सत्त्व विषयक प्ररूपणाएँ: Difference between revisions
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< | <ol start ="3"> | ||
<li class="HindiText" id="3"><strong>सत्त्व विषयक प्ररूपणाएँ</strong> | |||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
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</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td> | <td>अनंतानु.</td> | ||
<td> | <td>अनंतानुबंधी चतुष्क</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
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<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>तिर्य.</td> | <td>तिर्य.</td> | ||
<td> | <td>तिर्यंच</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 90: | Line 91: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>औ.वै.आ.चतु.</td> | <td>औ.वै.आ.चतु.</td> | ||
<td>वह वह शरीर, अंगोपांग, | <td>वह वह शरीर, अंगोपांग, बंधन तथा संघात</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 109: | Line 110: | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
< | <ol> | ||
<li class="HindiText" id="3.1"><strong>प्रकृति सत्त्व व्युच्छित्ति की ओघप्ररूपणा</strong></li> | |||
<table class="HindiText"> | <table class="HindiText"> | ||
<tr> | <tr class="HindiText"> | ||
<td><p>सत्त्व योग्य प्रकृतियाँ - नाना जीवों की अपेक्षा=148। एक जीव की अपेक्षा सर्वत्र 6 विकल्प हैं - </p> | <td><p class="HindiText">सत्त्व योग्य प्रकृतियाँ - नाना जीवों की अपेक्षा=148। एक जीव की अपेक्षा सर्वत्र 6 विकल्प हैं - </p> | ||
<p>1. बद्धायुष्क तीर्थंकर रहित =145;</p> | <p>1. बद्धायुष्क तीर्थंकर रहित =145;</p> | ||
<p>2. बद्धायुष्क आहारक द्विक रहित =144;</p> | <p>2. बद्धायुष्क आहारक द्विक रहित =144;</p> | ||
Line 121: | Line 123: | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>नोट - इस प्रकार सत्त्व योग्य प्रकृतियों के आधार पर प्रत्येक गुणस्थान में अपनी ओर से एक जीव की अपेक्षा छह-छह विकल्प बना लेने चाहिए।</td> | <td class="HindiText">नोट - इस प्रकार सत्त्व योग्य प्रकृतियों के आधार पर प्रत्येक गुणस्थान में अपनी ओर से एक जीव की अपेक्षा छह-छह विकल्प बना लेने चाहिए।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
</table> | </table> | ||
<p><span class="HindiText">प्रमाण - ( | <p><span class="HindiText">प्रमाण - <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/3/49-63 )</span>; <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/489-500 )</span>; (पं.सं./सं./3/61-77); (पं.सं./सं./5/462-477); <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/336-343/488-496 )</span>।</span></p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 222: | Line 224: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>2.</strong></td> | <td><strong>2.</strong></td> | ||
<td colspan="15"><strong>क्षायिक सम्यक्त्व - ( गोम्मटसार | <td colspan="15"><strong>क्षायिक सम्यक्त्व - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/512/4 )</span></strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
<td colspan="2">नरकायु, तिर्यंचायु, दर्शनमोह की 3, | <td colspan="2">नरकायु, तिर्यंचायु, दर्शनमोह की 3, अनंतानुबंधी 4 =8</td> | ||
<td colspan="2">दर्शनमोह, | <td colspan="2">दर्शनमोह, अनंता-7</td> | ||
<td colspan="2">148</td> | <td colspan="2">148</td> | ||
<td colspan="2">7</td> | <td colspan="2">7</td> | ||
Line 266: | Line 268: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>3.</strong></td> | <td><strong>3.</strong></td> | ||
<td colspan="15"><strong>क्षायिक सम्यक्त्व उपशम श्रेणी - ( गोम्मटसार | <td colspan="15"><strong>क्षायिक सम्यक्त्व उपशम श्रेणी - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/512/4 )</span></strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 280: | Line 282: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>4.</strong></td> | <td><strong>4.</strong></td> | ||
<td colspan="15"><strong>क्षायिक सम्यक्त्व क्षपक श्रेणी - ( गोम्मटसार | <td colspan="15"><strong>क्षायिक सम्यक्त्व क्षपक श्रेणी - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/336-343/488-496 </span></strong>) | ||
<p><strong>नोट</strong> - अबद्धायुष्क ही क्षपक श्रेणी पर चढ़े।</p></td> | <p><strong>नोट</strong> - अबद्धायुष्क ही क्षपक श्रेणी पर चढ़े।</p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 295: | Line 297: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>9/i</td> | <td>9/i</td> | ||
<td colspan="2">नरकद्विक, तिर्यंच द्वि; 1-4 | <td colspan="2">नरकद्विक, तिर्यंच द्वि; 1-4 इंद्रिय, स्त्यानगृद्धित्रिक, आतप, उद्योत, सूक्ष्म, साधारण, स्थानवर=16</td> | ||
<td colspan="2">x</td> | <td colspan="2">x</td> | ||
<td colspan="2">138</td> | <td colspan="2">138</td> | ||
Line 532: | Line 534: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>12/ii</td> | <td>12/ii</td> | ||
<td colspan="2">( | <td colspan="2">(अंत समय में) 5 ज्ञानावरणी, 4 दर्शनावरणी, 5 अंतराय=14</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td colspan="2">99</td> | <td colspan="2">99</td> | ||
Line 552: | Line 554: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>14/i</td> | <td>14/i</td> | ||
<td colspan="2">(द्विचरम समय) 5 शरीर, 5 | <td colspan="2">(द्विचरम समय) 5 शरीर, 5 बंधन, 5 संघात, 6 संस्थान, 6 संहनन, 3 अंगोपांग, 5 वर्ण, 2 गंध, 5 रस, 8 स्पर्श=50+स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, स्वरद्वय, देवद्विक, विहायोगतिद्वय, दुर्भग, निर्माण, अयश, अनादेय, प्रत्येक, अपर्याप्त, अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छ्वास, अनुदयरूप अन्यतम वेदनीय, नीचगोत्र=72</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td colspan="2">85</td> | <td colspan="2">85</td> | ||
Line 562: | Line 564: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>14/ii</td> | <td>14/ii</td> | ||
<td colspan="2">(चरम समय में) शेष उदयवाली वेदनीय, मनुष्यत्रिक, | <td colspan="2">(चरम समय में) शेष उदयवाली वेदनीय, मनुष्यत्रिक, पंचेंद्रिय सुभग, त्रस, बादर, पर्याप्त, आदेय, यश, तीर्थंकर, उच्चगोत्र =13</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td colspan="2">13</td> | <td colspan="2">13</td> | ||
Line 571: | Line 573: | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.2"><strong>सातिशय मिथ्यादृष्टि में सर्व प्रकृतियों का सत्त्व चतुष्क - <span class="GRef">( धवला 6/207-213 )</span></strong></li> | ||
<p class="HindiText"><strong>द्रष्टव्य</strong> - ( धवला 6/268 ) प्रथमोपशम सहित संयमासंयम के अभिमुख सातिशय मिथ्यादृष्टि का स्थिति सत्त्व इस सारणी में कथित | <p class="HindiText"><strong>द्रष्टव्य</strong> - <span class="GRef">( धवला 6/268 )</span> प्रथमोपशम सहित संयमासंयम के अभिमुख सातिशय मिथ्यादृष्टि का स्थिति सत्त्व इस सारणी में कथित अंत:कोटाकोटि से संख्यात गुणा हीन अंत:कोटाकोटि जानना।</p> | ||
<p class="HindiText"><strong>संकेत</strong> - | <p class="HindiText"><strong>संकेत</strong> - अंत: को.को.=अंत: कोड़ा कोड़ी सागर; ब.=बध्यमान आयुष्क; भु.=भुज्यमान आयुष्क</p> | ||
<p class="HindiText">द्वि. स्थान= | <p class="HindiText">द्वि. स्थान=निंब व कांजीर रूप अनुभाग; चतु:स्थान=गुड़ खंड शर्करा अमृत रूप अनुभाग।</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 595: | Line 597: | ||
<td>पाँचों</td> | <td>पाँचों</td> | ||
<td colspan="2">हैं</td> | <td colspan="2">हैं</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 607: | Line 609: | ||
<td colspan="2">निद्रा-निद्रा</td> | <td colspan="2">निद्रा-निद्रा</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 615: | Line 617: | ||
<td colspan="2">प्रचला-प्रचला</td> | <td colspan="2">प्रचला-प्रचला</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 623: | Line 625: | ||
<td colspan="2">स्त्यानगृद्धि</td> | <td colspan="2">स्त्यानगृद्धि</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 631: | Line 633: | ||
<td colspan="2">शेष सर्व</td> | <td colspan="2">शेष सर्व</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 643: | Line 645: | ||
<td>साता</td> | <td>साता</td> | ||
<td colspan="2">है</td> | <td colspan="2">है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु:स्थान</td> | <td>चतु:स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 651: | Line 653: | ||
<td>असाता</td> | <td>असाता</td> | ||
<td colspan="2">है</td> | <td colspan="2">है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 672: | Line 674: | ||
<td colspan="2">सम्यग् प्रकृति</td> | <td colspan="2">सम्यग् प्रकृति</td> | ||
<td>है नहीं</td> | <td>है नहीं</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 680: | Line 682: | ||
<td colspan="2">मिथ्यात्व</td> | <td colspan="2">मिथ्यात्व</td> | ||
<td>है है</td> | <td>है है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 688: | Line 690: | ||
<td colspan="2">सम्यग्मिथ्यात्व</td> | <td colspan="2">सम्यग्मिथ्यात्व</td> | ||
<td>है नहीं</td> | <td>है नहीं</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 696: | Line 698: | ||
<td colspan="2">सम्यग्मिथ्यात्व</td> | <td colspan="2">सम्यग्मिथ्यात्व</td> | ||
<td>26 प्र.स्था.में भी है</td> | <td>26 प्र.स्था.में भी है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 706: | Line 708: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>i</td> | <td>i</td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">अनंता.चु.</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 716: | Line 718: | ||
<td colspan="2">अप्रत्याख्यान</td> | <td colspan="2">अप्रत्याख्यान</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 724: | Line 726: | ||
<td colspan="2">प्रत्याख्यान</td> | <td colspan="2">प्रत्याख्यान</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 732: | Line 734: | ||
<td colspan="2">संज्वलन चतु.</td> | <td colspan="2">संज्वलन चतु.</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 740: | Line 742: | ||
<td colspan="2">सर्व नोकषाय</td> | <td colspan="2">सर्व नोकषाय</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 781: | Line 783: | ||
<td colspan="2">नरक, तिर्यंचगति</td> | <td colspan="2">नरक, तिर्यंचगति</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 789: | Line 791: | ||
<td colspan="2">मनुष्य, देवगति</td> | <td colspan="2">मनुष्य, देवगति</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 795: | Line 797: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td colspan="2">1-4 | <td colspan="2">1-4 इंद्रि.जाति</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 803: | Line 805: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">पंचेंद्रिय जाति</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 813: | Line 815: | ||
<td colspan="2">औदारिक शरीर</td> | <td colspan="2">औदारिक शरीर</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 821: | Line 823: | ||
<td colspan="2">वैक्रियक शरीर</td> | <td colspan="2">वैक्रियक शरीर</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 837: | Line 839: | ||
<td colspan="2">तैजस कार्माण</td> | <td colspan="2">तैजस कार्माण</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 853: | Line 855: | ||
<td colspan="2">निर्माण</td> | <td colspan="2">निर्माण</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 859: | Line 861: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>6</td> | <td>6</td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">बंधन</td> | ||
