गर्भवास: Difference between revisions
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<p>शिशु का जननी के उदर में वास करना । यहाँ अनेक कष्ट होने पर भी यह मोहावृत जीव इस वास से भयभीत नहीं होता । <span class="GRef"> महापुराण 42. 90-91, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 39. 115-116 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText">शिशु का जननी के उदर में वास करना । यहाँ अनेक कष्ट होने पर भी यह मोहावृत जीव इस वास से भयभीत नहीं होता । <span class="GRef"> महापुराण 42. 90-91, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_39#115|पद्मपुराण - 39.115-116]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
शिशु का जननी के उदर में वास करना । यहाँ अनेक कष्ट होने पर भी यह मोहावृत जीव इस वास से भयभीत नहीं होता । महापुराण 42. 90-91, पद्मपुराण - 39.115-116