आसन्न मरण: Difference between revisions
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<span class="GRef">(भगवती आराधना / विजयोदया टीका/25/88/12)</span> | |||
<p class="SanskritText">निर्वाणमार्गप्रस्थितात्संयतसार्थाद्योहीन: प्रच्युत: सोऽभिधीयते ओसण्ण इति। तस्य मरणमोसण्णमरणमिति। ओसण्णग्रहणेन पार्श्वस्था:, स्वच्छंदा:, कुशीला:, संसक्ताश्च गृह्यंते।</p> | |||
<p class="HindiText">मोक्षमार्ग में स्थित मुनियों का संघ जिसने छोड़ दिया है ऐसे पार्श्वस्थ, स्वच्छंद, कुशील व संसक्त साधु अवसन्न कहलाते हैं। उनका मरण '''अवसन्नमरण''' है। </p> | |||
<p class="HindiText">-अधिक जानकारी के लिए देखें [[ मरण#1.5 | मरण - 1.5]]।</p> | |||
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Latest revision as of 11:53, 14 July 2023
(भगवती आराधना / विजयोदया टीका/25/88/12)
निर्वाणमार्गप्रस्थितात्संयतसार्थाद्योहीन: प्रच्युत: सोऽभिधीयते ओसण्ण इति। तस्य मरणमोसण्णमरणमिति। ओसण्णग्रहणेन पार्श्वस्था:, स्वच्छंदा:, कुशीला:, संसक्ताश्च गृह्यंते।
मोक्षमार्ग में स्थित मुनियों का संघ जिसने छोड़ दिया है ऐसे पार्श्वस्थ, स्वच्छंद, कुशील व संसक्त साधु अवसन्न कहलाते हैं। उनका मरण अवसन्नमरण है।
-अधिक जानकारी के लिए देखें मरण - 1.5।