<td> -</td> | <td> -</td> | ||
<td>स्व स्व</td> | <td>स्व स्व</td> | ||
Line 877: | Line 879: | ||
<td colspan="2">सम चतुरस्रसंस्थान</td> | <td colspan="2">सम चतुरस्रसंस्थान</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 885: | Line 887: | ||
<td colspan="2">शेष पाँच</td> | <td colspan="2">शेष पाँच</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 893: | Line 895: | ||
<td colspan="2">वज्र ऋषभ नाराच</td> | <td colspan="2">वज्र ऋषभ नाराच</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 901: | Line 903: | ||
<td colspan="2">शेष पाँच संहनन</td> | <td colspan="2">शेष पाँच संहनन</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 907: | Line 909: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>10-</td> | <td>10-</td> | ||
<td colspan="2">वर्ण, | <td colspan="2">वर्ण, गंध, रस व</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 917: | Line 919: | ||
<td colspan="2">स्पर्श: प्रशस्त</td> | <td colspan="2">स्पर्श: प्रशस्त</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 925: | Line 927: | ||
<td colspan="2">अप्रशस्त</td> | <td colspan="2">अप्रशस्त</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 941: | Line 943: | ||
<td colspan="2">अगुरुलघु</td> | <td colspan="2">अगुरुलघु</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 949: | Line 951: | ||
<td colspan="2">उपघात</td> | <td colspan="2">उपघात</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 957: | Line 959: | ||
<td colspan="2">परघात</td> | <td colspan="2">परघात</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 965: | Line 967: | ||
<td colspan="2">आतप</td> | <td colspan="2">आतप</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 973: | Line 975: | ||
<td colspan="2">उद्योत</td> | <td colspan="2">उद्योत</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 981: | Line 983: | ||
<td colspan="2">उच्छ्वास</td> | <td colspan="2">उच्छ्वास</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 997: | Line 999: | ||
<td colspan="2">प्रशस्त</td> | <td colspan="2">प्रशस्त</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,005: | Line 1,007: | ||
<td colspan="2">अप्रशस्त</td> | <td colspan="2">अप्रशस्त</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,013: | Line 1,015: | ||
<td colspan="2">प्रत्येक</td> | <td colspan="2">प्रत्येक</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,021: | Line 1,023: | ||
<td colspan="2">साधारण</td> | <td colspan="2">साधारण</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,029: | Line 1,031: | ||
<td colspan="2">त्रस</td> | <td colspan="2">त्रस</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,037: | Line 1,039: | ||
<td colspan="2">स्थावर</td> | <td colspan="2">स्थावर</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,045: | Line 1,047: | ||
<td colspan="2">सुभग</td> | <td colspan="2">सुभग</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,053: | Line 1,055: | ||
<td colspan="2">दुर्भग</td> | <td colspan="2">दुर्भग</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,061: | Line 1,063: | ||
<td colspan="2">सुस्वर</td> | <td colspan="2">सुस्वर</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,069: | Line 1,071: | ||
<td colspan="2">दु:स्वर</td> | <td colspan="2">दु:स्वर</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,077: | Line 1,079: | ||
<td colspan="2">शुभ</td> | <td colspan="2">शुभ</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,085: | Line 1,087: | ||
<td colspan="2">अशुभ</td> | <td colspan="2">अशुभ</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,093: | Line 1,095: | ||
<td colspan="2">बादर</td> | <td colspan="2">बादर</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,101: | Line 1,103: | ||
<td colspan="2">सूक्ष्म</td> | <td colspan="2">सूक्ष्म</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,109: | Line 1,111: | ||
<td colspan="2">पर्याप्त</td> | <td colspan="2">पर्याप्त</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,117: | Line 1,119: | ||
<td colspan="2">अपर्याप्त</td> | <td colspan="2">अपर्याप्त</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,125: | Line 1,127: | ||
<td colspan="2">स्थिर</td> | <td colspan="2">स्थिर</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,133: | Line 1,135: | ||
<td colspan="2">अस्थिर</td> | <td colspan="2">अस्थिर</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,141: | Line 1,143: | ||
<td colspan="2">आदेय</td> | <td colspan="2">आदेय</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,149: | Line 1,151: | ||
<td colspan="2">अनादेय</td> | <td colspan="2">अनादेय</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,157: | Line 1,159: | ||
<td colspan="2">यश:कीर्ति</td> | <td colspan="2">यश:कीर्ति</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,165: | Line 1,167: | ||
<td colspan="2">अयश:कीर्ति</td> | <td colspan="2">अयश:कीर्ति</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,185: | Line 1,187: | ||
<td colspan="2">उच्च</td> | <td colspan="2">उच्च</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>चतु.स्थान</td> | <td>चतु.स्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,193: | Line 1,195: | ||
<td colspan="2">नीच</td> | <td colspan="2">नीच</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
Line 1,199: | Line 1,201: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>8</strong></td> | <td><strong>8</strong></td> | ||
<td colspan="6"><strong> | <td colspan="6"><strong>अंतराय - </strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 1,205: | Line 1,207: | ||
<td colspan="2">पाँचों</td> | <td colspan="2">पाँचों</td> | ||
<td>है</td> | <td>है</td> | ||
<td> | <td>अंत को.को.</td> | ||
<td>द्विस्थान</td> | <td>द्विस्थान</td> | ||
<td>अजघन्य</td> | <td>अजघन्य</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.3"><strong>प्रकृति सत्त्व असत्त्व आदेश प्ररूपणा - </strong></li> | ||
<p class="HindiText"><strong>द्रष्टव्य</strong> - इस सारिणी में केवल सत्त्व तथा असत्त्व योग्य प्रकृतियों का उल्लेख किया गया है, सत्त्व-व्युच्छित्ति का नहीं। उसका कथन सर्वत्र ओघवत् जानना। जिस स्थान में जिस प्रकार प्रकृति का असत्त्व कहा गया है, उस स्थान में उस उस प्रकृति को छोड़ कर शेष प्रकृतियों की व्युच्छित्ति ओघवत् जान लेना। | <p class="HindiText"><strong>द्रष्टव्य</strong> - इस सारिणी में केवल सत्त्व तथा असत्त्व योग्य प्रकृतियों का उल्लेख किया गया है, सत्त्व-व्युच्छित्ति का नहीं। उसका कथन सर्वत्र ओघवत् जानना। जिस स्थान में जिस प्रकार प्रकृति का असत्त्व कहा गया है, उस स्थान में उस उस प्रकृति को छोड़ कर शेष प्रकृतियों की व्युच्छित्ति ओघवत् जान लेना। जहाँ कुछ विशेषता है, वहाँ उसका निर्देश कर दिया गया है। सत्त्व असत्त्व का कथन भी यहां तीन अपेक्षाओं से किया गया है - उद्वेलना रहित सामान्य जीवों की अपेक्षा, स्वस्थान उद्वेलना युक्त जीवों की अपेक्षा और उत्पन्न स्थान उद्वेलना युक्त जीवों की अपेक्षा।</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 1,229: | Line 1,231: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>(1)</td> | <td>(1)</td> | ||
<td colspan="2">नरक गति - ( | <td colspan="2">नरक गति - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./346/498)</td> | ||
<td colspan="3"></td> | <td colspan="3"></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 1,287: | Line 1,289: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>(2)</td> | <td>(2)</td> | ||
<td colspan="2">तिर्यंच गति - ( | <td colspan="2">तिर्यंच गति - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./346/499-500)</td> | ||
<td colspan="3"></td> | <td colspan="3"></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 1,337: | Line 1,339: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">पंचेंद्रिय प.</td> | ||
<td colspan="3"></td> | <td colspan="3"></td> | ||
<td> -</td> | <td> -</td> | ||
Line 1,363: | Line 1,365: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>(3)</td> | <td>(3)</td> | ||
<td colspan="2">मनुष्यगति - ( | <td colspan="2">मनुष्यगति - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./346/503)</td> | ||
<td colspan="3"></td> | <td colspan="3"></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 1,441: | Line 1,443: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>(4)</td> | <td>(4)</td> | ||
<td colspan="2">देवगति - ( | <td colspan="2">देवगति - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा/346/503)</td> | ||
<td colspan="3"></td> | <td colspan="3"></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 1,567: | Line 1,569: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>2</strong></td> | <td><strong>2</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong> | <td colspan="13"><strong>इंद्रिय मार्गणा - </strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="3">1-4 | <td colspan="3">1-4 इंद्रिय</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 1,681: | Line 1,683: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td colspan="3"> | <td colspan="3">पंचेंद्रिय</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td> x</td> | <td> x</td> | ||
Line 1,691: | Line 1,693: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>3</strong></td> | <td><strong>3</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>काय मार्गणा - (</strong> | <td colspan="13"><strong>काय मार्गणा - (</strong><span class="GRef"> गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा/349-351/503-506)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 1,708: | Line 1,710: | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td> -</td> | <td> -</td> | ||
<td colspan="5">1-4 | <td colspan="5">1-4 इंद्रियवत्</td> | ||
<td colspan="2"> -</td> | <td colspan="2"> -</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 1,793: | Line 1,795: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td colspan="3"> | <td colspan="3">पंचेंद्रिय -</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
Line 1,803: | Line 1,805: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>4</strong></td> | <td><strong>4</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>योगमार्गणा</strong> - ( | <td colspan="13"><strong>योगमार्गणा</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा/352-353/506-508)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 1,904: | Line 1,906: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>5</strong></td> | <td><strong>5</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>वेद मार्गणा - </strong>( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>वेद मार्गणा - </strong><span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/508/1 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 1,968: | Line 1,970: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>7</strong></td> | <td><strong>7</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>ज्ञान मार्गणा - </strong>( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>ज्ञान मार्गणा - </strong><span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/508/6 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,012: | Line 2,014: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>8</strong></td> | <td><strong>8</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>संयम मार्गणा</strong> - ( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>संयम मार्गणा</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/508/9 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,046: | Line 2,048: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
