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<p id="1">(1) सर्वहिकारितणी एक औषध-विद्या । यह | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) सर्वहिकारितणी एक औषध-विद्या । यह मंत्रों से परिष्कृत होती है । घरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#68|हरिवंशपुराण - 22.68-73]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) पश्चिम पुष्करार्ध के पश्चिम विदेह क्षेत्र मे विजयार्ध की उत्तरश्रेणी में गण्यपुर नगर के राजा सूर्याभ की रानी । यह | <p id="2" class="HindiText">(2) पश्चिम पुष्करार्ध के पश्चिम विदेह क्षेत्र मे विजयार्ध की उत्तरश्रेणी में गण्यपुर नगर के राजा सूर्याभ की रानी । यह चिंतागति मनोगति, और चपलगति विद्याधरों की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 70. 27-30, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#15|हरिवंशपुराण - 34.15-17]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) अयोध्या नगरी के समुद्रदत्त सेठ की स्त्री, पूर्णभद्र और मणिभद्र की जननी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 109.129-130, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 43. 148-149 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) अयोध्या नगरी के समुद्रदत्त सेठ की स्त्री, पूर्णभद्र और मणिभद्र की जननी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_109#129|पद्मपुराण - 109.129-130]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_43#148|हरिवंशपुराण - 43.148-149]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) मेरुदत्त श्रेष्ठी की भार्या । <span class="GRef"> महापुराण 46.112 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) मेरुदत्त श्रेष्ठी की भार्या । <span class="GRef"> महापुराण 46.112 </span></p> | ||
<p id="5">(5) महापुर नगर के मेरु सेठ की स्त्री, पद्म-रुचि की जननी । इसके पुत्र ने एक मरते हुए बैल को णमोकार | <p id="5" class="HindiText">(5) महापुर नगर के मेरु सेठ की स्त्री, पद्म-रुचि की जननी । इसके पुत्र ने एक मरते हुए बैल को णमोकार मंत्र सुनाया था जिसके फलस्वरूप वह मरकर महापुर में ही राजा छत्रच्छाय का वृषभध्वज नाम का पुत्र हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_106#38|पद्मपुराण - 106.38-43]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_106#48|पद्मपुराण - 106.48]] </span></p> | ||
<p id="6">(6) पद्मिनी नगरी के राजा विजयपर्वत की रानी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 39.84 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) पद्मिनी नगरी के राजा विजयपर्वत की रानी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_39#84|पद्मपुराण - 39.84]] </span></p> | ||
<p id="7">(7) चक्रवर्ती भरतेश की रानी, पुरूरवा भील के जीव मरीचि की जननी । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.64-69 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) चक्रवर्ती भरतेश की रानी, पुरूरवा भील के जीव मरीचि की जननी । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.64-69 </span></p> | ||
<p id="8">(8) हरिवंशी राजा सूरसेन के पुत्र राजा वीर की रानी, | <p id="8" class="HindiText">(8) हरिवंशी राजा सूरसेन के पुत्र राजा वीर की रानी, अंधकवृष्टि और नरवृष्टि की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 70.92-94 </span></p> | ||
<p id="9">(9) रक्तद्वीप के मनुजोदय पर्वत पर स्थित रमणीक नगर निवासी विद्याधर गरुडवेग की पत्नी, | <p id="9" class="HindiText">(9) रक्तद्वीप के मनुजोदय पर्वत पर स्थित रमणीक नगर निवासी विद्याधर गरुडवेग की पत्नी, गंधर्वदत्ता की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 75. 302-304 </span></p> | ||
<p id="10">(10) विजयार्ध की अलका नगरी के राजा हरिबल की प्रथम रानी, भीमक की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 76.262-264 </span></p> | <p id="10">(10) विजयार्ध की अलका नगरी के राजा हरिबल की प्रथम रानी, भीमक की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 76.262-264 </span></p> | ||
<p id="11">(11) | <p id="11">(11) पुंडरीकिणी नगरी के राजा सुरदेव की रानी । यह मरकर अच्युत स्वर्ग के प्रतींद्र की देवी हुई । <span class="GRef"> महापुराण 46. 352 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
एक औषध विद्या‒देखें विद्या ।
पुराणकोष से
(1) सर्वहिकारितणी एक औषध-विद्या । यह मंत्रों से परिष्कृत होती है । घरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । हरिवंशपुराण - 22.68-73
(2) पश्चिम पुष्करार्ध के पश्चिम विदेह क्षेत्र मे विजयार्ध की उत्तरश्रेणी में गण्यपुर नगर के राजा सूर्याभ की रानी । यह चिंतागति मनोगति, और चपलगति विद्याधरों की जननी थी । महापुराण 70. 27-30, हरिवंशपुराण - 34.15-17
(3) अयोध्या नगरी के समुद्रदत्त सेठ की स्त्री, पूर्णभद्र और मणिभद्र की जननी । पद्मपुराण - 109.129-130, हरिवंशपुराण - 43.148-149
(4) मेरुदत्त श्रेष्ठी की भार्या । महापुराण 46.112
(5) महापुर नगर के मेरु सेठ की स्त्री, पद्म-रुचि की जननी । इसके पुत्र ने एक मरते हुए बैल को णमोकार मंत्र सुनाया था जिसके फलस्वरूप वह मरकर महापुर में ही राजा छत्रच्छाय का वृषभध्वज नाम का पुत्र हुआ । पद्मपुराण - 106.38-43,पद्मपुराण - 106.48
(6) पद्मिनी नगरी के राजा विजयपर्वत की रानी । पद्मपुराण - 39.84
(7) चक्रवर्ती भरतेश की रानी, पुरूरवा भील के जीव मरीचि की जननी । वीरवर्द्धमान चरित्र 2.64-69
(8) हरिवंशी राजा सूरसेन के पुत्र राजा वीर की रानी, अंधकवृष्टि और नरवृष्टि की जननी । महापुराण 70.92-94
(9) रक्तद्वीप के मनुजोदय पर्वत पर स्थित रमणीक नगर निवासी विद्याधर गरुडवेग की पत्नी, गंधर्वदत्ता की जननी । महापुराण 75. 302-304
(10) विजयार्ध की अलका नगरी के राजा हरिबल की प्रथम रानी, भीमक की जननी । महापुराण 76.262-264
(11) पुंडरीकिणी नगरी के राजा सुरदेव की रानी । यह मरकर अच्युत स्वर्ग के प्रतींद्र की देवी हुई । महापुराण 46. 352