और एक इस प्रकार ग्यारह तथा प्रायश्चित्त आदि अंतरंग तपों के क्रमश उन्नीस, तीस, दस, पांच, दो और एक इस प्रकार सड़सठ-कुल अठहत्तर उपवास किये जाते हैं । इनमें एक उपवास के बाद एक पारणा की जाती है । इसमें कुल एक सौ छप्पन दिन लगते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#99|हरिवंशपुराण - 34.99]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:58, 16 February 2024
एक व्रत । इसमें अनशन आदि बाह्य तपों के क्रमश: दो, एक, एक, पांच, एक और एक इस प्रकार ग्यारह तथा प्रायश्चित्त आदि अंतरंग तपों के क्रमश उन्नीस, तीस, दस, पांच, दो और एक इस प्रकार सड़सठ-कुल अठहत्तर उपवास किये जाते हैं । इनमें एक उपवास के बाद एक पारणा की जाती है । इसमें कुल एक सौ छप्पन दिन लगते हैं । हरिवंशपुराण - 34.99