असातावेदनीय: Difference between revisions
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<p>देखें [[ वेदनीय ]]।</p> | <span class="GRef"> धवला 12/4, 2, 14, 7/481/4 </span><span class="PrakritText"> सादावेदणीयमसादावेदणीयमिदि दो चेव सहावा, सुहदुक्खवेयणाहिंतो पुधभूदाए अण्णिस्से वेयणाए अणुवलंभादो । सुहभेदेण दुहभेदेण च अणंतवियप्पेण वेयणीयकम्मस्स अणंताओ सत्तीओ किण्ण पढिदाओ । सच्चमेदं जदि पज्जवट्ठियणओ अवलंबिदो किंतु एत्थ दव्वट्ठियणओ अवलंबिदो त्ति वेयणीयस्स ण तत्तियमेत्तसत्तीओ, दुवे चेव । </span>= <span class="HindiText">सातावेदनीय और '''असातावेदनीय''' इस प्रकार वेदनीय के दो ही स्वभाव हैं, क्योंकि सुख व दुखरूप वेदनाओं से भिन्न अन्य कोई वेदना पायी नहीं जाती । <strong>प्रश्न–</strong>अनंत विकल्प रूप सुख के भेद से और दुख के भेद से वेदनीय कर्म की अनंत शक्तियाँ क्यों नहीं कही गयी हैं? <strong>उत्तर–</strong>यदि पर्यायार्थिक नय का अवलंबन किया गया होता तो यह कहना सत्य था, परंतु चूँकि यहाँ द्रव्यार्थिक नय का अवलंबन किया गया है, अतएव वेदनीय की उतनी मात्र शक्तियाँ संभव नहीं है, किंतु दो ही शक्तियाँ संभव हैं । <br /> | ||
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Latest revision as of 12:16, 30 December 2022
धवला 12/4, 2, 14, 7/481/4 सादावेदणीयमसादावेदणीयमिदि दो चेव सहावा, सुहदुक्खवेयणाहिंतो पुधभूदाए अण्णिस्से वेयणाए अणुवलंभादो । सुहभेदेण दुहभेदेण च अणंतवियप्पेण वेयणीयकम्मस्स अणंताओ सत्तीओ किण्ण पढिदाओ । सच्चमेदं जदि पज्जवट्ठियणओ अवलंबिदो किंतु एत्थ दव्वट्ठियणओ अवलंबिदो त्ति वेयणीयस्स ण तत्तियमेत्तसत्तीओ, दुवे चेव । = सातावेदनीय और असातावेदनीय इस प्रकार वेदनीय के दो ही स्वभाव हैं, क्योंकि सुख व दुखरूप वेदनाओं से भिन्न अन्य कोई वेदना पायी नहीं जाती । प्रश्न–अनंत विकल्प रूप सुख के भेद से और दुख के भेद से वेदनीय कर्म की अनंत शक्तियाँ क्यों नहीं कही गयी हैं? उत्तर–यदि पर्यायार्थिक नय का अवलंबन किया गया होता तो यह कहना सत्य था, परंतु चूँकि यहाँ द्रव्यार्थिक नय का अवलंबन किया गया है, अतएव वेदनीय की उतनी मात्र शक्तियाँ संभव नहीं है, किंतु दो ही शक्तियाँ संभव हैं ।
देखें वेदनीय ।