<td colspan="2">सूक्ष्म | <td colspan="2">सूक्ष्म सांपराय (उप.)</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td colspan="2">नरक तिर्यंचायु =2</td> | <td colspan="2">नरक तिर्यंचायु =2</td> | ||
Line 2,056: | Line 2,058: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="2">सूक्ष्म | <td colspan="2">सूक्ष्म सांपराय (क्षपक)</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td colspan="2">ओघवत् 46 व्युच्छि. =46</td> | <td colspan="2">ओघवत् 46 व्युच्छि. =46</td> | ||
Line 2,078: | Line 2,080: | ||
<td colspan="2">यथाख्यात क्षा. (xउपशम.)</td> | <td colspan="2">यथाख्यात क्षा. (xउपशम.)</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td colspan="2">नरक, तिर्यंच, देवायु,दर्शन मोह की 3, | <td colspan="2">नरक, तिर्यंच, देवायु,दर्शन मोह की 3, अनंतानुबंधी 4 =10</td> | ||
<td> 148</td> | <td> 148</td> | ||
<td>10</td> | <td>10</td> | ||
Line 2,116: | Line 2,118: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>9</strong></td> | <td><strong>9</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>दर्शन मार्गणा</strong> - ( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>दर्शन मार्गणा</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/509/5 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,150: | Line 2,152: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>10</strong></td> | <td><strong>10</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>लेश्या मार्गणा</strong> - ( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>लेश्या मार्गणा</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/509/7 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,187: | Line 2,189: | ||
<td colspan="2">1</td> | <td colspan="2">1</td> | ||
<td colspan="2">तीर्थंकर =1 | <td colspan="2">तीर्थंकर =1 | ||
<p>(तीर्थ.सत्त्व वाला नरक जाने के सम्मुख होय तभी सम्यक्त्व को छोड़े। | <p>(तीर्थ.सत्त्व वाला नरक जाने के सम्मुख होय तभी सम्यक्त्व को छोड़े। परंतु तब लेश्या भी कापोत हो जाये। क्योंकि शुभ लेश्या में सम्यक्त्व की विराधना नहीं होती।) </p></td> | ||
<td>148</td> | <td>148</td> | ||
<td>1</td> | <td>1</td> | ||
Line 2,205: | Line 2,207: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>11</strong></td> | <td><strong>11</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>भव्यत्व मार्गणा</strong> - ( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>भव्यत्व मार्गणा</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354-355/509-510/16 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,221: | Line 2,223: | ||
<td colspan="2">अभव्यत्व</td> | <td colspan="2">अभव्यत्व</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td colspan="2">तीर्थ., सम्य.,मिश्रमोह, आ.द्वि.,आ. | <td colspan="2">तीर्थ., सम्य.,मिश्रमोह, आ.द्वि.,आ.बंधन संघात द्वय=7</td> | ||
<td> 148</td> | <td> 148</td> | ||
<td> 7</td> | <td> 7</td> | ||
Line 2,229: | Line 2,231: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>12</strong></td> | <td><strong>12</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>सम्यक्त्व मार्गणा - </strong>( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>सम्यक्त्व मार्गणा - </strong><span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/512/1 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,235: | Line 2,237: | ||
<td colspan="2">क्षायिक सम्यक्त्व</td> | <td colspan="2">क्षायिक सम्यक्त्व</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td colspan="2">नरक, तिर्यंचायु, दर्शनमोह 3, | <td colspan="2">नरक, तिर्यंचायु, दर्शनमोह 3, अनंतानुबंधी =9</td> | ||
<td>148</td> | <td>148</td> | ||
<td>9</td> | <td>9</td> | ||
Line 2,263: | Line 2,265: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
<td colspan="2">द्वितीयोपशम ( लब्धिसार 220 )</td> | <td colspan="2">द्वितीयोपशम <span class="GRef">( लब्धिसार 220 )</span></td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">अनंतानुबंधी 4,नरक, तिर्यंचायु =6</td> | ||
<td>148</td> | <td>148</td> | ||
<td>6</td> | <td>6</td> | ||
Line 2,303: | Line 2,305: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>13</strong></td> | <td><strong>13</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>संज्ञी मार्गणा - </strong>( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>संज्ञी मार्गणा - </strong><span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/513/7 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,327: | Line 2,329: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>14</strong></td> | <td><strong>14</strong></td> | ||
<td colspan="13"><strong>आहारक मार्गणा - </strong>( गोम्मटसार | <td colspan="13"><strong>आहारक मार्गणा - </strong><span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/512/9 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,370: | Line 2,372: | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.4"><strong>मोह प्रकृति सत्त्व की विभक्ति अविभक्ति</strong></li> | ||
<p class="HindiText">प्रमाण - | <p class="HindiText">प्रमाण - <span class="GRef"> कषायपाहुड़ 2/101/83-87 </span>।</p> | ||
<p class="HindiText">संकेत - 28 प्र.=मोह की सर्व 28 प्रकृतियाँ 7 प्र.=दर्शन मोह 3+ | <p class="HindiText">संकेत - 28 प्र.=मोह की सर्व 28 प्रकृतियाँ 7 प्र.=दर्शन मोह 3+अनंतानुबंधी 4; 6प्र.=मिथ्यात्व रहित उक्त 7; 2 प्र.=सम्य., व मिश्र मोह वि.=विभक्ति; अवि.=अविभक्ति। शेष के लिए देखो [[#3.1 | सारणी सं.1 का प्रारंभ]]।</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,433: | Line 2,435: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>84</td> | <td>84</td> | ||
<td> | <td>पंचेंद्रिय ति.सा.प.</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>7 प्र.</td> | <td>7 प्र.</td> | ||
Line 2,505: | Line 2,507: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>2</strong></td> | <td><strong>2</strong></td> | ||
<td><strong> | <td><strong>इंद्रिय मार्गणा</strong></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 2,514: | Line 2,516: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>84</td> | <td>84</td> | ||
<td>सर्व | <td>सर्व एकेंद्रिय प.अप.</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
Line 2,523: | Line 2,525: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>84</td> | <td>84</td> | ||
<td>सर्व | <td>सर्व विकलेंद्रिय प.अप.</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
Line 2,532: | Line 2,534: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>83</td> | <td>83</td> | ||
<td>सर्व | <td>सर्व पंचेंद्रिय सा.प.</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
Line 2,552: | Line 2,554: | ||
<td><strong>काय मार्गणा</strong></td> | <td><strong>काय मार्गणा</strong></td> | ||
<td> -</td> | <td> -</td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">इंद्रिय मार्गणावत्</td> | ||
<td> -</td> | <td> -</td> | ||
<td> -</td> | <td> -</td> | ||
Line 2,671: | Line 2,673: | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td> | <td>अनंतानु 4 के बिना 24 वि.अवि.अनंतानु.की विभक्ति।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,725: | Line 2,727: | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td> | <td>अनंतानु.4 बिना 24 की वि.अवि.।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,810: | Line 2,812: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>86</td> | <td>86</td> | ||
<td>सूक्ष्म | <td>सूक्ष्म सांपराय</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>संज्व.लोभ | <td>संज्व.लोभ अनंता.4 बिना 23 की वि.अवि.।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,824: | Line 2,826: | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td> | <td>अनंता.4 बिना 24 की वि.अवि.।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,950: | Line 2,952: | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td> | <td>अनंता.4, दर्शनमोह 3 बिना 21 की वि.अवि.।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,959: | Line 2,961: | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td> | <td>अनंता.4, सम्य., मिश्र मोह बिना 22 की वि.अवि.।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,968: | Line 2,970: | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td> | <td>अनंता.4 बिना 24 की वि.अवि.।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 2,977: | Line 2,979: | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td>x</td> | <td>x</td> | ||
<td> | <td>अनंता.4 बिना 24 की वि.अवि.।</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,053: | Line 3,055: | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.5"><strong>मूलोत्तर प्रकृति सत्त्व स्थानों की ओघ प्ररूपणा।</strong></li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,077: | Line 3,079: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>1</td> | <td>1</td> | ||
<td colspan="17">मिथ्यादृष्टि - ( | <td colspan="17">मिथ्यादृष्टि - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/366-371/522-535 )</span>। कुल स्थान 18 (बद्धा.10, अबद्धा.8); कुल भंग=50 (बद्धा.26,अबद्धा.24)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,153: | Line 3,155: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>7</td> | <td>7</td> | ||
<td colspan="2">देवद्विक की उद्वेलना वाला | <td colspan="2">देवद्विक की उद्वेलना वाला चतुरिंद्रिय</td> | ||
<td>उपरोक्त 9 व देवद्विक =2</td> | <td>उपरोक्त 9 व देवद्विक =2</td> | ||
<td>139</td> | <td>139</td> | ||
Line 3,165: | Line 3,167: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>8</td> | <td>8</td> | ||
<td colspan="2">नरक द्विक, वै.द्वि, देव द्वि.की, की उद्वेलना वाला | <td colspan="2">नरक द्विक, वै.द्वि, देव द्वि.की, की उद्वेलना वाला चतुरिंद्रिय</td> | ||
<td>उपरोक्त 11+(नरक द्विक, देवद्विक वैक्रियक द्विक)=6</td> | <td>उपरोक्त 11+(नरक द्विक, देवद्विक वैक्रियक द्विक)=6</td> | ||
<td>137</td> | <td>137</td> | ||
Line 3,205: | Line 3,207: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td colspan="17">सासादन - ( | <td colspan="17">सासादन - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/372-375/536-539 )</span>। कुल स्थान=6 (बद्धा.2, अबद्धा.4); कुल भंग=18 (बद्धा.6,अबद्धा.12)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,221: | Line 3,223: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td colspan="2">आ.चतु के | <td colspan="2">आ.चतु के बंधवाले किसी को सासादन की प्राप्तिहोय</td> | ||
<td>भु.ब.बिना 2 आयु,तीर्थ.=3</td> | <td>भु.ब.बिना 2 आयु,तीर्थ.=3</td> | ||
<td>148</td> | <td>148</td> | ||
