ऐशान: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) ऊर्ध्वलोक में स्थित सुख सामग्री | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) ऊर्ध्वलोक में स्थित सुख सामग्री संपन्न द्वितीय कल्प (स्वर्ग)। यहाँ जीव उपपाद शय्या पर जन्मते हैं, और वैक्रियिक शरीरी होते हैं । सौधर्म और इस स्वर्ग के इकतीस पटल होते हैं । पटलों के नामों के लिए देखो [[ सौधर्म ]] <span class="GRef"> महापुराण 5.253-254, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#166|पद्मपुराण - 105.166-167]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#14|हरिवंशपुराण - 4.14]],6.36 </span></p> | ||
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Latest revision as of 16:13, 2 February 2024
(1) ऊर्ध्वलोक में स्थित सुख सामग्री संपन्न द्वितीय कल्प (स्वर्ग)। यहाँ जीव उपपाद शय्या पर जन्मते हैं, और वैक्रियिक शरीरी होते हैं । सौधर्म और इस स्वर्ग के इकतीस पटल होते हैं । पटलों के नामों के लिए देखो सौधर्म महापुराण 5.253-254, पद्मपुराण - 105.166-167, हरिवंशपुराण - 4.14,6.36
(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित साठ नगरों में एक नगर । हरिवंशपुराण - 22.88
(3) चंडवेग द्वारा वसुदेव को प्रदत्त एक विद्यास्त्र । हरिवंशपुराण - 25.48