सर्वरत्नमय: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
मेरु की चूलिका से लेकर नीचे तक की छ: पृथिवीकाय रूप परिधियों में चौथी परिधि । इसका विस्तार सोलह हजार पांच सो योजन है । हरिवंशपुराण - 5.304-305