Line 3,261: | Line 3,263: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td colspan="17">मिश्र - ( | <td colspan="17">मिश्र - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/372-375/536-539 )</span>। कुल स्थान 8 (बद्धा.14, अबद्धा.4); कुल भंग=36 (बद्धा.20;अबद्धा.16)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,278: | Line 3,280: | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td> </td> | <td> </td> | ||
<td colspan="2">उपरोक्त 3 ÷ | <td colspan="2">उपरोक्त 3 ÷ अनंता.4</td> | ||
<td>145</td> | <td>145</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
Line 3,302: | Line 3,304: | ||
<td rowspan="2">4</td> | <td rowspan="2">4</td> | ||
<td rowspan="2"> </td> | <td rowspan="2"> </td> | ||
<td colspan="2" rowspan="2">उपरोक्त 7 + | <td colspan="2" rowspan="2">उपरोक्त 7 + अनंता.4</td> | ||
<td rowspan="2">141</td> | <td rowspan="2">141</td> | ||
<td rowspan="2">4</td> | <td rowspan="2">4</td> | ||
Line 3,317: | Line 3,319: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
<td colspan="17">अविरत सम्यग्दृष्टि - ( | <td colspan="17">अविरत सम्यग्दृष्टि - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/376-381/540-549 )</span> कुल स्थान=40 (बद्धा.=20, अबद्धा.=20); कुल भंग=120 (बद्धा.=60,अबद्धा.=60)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,334: | Line 3,336: | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td> </td> | <td> </td> | ||
<td colspan="2">उपरोक्त 2+ | <td colspan="2">उपरोक्त 2+अनंता.4 =4</td> | ||
<td>146</td> | <td>146</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
Line 3,454: | Line 3,456: | ||
<td>12</td> | <td>12</td> | ||
<td> </td> | <td> </td> | ||
<td colspan="2">+4 | <td colspan="2">+4 अनंतानु.= 4</td> | ||
<td>142</td> | <td>142</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
Line 3,514: | Line 3,516: | ||
<td>17</td> | <td>17</td> | ||
<td> </td> | <td> </td> | ||
<td colspan="2">+ | <td colspan="2">+ 4अनंतानु.= 4</td> | ||
<td>141</td> | <td>141</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
Line 3,565: | Line 3,567: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>5</td> | <td>5</td> | ||
<td colspan="17">देश संयत - ( | <td colspan="17">देश संयत - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/382/550 )</span> कुल स्थान=40 (बद्धा.=20, अबद्धा.=20); कुल भंग=48 (बद्धा.=24,अबद्धा.=24)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,633: | Line 3,635: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>6-7</td> | <td>6-7</td> | ||
<td colspan="17">प्रमत्त अप्रमत्त - ( | <td colspan="17">प्रमत्त अप्रमत्त - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/382/550 )</span> कुल स्थान=40 (बद्धा.=20, अबद्धा.=20); कुल भंग=120 (बद्धा.=60,अबद्धा.=60)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,653: | Line 3,655: | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
<p class="HindiText">8. उपशम श्रेणी/उप.क्षा.सम्यक्त्व (अपूर्वकरण)</p> | <p class="HindiText">8. उपशम श्रेणी/उप.क्षा.सम्यक्त्व (अपूर्वकरण)</p> | ||
<p class="HindiText">( | <p class="HindiText"><span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/383-384/551-553 )</span> - स्थान=24; भंग=24।</p> | ||
<p class="HindiText">द्रष्टव्य - | <p class="HindiText">द्रष्टव्य - कनकनंदि सिद्धांत चक्रवर्ती के अनुसार यहाँ स्थान नं.1,2,7,8,13,14,11 इन आठ स्थानों को छोड़कर 16 स्थान व 16 भंग होते हैं। <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड 391/558 )</span>।</p> | ||
<p class="HindiText">संकेत - देखें [[ | <p class="HindiText">संकेत - देखें [[#3.1 | सारणी सं.1 का प्रारंभ]]।</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,686: | Line 3,688: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td> | <td>अनंतानुबंधी चतु.</td> | ||
<td>146</td> | <td>146</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
Line 3,740: | Line 3,742: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>9</td> | <td>9</td> | ||
<td> | <td>अनंतानुबंधी चतु.</td> | ||
<td>145</td> | <td>145</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
Line 3,794: | Line 3,796: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>15</td> | <td>15</td> | ||
<td> | <td>अनंतानुबंधी चतुष्क</td> | ||
<td>142</td> | <td>142</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
Line 3,848: | Line 3,850: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>21</td> | <td>21</td> | ||
<td> | <td>अनंतानुबंधी चतुष्क</td> | ||
<td>141</td> | <td>141</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
Line 3,883: | Line 3,885: | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td colspan="7" class="HindiText"><p>9-11 उपशम श्रेणी/उपशम व क्षा.सम्यक्त्व (अनिवृत्तिकरणादि | <td colspan="7" class="HindiText"><p>9-11 उपशम श्रेणी/उपशम व क्षा.सम्यक्त्व (अनिवृत्तिकरणादि उपशांत कषाय पर्यंत)। <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/385/553 )</span> स्थान 24; भंग 24।</p> | ||
<p>द्रष्टव्य - आ. | <p>द्रष्टव्य - आ.कनकनंदि के अनुसार स्थान 16, भंग=16।</p> | ||
<p> | <p>[[File:clip_image002.gif ]] उपरोक्त 8वें गुणस्थानवत् [[File:clip_image004.gif ]]</p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
<p class="HindiText">8. क्षपक श्रेणी (अपूर्वकरण)</p> | <p class="HindiText">8. क्षपक श्रेणी (अपूर्वकरण)</p> | ||
<p class="HindiText">( | <p class="HindiText"><span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/385/553 )</span> - स्थान=4; भंग=4।</p> | ||
<p class="HindiText">द्रष्टव्य - बद्धायुष्क को क्षपक श्रेणी | <p class="HindiText">द्रष्टव्य - बद्धायुष्क को क्षपक श्रेणी संभव नहीं अत: केवल अबद्धायुष्क मनुष्य के ही स्थान हैं।</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 3,903: | Line 3,905: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td colspan="2">1</td> | <td colspan="2">1</td> | ||
<td colspan="3">तीन आयु+ | <td colspan="3">तीन आयु+अनंत चतु.+दर्शनमोह त्रिक.</td> | ||
<td colspan="2">148</td> | <td colspan="2">148</td> | ||
<td colspan="3">10</td> | <td colspan="3">10</td> | ||
Line 3,940: | Line 3,942: | ||
<td colspan="17"> | <td colspan="17"> | ||
<p> 9. क्षपक श्रेणी (अनिवृत्तिकरण)</p> | <p> 9. क्षपक श्रेणी (अनिवृत्तिकरण)</p> | ||
<p> ( | <p> <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/386-388/554-555 )</span> - स्थान=36; भंग=</p> | ||
<p class="HindiText"> द्रष्टव्य - गो.सा.में पुरुष वेदी व स्त्रीवेदी दोनों के समान आलाप मानकर कुल स्थान 36 बताये हैं, पर सारणी 1 के अनुसार पुरुष व स्त्रीवेदी के आलापों में कुछ | <p class="HindiText"> द्रष्टव्य - गो.सा.में पुरुष वेदी व स्त्रीवेदी दोनों के समान आलाप मानकर कुल स्थान 36 बताये हैं, पर सारणी 1 के अनुसार पुरुष व स्त्रीवेदी के आलापों में कुछ अंतर होने से यहाँ स्थान 44 बनते हैं।</p> | ||
<p class="HindiText"> संकेत - पुं.वेदी=पुरुषवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।</p> | <p class="HindiText"> संकेत - पुं.वेदी=पुरुषवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।</p> | ||
<p class="HindiText"> स्त्रीवेदी - स्त्रीवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।</p> | <p class="HindiText"> स्त्रीवेदी - स्त्रीवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।</p> | ||
<p class="HindiText"> नपुं.वेदी=नपुंसकवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।</p> | <p class="HindiText"> नपुं.वेदी=नपुंसकवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।</p> | ||
<p class="HindiText"> द्रष्टव्य - केवल अबद्धायुष्क मनुष्य के आलाप ही | <p class="HindiText"> द्रष्टव्य - केवल अबद्धायुष्क मनुष्य के आलाप ही संभव है क्योंकि बद्धायुष्क क्षपक श्रेणी पर नहीं चढ़ सकता।</p> | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 3,961: | Line 3,963: | ||
<td>9/i</td> | <td>9/i</td> | ||
<td colspan="2">1</td> | <td colspan="2">1</td> | ||
<td>3 आयु+ | <td>3 आयु+अनंत चतु.+दर्शन मोह त्रि.=व्युच्छिन्न</td> | ||
<td colspan="2">148</td> | <td colspan="2">148</td> | ||
<td colspan="3">10</td> | <td colspan="3">10</td> | ||
Line 4,001: | Line 4,003: | ||
<td>9/ii</td> | <td>9/ii</td> | ||
<td colspan="2">1</td> | <td colspan="2">1</td> | ||
<td>नरक द्वि, तिर्यंच द्वि 1-4 | <td>नरक द्वि, तिर्यंच द्वि 1-4 इंद्रिय, स्त्यान.त्रिक, आतप, उद्योत, सूक्ष्म, साधारण,स्थावर = 16 व्युच्छिन्न</td> | ||
<td colspan="2">138</td> | <td colspan="2">138</td> | ||
<td colspan="3">16</td> | <td colspan="3">16</td> | ||
Line 4,441: | Line 4,443: | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="2">10.</td> | <td colspan="2">10.</td> | ||
<td colspan="14">क्षपक श्रेणी (सूक्ष्म | <td colspan="14">क्षपक श्रेणी (सूक्ष्म सांपराय) <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड 389/556 )</span> - स्थान=4; भंग=4</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,486: | Line 4,488: | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="2">12.</td> | <td colspan="2">12.</td> | ||
<td colspan="14">क्षीणकषाय - ( | <td colspan="14">क्षीणकषाय - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड 389/556 )</span> - स्थान=8; भंग=8</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,571: | Line 4,573: | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="2">13.</td> | <td colspan="2">13.</td> | ||
<td colspan="14">सयोगकेवली - ( | <td colspan="14">सयोगकेवली - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड 390/557 )</span> - स्थान=4; भंग=4</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="2">1</td> | <td colspan="2">1</td> | ||
<td>5 ज्ञानावरण+5 दर्शनावरण+4 | <td>5 ज्ञानावरण+5 दर्शनावरण+4 अंतराय =14 व्युच्छिन्न</td> | ||
<td colspan="2">99</td> | <td colspan="2">99</td> | ||
<td colspan="2"></td> | <td colspan="2"></td> | ||
Line 4,616: | Line 4,618: | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="2">14.</td> | <td colspan="2">14.</td> | ||
<td colspan="14">अयोगकेवली - ( | <td colspan="14">अयोगकेवली - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड 390/557 )</span> - स्थान=8; भंग=8</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,631: | Line 4,633: | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="2">5</td> | <td colspan="2">5</td> | ||
<td>व्युच्छित्ति=72 (देखें [[ | <td>व्युच्छित्ति=72 (देखें [[ #3.1 | सारणी नं - 1]])</td> | ||
<td colspan="2">85</td> | <td colspan="2">85</td> | ||
<td colspan="2">72</td> | <td colspan="2">72</td> | ||
Line 4,656: | Line 4,658: | ||
<td colspan="3">13</td> | <td colspan="3">13</td> | ||
<td colspan="3">1</td> | <td colspan="3">1</td> | ||
<td colspan="3">चरम समय के | <td colspan="3">चरम समय के अंत में</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,669: | Line 4,671: | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.6"><strong>मूल प्रकृत्ति सत्त्व स्थान सामान्य प्ररूपणा</strong></li> | ||
<p><strong>संकेत</strong> - देखो सारणी 1 का | <p><strong>संकेत</strong> - देखो [[#3.1 | सारणी 1 का प्रारंभ]]</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,682: | Line 4,684: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>1</td> | <td>1</td> | ||
