संवृतिसत्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सत्य वचन के दस भेदों में एक भेद । समुदाय को एक देश की मुख्यतया से एक रूप कहना । जैसे भेरी, तबला, बांसुरी आदि अनेक वाद्यों का शब्द जहाँ एक समूह में हो रहा है वहाँ भेरी आदि की मुख्यतया से भेरी आदि का शब्द कहना संवृतिसत्य है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#102|हरिवंशपुराण - 10.102]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ संवृति सत्य | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ संवेग | अगला पृष्ठ ]] | [[ संवेग | अगला पृष्ठ ]] | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सत्य वचन के दस भेदों में एक भेद । समुदाय को एक देश की मुख्यतया से एक रूप कहना । जैसे भेरी, तबला, बांसुरी आदि अनेक वाद्यों का शब्द जहाँ एक समूह में हो रहा है वहाँ भेरी आदि की मुख्यतया से भेरी आदि का शब्द कहना संवृतिसत्य है । हरिवंशपुराण - 10.102