अणुव्रती: Difference between revisions
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
कल रूप से पाँच पापों से विरत, शील-संपन्न और जिनशासन के प्रति श्रद्धा से युक्त मानव । ऐसा जीव मरकर देव होता है । हरिवंशपुराण - 18.46 पद्मपुराण 26.99 देखें - अणुव्रत