<td colspan="5"><strong>ज्ञानावरणीय</strong> - ( | <td colspan="5"><strong>ज्ञानावरणीय</strong> - <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/4,24 )</span>; (पं.सं./सं./5/5-30); <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/630/830 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,697: | Line 4,699: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td colspan="5"><strong>दर्शनावरणीय</strong> - ( | <td colspan="5"><strong>दर्शनावरणीय</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/631-32/831 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,728: | Line 4,730: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td colspan="5"><strong>वेदनीय</strong> - ( | <td colspan="5"><strong>वेदनीय</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/633-634/832 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,755: | Line 4,757: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>5</td> | <td>5</td> | ||
<td colspan="5"><strong>आयु</strong> - ( | <td colspan="5"><strong>आयु</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/366-371/522-535 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,795: | Line 4,797: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>7</td> | <td>7</td> | ||
<td colspan="5"><strong>गोत्र</strong> - ( | <td colspan="5"><strong>गोत्र</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/635/833-835 )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,818: | Line 4,820: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>8</td> | <td>8</td> | ||
<td colspan="5"><strong> | <td colspan="5"><strong>अंतराय</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/630/830/ )</span></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,826: | Line 4,828: | ||
<td>5</td> | <td>5</td> | ||
<td>1</td> | <td>1</td> | ||
<td>पाँचों | <td>पाँचों अंतराय</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.7"><strong>मोह प्रकृति सत्त्व स्थान सामान्य प्ररूपणा।</strong></li> | ||
<p class="HindiText">( | <p class="HindiText"><span class="GRef">( कषायपाहुड़ 2/ </span>पृष्ठ), <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/33-36 )</span>, (पं.सं./सं./5/42-47) कुल सत्त्व योग्य=28; कुल सत्त्व स्थान=15</p> | ||
<p class="HindiText">द्रष्टव्य - अनिवृत्तिकरण में मोहनीय के क्षय का क्रम :</p> | <p class="HindiText">द्रष्टव्य - अनिवृत्तिकरण में मोहनीय के क्षय का क्रम :</p> | ||
<p class="HindiText">1. नवें गुणस्थान के काल के संख्यातवें भाग को व्यतीत करके (अप्रमत्त व प्रमत्त) 8 प्रकृतियों का क्षय करता है।</p> | <p class="HindiText">1. नवें गुणस्थान के काल के संख्यातवें भाग को व्यतीत करके (अप्रमत्त व प्रमत्त) 8 प्रकृतियों का क्षय करता है।</p> | ||
<p class="HindiText">2. | <p class="HindiText">2. अनंतर अंतर्मुहूर्त बिता कर क्रम से (9/i) में दर्शायी 16 का क्षय करता है।</p> | ||
<p>3. ओघ में प्ररूपणा पुरुषवेद सहित चढ़ने वालों की हैं। यदि स्त्रीवेद, नपुंसक वेद के साथ श्रेणी चढ़े तो 9/iii व 9/iv में तीनों वेदों की क्षपणा 6 नो कषायों के साथ युगपत् | <p class="HindiText">3. ओघ में प्ररूपणा पुरुषवेद सहित चढ़ने वालों की हैं। यदि स्त्रीवेद, नपुंसक वेद के साथ श्रेणी चढ़े तो 9/iii व 9/iv में तीनों वेदों की क्षपणा 6 नो कषायों के साथ युगपत् प्रारंभ करता है। तहाँ पुरुष वेद की अंतिम खंड को क्षपणा के निकट उससे पहले ही स्त्री व नपुंसक वेदों के अंतिम खंडों का अभाव हो जाता है। तब वहाँ 9/iv स्थान बजाय 5 के सत्त्व के 11 के सत्त्ववाला बनता है। फिर पुरुष वेद व 6 नोकषाय को युगपत् क्षय करके 9/vii में पुरुषवेदीवत् ही 4 का सत्त्व कर लेता है।</p> | ||
<p>संकेत - देखो सारणी सं.1 का | <p class="HindiText">संकेत - देखो [[#3.1 | सारणी सं.1 का प्रारंभ ]]</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,852: | Line 4,854: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td><span class="GRef"> कषायपाहुड़ 2/ </span>पृ.</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td><span class="GRef"> कषायपाहुड़ 2/ </span>पृ.</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 4,938: | Line 4,940: | ||
<td>21</td> | <td>21</td> | ||
<td>203</td> | <td>203</td> | ||
<td>4 | <td>4 अनंतानुबंधी रहित चारित्र मोह की 25</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 4,956: | Line 4,958: | ||
<td>23</td> | <td>23</td> | ||
<td>203</td> | <td>203</td> | ||
<td>मिथ्यात्व, | <td>मिथ्यात्व, अनंतानुबंधी रहित सर्व</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>12</td> | <td>12</td> | ||
<td>218</td> | <td>218</td> | ||
<td>चर्तुगति उपशम या वेदक सम्यग्दृष्टि या सम्यग्मिथ्यादृष्टि | <td>चर्तुगति उपशम या वेदक सम्यग्दृष्टि या सम्यग्मिथ्यादृष्टि अनंता. की विसंयोजना सहित</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 4,994: | Line 4,996: | ||
<td>सर्व</td> | <td>सर्व</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.8"><strong>मोह सत्त्व स्थान ओघ प्ररूपणा - <span class="GRef">( कषायपाहुड़ 2/ </span>पृष्ठ), <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/393-398 )</span>, <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/405-410 )</span>, <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/655-659/846-848 )</span></strong></li> | ||
<p class="HindiText">द्रष्टव्य - (सत्त्व स्थान में प्रकृतियों का विवरण देखो सारणी सं.4)</p> | <p class="HindiText">द्रष्टव्य - (सत्त्व स्थान में प्रकृतियों का विवरण देखो [[#3.4 |सारणी सं.4 ]])</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,008: | Line 5,010: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td><span class="GRef"> कषायपाहुड़ 2/ </span>पृ.</td> | ||
<td colspan="2">सादि मिथ्यादृष्टि</td> | <td colspan="2">सादि मिथ्यादृष्टि</td> | ||
<td>अनादि मि.</td> | <td>अनादि मि.</td> | ||
Line 5,122: | Line 5,124: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="3">द्रष्टव्य - [ | <td colspan="3">द्रष्टव्य - [[#3.1 | सारणी सं.1]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 5,202: | Line 5,204: | ||
<td>10</td> | <td>10</td> | ||
<td>211</td> | <td>211</td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">सूक्ष्मसांपराय</td> | ||
<td>1 सूक्ष्म</td> | <td>1 सूक्ष्म</td> | ||
<td>1 सूक्ष्म</td> | <td>1 सूक्ष्म</td> | ||
Line 5,246: | Line 5,248: | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.9"><strong>मोह सत्त्व स्थान आदेश प्ररूपणा विशेष</strong></li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,354: | Line 5,356: | ||
<td>केवल पुरुष वेद</td> | <td>केवल पुरुष वेद</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.10"><strong>मोह सत्त्व स्थान आदेश प्ररूपणा</strong></li> | ||
<p>प्रमाण - ( | <p>प्रमाण - <span class="GRef">( कषायपाहुड़ 2/ </span>पृष्ठ), <strong>संकेत</strong> - प्रकृतियों का विवरण देखो [[#3.4 | सारणी सं.4]]</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,362: | Line 5,364: | ||
<td><strong>कुल सत्त्व स्थान</strong></td> | <td><strong>कुल सत्त्व स्थान</strong></td> | ||
<td><strong>प्रति स्थान प्रकृतियाँ</strong></td> | <td><strong>प्रति स्थान प्रकृतियाँ</strong></td> | ||
<td><strong>प्रत्येक स्थान का क्रमश: स्वामित्व विशेष (देखें [[ | <td><strong>प्रत्येक स्थान का क्रमश: स्वामित्व विशेष (देखें [[ #3.9 | सारणी सं - 9]])</strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,415: | Line 5,417: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>221</td> | <td>221</td> | ||
<td> | <td>पंचेंद्रिय सा.व प.</td> | ||
<td>6</td> | <td>6</td> | ||
<td>28,27,26,24,22,21</td> | <td>28,27,26,24,22,21</td> | ||
Line 5,422: | Line 5,424: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>221</td> | <td>221</td> | ||
<td> | <td>पंचेंद्रिय योनिमति</td> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
<td>28,27,26,24</td> | <td>28,27,26,24</td> | ||
Line 5,445: | Line 5,447: | ||
<td>सामान्य</td> | <td>सामान्य</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> -- </td> | <td> -- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 5,452: | Line 5,454: | ||
<td>मनु. पर्या. व मनुष्यणी</td> | <td>मनु. पर्या. व मनुष्यणी</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> - | <td> -[[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> -- </td> | <td> -- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 5,506: | Line 5,508: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>2</strong></td> | <td><strong>2</strong></td> | ||
<td><strong> | <td><strong>इंद्रिय मार्गणा - </strong></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 5,513: | Line 5,515: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>224</td> | <td>224</td> | ||
<td> | <td>एकेंद्रिय सर्व भेद</td> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td>28,27,26</td> | <td>28,27,26</td> | ||
Line 5,520: | Line 5,522: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>224</td> | <td>224</td> | ||
<td> | <td>विकलेंद्रिय सर्व भेद</td> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td>28,27,26</td> | <td>28,27,26</td> | ||
Line 5,527: | Line 5,529: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>224</td> | <td>224</td> | ||
<td> | <td>पंचेंद्रिय सामान्य व पर्याप्त</td> | ||
<td>15</td> | <td>15</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> -- </td> | <td> -- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>224</td> | <td>224</td> | ||
<td> | <td>पंचेंद्रिय लब्ध्यपर्याप्त</td> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td>28,27,26</td> | <td>28,27,26</td> | ||
Line 5,557: | Line 5,559: | ||
<td>त्रस सा. व पर्याप्त</td> | <td>त्रस सा. व पर्याप्त</td> | ||
<td>15</td> | <td>15</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> -- </td> | <td> -- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 5,578: | Line 5,580: | ||
<td>5 मन, 5 वचन, व काय सामान्य योगी</td> | <td>5 मन, 5 वचन, व काय सामान्य योगी</td> | ||
<td>15</td> | <td>15</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> -- </td> | <td> -- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 5,585: | Line 5,587: | ||
<td>औदारिक काय</td> | <td>औदारिक काय</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> -- </td> | <td> -- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 5,686: | Line 5,688: | ||
<td>24,21 | <td>24,21 | ||
<p><u>11,5,4,3,2,1</u></p></td> | <p><u>11,5,4,3,2,1</u></p></td> | ||
<td> | <td>उपशांत कषाय | ||
<p> - | <p> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,701: | Line 5,703: | ||
<td>12</td> | <td>12</td> | ||
<td>28 से 4 तक</td> | <td>28 से 4 तक</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,708: | Line 5,710: | ||
<td>13</td> | <td>13</td> | ||
<td>28 से 3 तक</td> | <td>28 से 3 तक</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,715: | Line 5,717: | ||
<td>14</td> | <td>14</td> | ||
<td>28 से 2 तक</td> | <td>28 से 2 तक</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,722: | Line 5,724: | ||
<td>15</td> | <td>15</td> | ||
<td>28 से 1 तक</td> | <td>28 से 1 तक</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,729: | Line 5,731: | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td>24,21</td> | <td>24,21</td> | ||
