योगसम्मह: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> दीक्षान्वय की एक क्रिया । इससे निष्परिग्रही योगी तपोयोग को धारण कर शुक्लध्यानाग्नि से कर्म जलाते हुए केवलज्ञान प्रकट करता है । महापुराण 38.62, 295-300</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दीक्षान्वय की एक क्रिया । इससे निष्परिग्रही योगी तपोयोग को धारण कर शुक्लध्यानाग्नि से कर्म जलाते हुए केवलज्ञान प्रकट करता है । <span class="GRef"> (महापुराण 38.62, 295-300) </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ योगसंक्रांति | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ योगसार | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: य]] | [[Category: य]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
दीक्षान्वय की एक क्रिया । इससे निष्परिग्रही योगी तपोयोग को धारण कर शुक्लध्यानाग्नि से कर्म जलाते हुए केवलज्ञान प्रकट करता है । (महापुराण 38.62, 295-300)