थाँकी कथनी म्हानै: Difference between revisions
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Latest revision as of 00:55, 17 February 2008
(राग ख्याल)
थांकी कथनी म्हानै प्यारी लगै जी, प्यारी लगै म्हारी भूल भगै जी ।।
तुम हित हांक बिना हो श्रीगुरु, सूतो जियरो कांई जगै जी ।।
मोहनिधूलि मेलि म्हारे मांथै, तीन रतन म्हारा मोह ठगै जी ।
तुम पद ढोकत सीस झरी रज, अब ठगको कर नाहिं वगै जी ।।१ ।।
टूट्यो चिर मिथ्यात महाज्वर, भागां मिल गया वैद्य मगै जी ।
अन्तर अरुचि मिटी मम आतम, अब अपने निजदर्व पगै जी ।।२ ।।
भव वन भ्रमत बढ़ी तिसना तिस, क्योंहि बुझै नहिं हियरा दगै जी ।
`भूधर' गुरु उपदेशामृतरस, शान्तमई आनंद उमगै जी ।।३ ।।