<td> | <td>उपशांत कषाय</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,803: | Line 5,805: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>230</td> | <td>230</td> | ||
<td>सूक्ष्म | <td>सूक्ष्म सांपराय</td> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td>24,21 1</td> | <td>24,21 1</td> | ||
Line 5,813: | Line 5,815: | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td>24,21</td> | <td>24,21</td> | ||
<td> | <td>उपशांत कषाय</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,827: | Line 5,829: | ||
<td>0</td> | <td>0</td> | ||
<td>28 से 21 तक</td> | <td>28 से 21 तक</td> | ||
<td> | <td> [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,840: | Line 5,842: | ||
<td>चक्षु</td> | <td>चक्षु</td> | ||
<td> -</td> | <td> -</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> -- </td> | <td> -- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 5,847: | Line 5,849: | ||
<td>अचक्षु</td> | <td>अचक्षु</td> | ||
<td> -</td> | <td> -</td> | ||
<td> - | <td> - [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> -- </td> | <td> -- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 5,901: | Line 5,903: | ||
<td>15</td> | <td>15</td> | ||
<td>22, सर्व 15 स्थान</td> | <td>22, सर्व 15 स्थान</td> | ||
<td> | <td> [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 5,914: | Line 5,916: | ||
<td>भव्य</td> | <td>भव्य</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td> [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> --- </td> | <td> --- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 5,991: | Line 5,993: | ||
<td>संज्ञी</td> | <td>संज्ञी</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td>---</td> | <td>---</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 6,012: | Line 6,014: | ||
<td>आहारक</td> | <td>आहारक</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td> [[File:clip_image002.gif ]] ओघवत् [[File:clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> --- </td> | <td> --- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 6,019: | Line 6,021: | ||
<td>अनाहारक</td> | <td>अनाहारक</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td> [[File:clip_image002.gif ]] कार्माणकाय योगवत् [[File:2137491580clip_image004.gif ]]</td> | ||
<td> --- </td> | <td> --- </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
</table><br/> | </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.11"><strong><span class="HindiText">नाम प्रकृति सत्त्वस्थान सामान्य प्ररूपणा</span></strong><span class="HindiText"> - <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/208-216 )</span>; (पं.सं./सं./5/222-229); <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./610/817); <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./620-824); <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./759/931) कुल सत्त्व स्थान=13; कुल सत्त्व योग=93।</span></li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>सं.</strong></td> | <td><strong>सं.</strong></td> | ||
<td><strong>स्वामी जीव </strong> | <td><strong>स्वामी जीव </strong><span class="GRef"> गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./620-824</td> | ||
<td><strong>प्रतिस्थान प्रकृति</strong></td> | <td><strong>प्रतिस्थान प्रकृति</strong></td> | ||
<td><strong>प्रकृतियों का विवरण</strong> ( | <td><strong>प्रकृतियों का विवरण</strong> <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./610/817)</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,057: | Line 6,059: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>5</td> | <td>5</td> | ||
<td>देव द्विक् की उद्वेलना, | <td>देव द्विक् की उद्वेलना, एकेंद्रिय या विकलेंद्रिय के हो तो वह मरकर जहाँ उपजे वहाँ तिर्यंच, मनुष्य मिथ्यादृष्टि भी उस उद्वेलना सहित रहे हैं।</td> | ||
<td>88</td> | <td>88</td> | ||
<td>उपर्युक्त 90-देवद्विक्</td> | <td>उपर्युक्त 90-देवद्विक्</td> | ||
Line 6,077: | Line 6,079: | ||
<td>अनिवृत्तिकरण 9/ii से 14/i तक </td> | <td>अनिवृत्तिकरण 9/ii से 14/i तक </td> | ||
<td>80</td> | <td>80</td> | ||
<td>93-(नरक द्वि., तिर्यंच द्वि., 1-4 | <td>93-(नरक द्वि., तिर्यंच द्वि., 1-4 इंद्रिय आतप, उद्योत, सूक्ष्म, साधारण, स्थावर। </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,099: | Line 6,101: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>12</td> | <td>12</td> | ||
<td>तीर्थंकर अयोगी का | <td>तीर्थंकर अयोगी का अंतसमय</td> | ||
<td>10</td> | <td>10</td> | ||
<td>मनुष्य गति, पंचे., सुभग, त्रस, बादर, पर्याप्त, आदेय, यश, तीर्थंकर, मनुष्यानुपूर्वी</td> | <td>मनुष्य गति, पंचे., सुभग, त्रस, बादर, पर्याप्त, आदेय, यश, तीर्थंकर, मनुष्यानुपूर्वी</td> | ||
Line 6,105: | Line 6,107: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>13</td> | <td>13</td> | ||
<td>सामान्य अयोगी का | <td>सामान्य अयोगी का अंतसमय</td> | ||
<td>9</td> | <td>9</td> | ||
<td>उपर्युक्त 10-तीर्थंकर</td> | <td>उपर्युक्त 10-तीर्थंकर</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.12"><strong>जीव पदों की अपेक्षा नामकर्म सत्त्व स्थान प्ररूपणा - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/ </span>भाषा./623-828)</strong></li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,183: | Line 6,185: | ||
<td>90</td> | <td>90</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.13"><strong>नाम कर्म सत्त्व स्थान ओघ प्ररूपणा</strong> - <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/217 )</span>; <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/402-417 )</span>; <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/692-702/872 )</span>; (पं.सं./सं./5/416-428)।</li> | ||
<p><strong>संकेत</strong> - सत्त्व स्थान - प्रकृतियों का विवरण=देखो सारणी सं. | <p><strong>संकेत</strong> - सत्त्व स्थान - प्रकृतियों का विवरण=देखो [[#3.11 | सारणी सं.11]]।</p> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>गुण स्थान</strong></td> | <td><strong>गुण स्थान</strong></td> | ||
<td><strong>कुल स्थान</strong></td> | <td><strong>कुल स्थान</strong></td> | ||
<td><strong>प्रतिस्थान प्रकृति</strong> (देखो सारणी सं.11)</td> | <td><strong>प्रतिस्थान प्रकृति</strong> (देखो [[#3.11 | सारणी सं.11]])</td> | ||
<td><strong>गुणस्थान</strong></td> | <td><strong>गुणस्थान</strong></td> | ||
<td><strong>कुल स्थान</strong></td> | <td><strong>कुल स्थान</strong></td> | ||
<td><strong>प्रतिस्थान प्रकृतियाँ</strong> (देखो सारणी सं.11)</td> | <td><strong>प्रतिस्थान प्रकृतियाँ</strong> (देखो [[#3.11 | सारणी सं.11]])</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,251: | Line 6,253: | ||
<td>9, 10, 77, 78, 80</td> | <td>9, 10, 77, 78, 80</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.14"><strong>नाम कर्म सत्त्व स्थान आदेश प्ररूपणा</strong> - - <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/218-219,419-472 )</span>; (पं.सं./सं./5/230-231); <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/712-738/881-887 )</span></li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,257: | Line 6,259: | ||
<td><strong>मार्गणा </strong></td> | <td><strong>मार्गणा </strong></td> | ||
<td><strong>कुल स्थान</strong></td> | <td><strong>कुल स्थान</strong></td> | ||
<td><strong>प्रति स्थान प्रकृति</strong> (देखो सारणी सं.11)</td> | <td><strong>प्रति स्थान प्रकृति</strong> (देखो [[#3.11 | सारणी सं.11]])</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,291: | Line 6,293: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td><strong>2</strong></td> | <td><strong>2</strong></td> | ||
<td><strong> | <td><strong>इंद्रिय मार्गणा</strong> -</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 6,297: | Line 6,299: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>1</td> | <td>1</td> | ||
<td> | <td>एकेंद्रिय</td> | ||
<td>5</td> | <td>5</td> | ||
<td>82, 84, 88, 90, 92</td> | <td>82, 84, 88, 90, 92</td> | ||
Line 6,303: | Line 6,305: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td> | <td>विकलेंद्रिय</td> | ||
<td>5</td> | <td>5</td> | ||
<td>82, 84, 88, 90, 92</td> | <td>82, 84, 88, 90, 92</td> | ||
Line 6,309: | Line 6,311: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td> | <td>पंचेंद्रिय</td> | ||
<td>13</td> | <td>13</td> | ||
<td>77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93,9,10</td> | <td>77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93,9,10</td> | ||
Line 6,329: | Line 6,331: | ||
<td>त्रस </td> | <td>त्रस </td> | ||
<td>13</td> | <td>13</td> | ||
<td> | <td>पंचेंद्रियवत्</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,465: | Line 6,467: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>3</td> | <td>3</td> | ||
<td>सूक्ष्म | <td>सूक्ष्म सांपराय</td> | ||
<td>8</td> | <td>8</td> | ||
<td>77,78,89,80,90,91,92,93</td> | <td>77,78,89,80,90,91,92,93</td> | ||
Line 6,649: | Line 6,651: | ||
<td>9, 10</td> | <td>9, 10</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.15"><strong>नाम प्रकृति सत्त्व स्थान पर्याप्तापर्याप्त प्ररूपणा</strong> - <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड/704-712/878 )</span></li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,655: | Line 6,657: | ||
<td><strong>मार्गणा </strong></td> | <td><strong>मार्गणा </strong></td> | ||
<td><strong>कुल स्थान</strong></td> | <td><strong>कुल स्थान</strong></td> | ||
<td><strong>प्रति स्थान प्रकृति</strong> (देखो सारणी 11)</td> | <td><strong>प्रति स्थान प्रकृति</strong> (देखो [[#3.11 | सारणी सं.11]])</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,671: | Line 6,673: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2</td> | <td>2</td> | ||
<td>सर्व एके. | <td>सर्व एके. विकलेंद्रिय तथा असंज्ञी पर्याप्त</td> | ||
<td>5</td> | <td>5</td> | ||
<td>82,84,88,90,92</td> | <td>82,84,88,90,92</td> | ||
Line 6,681: | Line 6,683: | ||
<td>77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93</td> | <td>77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.16"><strong>मोह स्थिति सत्त्व की ओघप्ररूपणा</strong> - <span class="GRef">( कषायपाहुड़ 3/ </span>पृष्ठ) अंत:=अंत:कोड़ाकोड़ी सागर</li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,687: | Line 6,689: | ||
<td><strong>प्रकृति</strong></td> | <td><strong>प्रकृति</strong></td> | ||
<td><strong>प्रमाण</strong></td> | <td><strong>प्रमाण</strong></td> | ||
<td><strong>जघन्य स्थिति क्षपक श्रेणी में ही | <td><strong>जघन्य स्थिति क्षपक श्रेणी में ही संभव</strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,709: | Line 6,711: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>4</td> | <td>4</td> | ||
<td> | <td>अनंतानुबंधी 4</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td>2 समय</td> | <td>2 समय</td> | ||
Line 6,723: | Line 6,725: | ||
<td>संज्वलन क्रोध</td> | <td>संज्वलन क्रोध</td> | ||
<td>207</td> | <td>207</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 2 मास</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,729: | Line 6,731: | ||
<td>संज्वलन मान</td> | <td>संज्वलन मान</td> | ||
