स्थापना-निक्षेप: Difference between revisions
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<p> दूसरा निक्षेप । किसी अन्य वस्तु से बनायी गयी आकृति या मूर्ति में किसी वस्तु का उपचार या ज्ञान करना । जैसे घोड़े जैसी आटे की आकृति को घोड़ा समझना । हरिवंशपुराण 17. 135</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दूसरा निक्षेप । किसी अन्य वस्तु से बनायी गयी आकृति या मूर्ति में किसी वस्तु का उपचार या ज्ञान करना । जैसे घोड़े जैसी आटे की आकृति को घोड़ा समझना । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_17#135|हरिवंशपुराण - 17.135]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
दूसरा निक्षेप । किसी अन्य वस्तु से बनायी गयी आकृति या मूर्ति में किसी वस्तु का उपचार या ज्ञान करना । जैसे घोड़े जैसी आटे की आकृति को घोड़ा समझना । हरिवंशपुराण - 17.135