लक्ष्मणा: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) सिंहलद्वीप के राजा श्लक्ष्णरोम और रानी कुरुमती की पुत्री । कृष्ण और बलदेव सिंहलद्वीप जाकर और वहाँ के सेनापति द्रुमसेन को मारकर इसे हर लाये थे । द्वारिका आकर कृष्ण ने इसे विधिपूर्वक विवाह था तथा इसे अपनी पाँचवीं पटरानी बनाया था । महासेन इसका भाई था । महापुराण में इसे सुप्रकारनगर के राजा शंबर और रानी श्रीमती की पुत्री कहा है तथा | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) सिंहलद्वीप के राजा श्लक्ष्णरोम और रानी कुरुमती की पुत्री । कृष्ण और बलदेव सिंहलद्वीप जाकर और वहाँ के सेनापति द्रुमसेन को मारकर इसे हर लाये थे । द्वारिका आकर कृष्ण ने इसे विधिपूर्वक विवाह था तथा इसे अपनी पाँचवीं पटरानी बनाया था । महासेन इसका भाई था । <span class="GRef"> महापुराण </span>में इसे सुप्रकारनगर के राजा शंबर और रानी श्रीमती की पुत्री कहा है तथा पद्म और ध्रुवसेन इसके बड़े भाई बताये हैं । पूर्वभवों मे यह अरिष्टपुर नगर के राजा बासव की रानी वसुमती थी । कुचेष्टापूर्वक मरकर यह भीलनी हुई । इस पर्याय में इसका व्रताचरणपूर्वक मरण होने से यह इंद्र की नर्तकी हुई । पश्चात् चंद्रपुर नगर के राजा महेंद्र की पुत्री कनकमाला हुई । इस पर्याय में इसने मुक्तावली तप किया । अंत में मरकर तप के प्रभाव से तीसरे स्वर्ग की इंद्राणी हुई और इसके पश्चात् स्वर्ग से चयकर यह राजा शंबर की पुत्री हुई । <span class="GRef"> महापुराण </span>71. 117, 126-127, 400-410, <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_44#20|हरिवंशपुराण - 44.20-25]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#85|हरिवंशपुराण - 60.85] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) सिंहलद्वीप के राजा श्लक्ष्णरोम और रानी कुरुमती की पुत्री । कृष्ण और बलदेव सिंहलद्वीप जाकर और वहाँ के सेनापति द्रुमसेन को मारकर इसे हर लाये थे । द्वारिका आकर कृष्ण ने इसे विधिपूर्वक विवाह था तथा इसे अपनी पाँचवीं पटरानी बनाया था । महासेन इसका भाई था । महापुराण में इसे सुप्रकारनगर के राजा शंबर और रानी श्रीमती की पुत्री कहा है तथा पद्म और ध्रुवसेन इसके बड़े भाई बताये हैं । पूर्वभवों मे यह अरिष्टपुर नगर के राजा बासव की रानी वसुमती थी । कुचेष्टापूर्वक मरकर यह भीलनी हुई । इस पर्याय में इसका व्रताचरणपूर्वक मरण होने से यह इंद्र की नर्तकी हुई । पश्चात् चंद्रपुर नगर के राजा महेंद्र की पुत्री कनकमाला हुई । इस पर्याय में इसने मुक्तावली तप किया । अंत में मरकर तप के प्रभाव से तीसरे स्वर्ग की इंद्राणी हुई और इसके पश्चात् स्वर्ग से चयकर यह राजा शंबर की पुत्री हुई । महापुराण 71. 117, 126-127, 400-410, हरिवंशपुराण - 44.20-25,[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#85|हरिवंशपुराण - 60.85]
(2) संध्याकार नगर के राजा सिंहघोष की रानी और हिडिंबा की जननी । पांडवपुराण 26.29
(3) भरतक्षेत्र में चंद्रपुर के राजा महासेन की रानी । यह तीर्थकर चंद्रप्रभा की जननी थी । महापुराण 54.163-164, 170-173, पद्मपुराण - 20.44
(4) मगध देश में राजगृहनगर के राजा विश्वभूति के छोटे भाई विशाखभूति की रानी । यह विशाखनंद की जननी थी । महापुराण 57. 73, 74.88, वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 6-9