<td>208</td> | <td>208</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 1 मास</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,735: | Line 6,737: | ||
<td>संज्वलन माया</td> | <td>संज्वलन माया</td> | ||
<td>209</td> | <td>209</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 1/2 मास</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,759: | Line 6,761: | ||
<td>पुरुष वेद</td> | <td>पुरुष वेद</td> | ||
<td>209</td> | <td>209</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 8 वर्ष</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,773: | Line 6,775: | ||
<td>1 समय</td> | <td>1 समय</td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.17"><strong>मोह स्थिति सत्त्व की आदेश प्ररूपणा - (</strong><span class="GRef"> कषायपाहुड़ 3/ </span>पृष्ठ) अंत:=अंत:कोड़ाकोड़ी सागर</li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,810: | Line 6,812: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | <td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 1 सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,835: | Line 6,837: | ||
<td>11</td> | <td>11</td> | ||
<td>सामान्य मोह</td> | <td>सामान्य मोह</td> | ||
<td> | <td>अंत:को.को. सा.</td> | ||
<td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | <td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | ||
<td> | <td>अंत:को.को. सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,845: | Line 6,847: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | <td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | ||
<td> | <td>अंत:को.को. सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,853: | Line 6,855: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | <td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | ||
<td> | <td>अंत:को.को. सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,861: | Line 6,863: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | <td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | ||
<td> | <td>अंत:को.को. सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,870: | Line 6,872: | ||
<td>10</td> | <td>10</td> | ||
<td>मोह सामान्य</td> | <td>मोह सामान्य</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
<td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | <td>देखें [[ स्थिति#61 | स्थिति - 61]]</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 70 को.को.सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,880: | Line 6,882: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 70को.को.सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,888: | Line 6,890: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 40को.को.सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,896: | Line 6,898: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 40को.को.सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,905: | Line 6,907: | ||
<td>11</td> | <td>11</td> | ||
<td>मोह सामान्य</td> | <td>मोह सामान्य</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
<td>11</td> | <td>11</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,915: | Line 6,917: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,923: | Line 6,925: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,932: | Line 6,934: | ||
<td>13</td> | <td>13</td> | ||
<td>मोह सामान्य</td> | <td>मोह सामान्य</td> | ||
<td> | <td>अंत:को.को. सा.</td> | ||
<td>11</td> | <td>11</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 70 को.को.सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,942: | Line 6,944: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 70 को.को.सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>203</td> | <td>203</td> | ||
<td>16 कषाय</td> | <td>16 कषाय</td> | ||
<td> | <td>अंत:को.को. सा.</td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 40 को.को.सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,957: | Line 6,959: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत: कम 40को.को.सा.</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,966: | Line 6,968: | ||
<td>13</td> | <td>13</td> | ||
<td>मोह सामान्य</td> | <td>मोह सामान्य</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
<td>11</td> | <td>11</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,976: | Line 6,978: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,984: | Line 6,986: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 6,992: | Line 6,994: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,001: | Line 7,003: | ||
<td>13</td> | <td>13</td> | ||
<td>मोह सामान्य</td> | <td>मोह सामान्य</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
<td>11</td> | <td>11</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,011: | Line 7,013: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,019: | Line 7,021: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,027: | Line 7,029: | ||
<p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | <p>(देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]])</p></td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,092: | Line 7,094: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="4"><strong>10. सूक्ष्म | <td colspan="4"><strong>10. सूक्ष्म सांपराय उपशामक - </strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,103: | Line 7,105: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="4"><strong>11. | <td colspan="4"><strong>11. उपशांत कषाय - </strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td>मोह सामान्य</td> | <td>मोह सामान्य</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
<td>10</td> | <td>10</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,117: | Line 7,119: | ||
<td>देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]]</td> | <td>देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]]</td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,124: | Line 7,126: | ||
<td>देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]]</td> | <td>देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]]</td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,131: | Line 7,133: | ||
<td>देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]]</td> | <td>देखें [[ सत्त्व#3.16 | सत्त्व - 3.16]]</td> | ||
<td>200</td> | <td>200</td> | ||
<td> | <td>अंत:</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,160: | Line 7,162: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td colspan="4"><strong>10. सूक्ष्म | <td colspan="4"><strong>10. सूक्ष्म सांपराय क्षपक - </strong></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,176: | Line 7,178: | ||
<td></td> | <td></td> | ||
</tr> </table><br/> | </tr> </table><br/> | ||
< | <li class="HindiText" id="3.18"><strong>मूलोत्तर प्रकृति चतुष्क की प्ररूपणाओं संबंधी सूची</strong></li> | ||
<table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | <table class="HindiText" cellpadding="2" cellspacing="1" border="1"> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,190: | Line 7,192: | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td colspan="9"> | <td colspan="9"> | ||
<p>1. ओघ आदेश से प्रकृति सत्त्व - (क.प.2/ | <p>1. ओघ आदेश से प्रकृति सत्त्व - (क.प.2/[[File:clip_image006.gif ]])</p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,200: | Line 7,202: | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image008.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,206: | Line 7,208: | ||
<td>उत्तर </td> | <td>उत्तर </td> | ||
<td>समुत्कीर्तना</td> | <td>समुत्कीर्तना</td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image010.gif ]]</td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">[[File:clip_image012.gif ]]</td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image014.gif ]]</td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image016.gif ]]</td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image018.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,220: | Line 7,222: | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image020.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,226: | Line 7,228: | ||
<td>उत्तर</td> | <td>उत्तर</td> | ||
<td>भंगविचय</td> | <td>भंगविचय</td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image022.gif ]]</td> | ||
<td colspan="2"> | <td colspan="2">[[File:clip_image024.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image026.gif ]]</td> | ||
<td> | <td>[[File:clip_image028.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
<td>2.</td> | <td>2.</td> | ||
<td colspan="8"> | <td colspan="8"> | ||
<p> ओघ आदेश से स्थिति सत्त्व - (क.प./पृ.सं./ | <p> ओघ आदेश से स्थिति सत्त्व - (क.प./पृ.सं./[[File:clip_image006.gif ]])</p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,241: | Line 7,243: | ||
<td>मूल</td> | <td>मूल</td> | ||
<td>समुत्कीर्तना</td> | <td>समुत्कीर्तना</td> | ||
<td colspan="2">3 | <td colspan="2">3[[File:clip_image030.gif ]]</td> | ||
<td>3 | <td>3[[File:clip_image032.gif ]]</td> | ||
<td>3 | <td>3[[File:clip_image034.gif ]]</td> | ||
<td>3 | <td>3[[File:clip_image036.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 7,251: | Line 7,253: | ||
<td>मूल</td> | <td>मूल</td> | ||
<td>भंगविचय</td> | <td>भंगविचय</td> | ||
<td colspan="2">3 | <td colspan="2">3[[File:clip_image038.gif ]]</td> | ||
<td>3 | <td>3[[File:clip_image040.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td>3 | <td>3[[File:clip_image042.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 7,261: | Line 7,263: | ||
<td>उत्तर</td> | <td>उत्तर</td> | ||
<td>समुत्कीर्तना</td> | <td>समुत्कीर्तना</td> | ||
<td colspan="2">3 | <td colspan="2">3[[File:clip_image044.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td>4 | <td>4[[File:clip_image046.gif ]]</td> | ||
<td>4 | <td>4[[File:clip_image048.gif ]]</td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr class="center"> | <tr class="center"> | ||
Line 7,271: | Line 7,273: | ||
<td>उत्तर</td> | <td>उत्तर</td> | ||
<td>भंगविचय</td> | <td>भंगविचय</td> | ||
<td colspan="2">3 | <td colspan="2">3[[File:clip_image050.gif ]]</td> | ||
<td>4 | <td>4[[File:clip_image052.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td>4 | <td>4[[File:clip_image054.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 7,281: | Line 7,283: | ||
<td>उत्तर</td> | <td>उत्तर</td> | ||
<td>सन्निकर्ष</td> | <td>सन्निकर्ष</td> | ||
<td colspan="2">3 | <td colspan="2">3[[File:clip_image056.gif ]]</td> | ||
<td>4 | <td>4[[File:clip_image058.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td>4 | <td>4[[File:clip_image060.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 7,291: | Line 7,293: | ||
<td>उत्तर</td> | <td>उत्तर</td> | ||
<td>अद्धाच्छेद</td> | <td>अद्धाच्छेद</td> | ||
<td colspan="2">3 | <td colspan="2">3[[File:clip_image044.gif ]]</td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
<td></td> | <td></td> | ||
Line 7,298: | Line 7,300: | ||
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<td>समुत्कीर्तना</td> | <td>समुत्कीर्तना</td> | ||
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<td>मूल</td> | <td>मूल</td> | ||
<td>भंगविचय</td> | <td>भंगविचय</td> | ||
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<td>समुत्कीर्तना</td> | <td>समुत्कीर्तना</td> | ||
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<td>उत्तर</td> | <td>उत्तर</td> | ||
<td>भंगविचय</td> | <td>भंगविचय</td> | ||
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<td>उत्तर</td> | <td>उत्तर</td> | ||
<td>सन्निकर्ष</td> | <td>सन्निकर्ष</td> | ||
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<td>उत्तर</td> | <td>उत्तर</td> | ||
<td>सत्कर्म</td> | <td>सत्कर्म</td> | ||
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Latest revision as of 22:36, 17 November 2023
- सत्त्व विषयक प्ररूपणाएँ
सारणी में प्रयुक्त संकेत सूची मिथ्या. मिथ्यात्व सम्य. सम्यक्त्व मोहनीय मिश्र. मिश्र मोहनीय अनंतानु. अनंतानुबंधी चतुष्क अप्र. अप्रत्याख्यान चतुष्क प्र. प्रत्याख्यान चतुष्क सं. संज्वलन चतुष्क नपुं. नपुंसक वेद पु. पुरुष वेद स्त्री स्त्री वेद हा.चतु. हास्त, रति, अरति, शोक तिर्य. तिर्यंच मनु. मनुष्य नरकादि द्विक वह वह गति व आनुपूर्वीय नरकादि त्रिक् वह वह गति, आनुपूर्वीव तथा आयु नरकादि चतु. वह वह गति, आनुपूर्वीय, तथा तद्योग्य शरीर और अंगोपांग आनु. आनुपूर्वीय औ. औदारिक शरीर वै. वैक्रियक आ. आहारक शरीर औ.वै.आ.द्विक् वह वह शरीर व अंगोपांग औ.वै.आ.चतु. वह वह शरीर, अंगोपांग, बंधन तथा संघात तीर्थ. तीर्थंकर भु. भुज्यमान आयु ब. बद्धयमान आयु वैक्रि.षटक् नरक गति आनुपूर्वीय, देवगति, आनुपूर्वीय, वैक्रियक शरीर तथा वैक्रियक अंगोपांग
- प्रकृति सत्त्व व्युच्छित्ति की ओघप्ररूपणा
- सातिशय मिथ्यादृष्टि में सर्व प्रकृतियों का सत्त्व चतुष्क - ( धवला 6/207-213 )
- प्रकृति सत्त्व असत्त्व आदेश प्ररूपणा -
- मोह प्रकृति सत्त्व की विभक्ति अविभक्ति
- मूलोत्तर प्रकृति सत्त्व स्थानों की ओघ प्ररूपणा।
- मूल प्रकृत्ति सत्त्व स्थान सामान्य प्ररूपणा
- मोह प्रकृति सत्त्व स्थान सामान्य प्ररूपणा।
- मोह सत्त्व स्थान ओघ प्ररूपणा - ( कषायपाहुड़ 2/ पृष्ठ), ( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/393-398 ), ( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/405-410 ), ( गोम्मटसार कर्मकांड/655-659/846-848 )
- मोह सत्त्व स्थान आदेश प्ररूपणा विशेष
- मोह सत्त्व स्थान आदेश प्ररूपणा
- नाम प्रकृति सत्त्वस्थान सामान्य प्ररूपणा - ( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/208-216 ); (पं.सं./सं./5/222-229); ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./610/817); ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./620-824); ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./759/931) कुल सत्त्व स्थान=13; कुल सत्त्व योग=93।
- जीव पदों की अपेक्षा नामकर्म सत्त्व स्थान प्ररूपणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./623-828)
- नाम कर्म सत्त्व स्थान ओघ प्ररूपणा - ( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/217 ); ( पंचसंग्रह / प्राकृत/402-417 ); ( गोम्मटसार कर्मकांड/692-702/872 ); (पं.सं./सं./5/416-428)।
- नाम कर्म सत्त्व स्थान आदेश प्ररूपणा - - ( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/218-219,419-472 ); (पं.सं./सं./5/230-231); ( गोम्मटसार कर्मकांड/712-738/881-887 )
- नाम प्रकृति सत्त्व स्थान पर्याप्तापर्याप्त प्ररूपणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड/704-712/878 )
- मोह स्थिति सत्त्व की ओघप्ररूपणा - ( कषायपाहुड़ 3/ पृष्ठ) अंत:=अंत:कोड़ाकोड़ी सागर
- मोह स्थिति सत्त्व की आदेश प्ररूपणा - ( कषायपाहुड़ 3/ पृष्ठ) अंत:=अंत:कोड़ाकोड़ी सागर
- मूलोत्तर प्रकृति चतुष्क की प्ररूपणाओं संबंधी सूची
- अनुभाग सत्त्व की ओघ आदेश प्ररूपणा संबंधी सूची - कषायपाहुड़ 5/
सत्त्व योग्य प्रकृतियाँ - नाना जीवों की अपेक्षा=148। एक जीव की अपेक्षा सर्वत्र 6 विकल्प हैं -
1. बद्धायुष्क तीर्थंकर रहित =145;
2. बद्धायुष्क आहारक द्विक रहित =144;
3. बद्धायुष्क आहारक द्विक व तीर्थंकर रहित =143;
4. अबद्धायुष्क तीर्थंकर रहित =144;
5. अबद्धायुष्क आहाकरद्विक रहित =143;
6. अबद्धायुष्क आहारक द्विक व तीर्थंकर रहित =142;
नोट - इस प्रकार सत्त्व योग्य प्रकृतियों के आधार पर प्रत्येक गुणस्थान में अपनी ओर से एक जीव की अपेक्षा छह-छह विकल्प बना लेने चाहिए। प्रमाण - ( पंचसंग्रह / प्राकृत/3/49-63 ); ( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/489-500 ); (पं.सं./सं./3/61-77); (पं.सं./सं./5/462-477); ( गोम्मटसार कर्मकांड/336-343/488-496 )।
गुणस्थान व्युच्छित्ति की प्रकृतियाँ असत्त्व कुल सत्त्व योग्य असत्त्व सत्त्व व्युच्छि. शेष सत्त्व योग्य 1 x x 148 x 148 x 148 2 x तीर्थंकर व आ.द्वि 148 3 145 x 145 3 तीर्थंकर 148 1 147 x 147 1. उपशम व क्षयोपशम सम्यक्त्व 4 x x 148 x 148 x 148 5 x नरकायु 148 1 147 x 147 6 x नरक व तिर्यंचायु 148 2 146 x 146 7 x नरक व तिर्यंचायु 148 2 146 x 146 8-11 x नरक व तिर्यंचायु 148 2 146 x 146 2. क्षायिक सम्यक्त्व - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/512/4 ) 4 नरकायु, तिर्यंचायु, दर्शनमोह की 3, अनंतानुबंधी 4 =8 दर्शनमोह, अनंता-7 148 7 141 8 140 5 तिर्यंचायु=1 x 140 x 140 1 139 6 x x 139 x 139 x 139 7 उपशम श्रेणी में=x; क्षपक श्रेणी में=देवायु=1 x 139 x 139 x 138 3. क्षायिक सम्यक्त्व उपशम श्रेणी - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/512/4 ) 8-11 x x 138 x 138 x 138 4. क्षायिक सम्यक्त्व क्षपक श्रेणी - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/336-343/488-496 ) नोट - अबद्धायुष्क ही क्षपक श्रेणी पर चढ़े।
8 x x 138 x 138 x 138 9/i नरकद्विक, तिर्यंच द्वि; 1-4 इंद्रिय, स्त्यानगृद्धित्रिक, आतप, उद्योत, सूक्ष्म, साधारण, स्थानवर=16 x 138 x 138 16 122 9/ii प्रत्याख्यान 4, अप्रत्याख्यान 4=8 x 122 x 122 8 114 गुणस्थान पुरुष वेदोदय सहित मोह सत्त्व स्थान व्युच्छित्ति की प्रकृतियाँ सत्त्व योग्य व्युच्छि. शेष सत्त्व 9/iii 13 नपुंसक वेद 114 1 113 9/iv 12 स्त्री वेद 113 1 112 9/v 11 हास्यादि छह नोकषाय 112 6 106 9/vi 5 पुरुष वेद 106 1 105 9/vii 4 सं.क्रोध 105 1 104 9/viii 3 सं.मान 104 1 103 9/ix 2 सं.माया 103 1 102 स्त्री वेदोदय सहित 9/iii 13 x 114 x 114 9/iv 13 स्त्री वेद 114 1 113 9/v 12 नपुंसक वेद 113 1 112 9/vi 11 पुरुष वेद व हास्यादि 6 112 1 105 9/vii 4 सं.क्रोध 105 1 104 9/viii 3 सं.मान 104 1 103 9/ix 2 सं.माया 103 1 102 नंपुसक वेदोदय सहित 9/iii 13 x 114 x 114 9/iv 13 x 114 x 114 9/v 13 स्त्री व नपुंसक वेद 114 2 112 9/vi 11 पुरुष वेद, हास्यादि 6 112 7 105 9/vii 4 सं.क्रोध 105 1 104 9/viii 3 सं.मान 104 1 103 9/ix 2 सं.माया 103 1 102 गुणस्थान व्युच्छित्ति की प्रकृतियाँ असत्त्व कुल सत्त्व योग्य असत्त्व सत्त्व व्युच्छि. शेष सत्त्व योग्य 10 संज्वलन लोभ=1 x 102 x 102 1 101 12/i (द्विचरम समय में) निद्रा, प्रचला=2 x 101 x 101 2 99 12/ii (अंत समय में) 5 ज्ञानावरणी, 4 दर्शनावरणी, 5 अंतराय=14 x 99 x 99 14 85 13 x x 85 x 85 x 85 14/i (द्विचरम समय) 5 शरीर, 5 बंधन, 5 संघात, 6 संस्थान, 6 संहनन, 3 अंगोपांग, 5 वर्ण, 2 गंध, 5 रस, 8 स्पर्श=50+स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, स्वरद्वय, देवद्विक, विहायोगतिद्वय, दुर्भग, निर्माण, अयश, अनादेय, प्रत्येक, अपर्याप्त, अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छ्वास, अनुदयरूप अन्यतम वेदनीय, नीचगोत्र=72 x 85 x 85 72 13 14/ii (चरम समय में) शेष उदयवाली वेदनीय, मनुष्यत्रिक, पंचेंद्रिय सुभग, त्रस, बादर, पर्याप्त, आदेय, यश, तीर्थंकर, उच्चगोत्र =13 x 13 x 13 13 x
द्रष्टव्य - ( धवला 6/268 ) प्रथमोपशम सहित संयमासंयम के अभिमुख सातिशय मिथ्यादृष्टि का स्थिति सत्त्व इस सारणी में कथित अंत:कोटाकोटि से संख्यात गुणा हीन अंत:कोटाकोटि जानना।
संकेत - अंत: को.को.=अंत: कोड़ा कोड़ी सागर; ब.=बध्यमान आयुष्क; भु.=भुज्यमान आयुष्क
द्वि. स्थान=निंब व कांजीर रूप अनुभाग; चतु:स्थान=गुड़ खंड शर्करा अमृत रूप अनुभाग।
क्र. प्रकृति का नाम सत्त्व प्रकृति स्थिति अनुभाग प्रदेश 1 ज्ञानावरणीय - पाँचों हैं अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 2 दर्शनावरणीय - 1 निद्रा-निद्रा है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 2 प्रचला-प्रचला है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 3 स्त्यानगृद्धि है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 4 शेष सर्व है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 3 वेदनीय - 1 साता है अंत को.को. चतु:स्थान अजघन्य 2 असाता है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 4 मोहनीय - 1 दर्शनमोह प्रकृति स्थान प्रस्थान (28) (27)
i सम्यग् प्रकृति है नहीं अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य ii मिथ्यात्व है है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य iii सम्यग्मिथ्यात्व है नहीं अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य सम्यग्मिथ्यात्व 26 प्र.स्था.में भी है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 2 चारित्र मोह - i अनंता.चु. है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य ii अप्रत्याख्यान है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य iii प्रत्याख्यान है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य iv संज्वलन चतु. है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य v सर्व नोकषाय है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 5 आयु - 1 नरक, तिर्यंचगति ब.भु.है ब.भु.है द्विस्थान अजघन्य 2 मनुष्य ,देवगति
ब.भु.है ब.भु.है चतु.स्थान अजघन्य 6 नाम - 1 नरक, तिर्यंचगति है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य मनुष्य, देवगति है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 2 1-4 इंद्रि.जाति है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य पंचेंद्रिय जाति है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 3 औदारिक शरीर है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य वैक्रियक शरीर है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य आहारक शरीर नहीं नहीं नहीं नहीं तैजस कार्माण है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 4 अंगोपांग - स्व स्व शरीरवत् - 5 निर्माण है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 6 बंधन - स्व स्व शरीरवत् - 7 संघात - स्व स्व शरीरवत् - 8 सम चतुरस्रसंस्थान है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य शेष पाँच है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 9 वज्र ऋषभ नाराच है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य शेष पाँच संहनन है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 10- वर्ण, गंध, रस व अंत को.को. 13 स्पर्श: प्रशस्त है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य अप्रशस्त है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 14 आनुपूर्वी - स्व स्व शरीरवत् - 15 अगुरुलघु है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 16 उपघात है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 17 परघात है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 18 आतप है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 19 उद्योत है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 20 उच्छ्वास है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 21 विहायोगति - प्रशस्त है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य अप्रशस्त है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 22 प्रत्येक है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 23 साधारण है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 24 त्रस है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 25 स्थावर है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 26 सुभग है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 27 दुर्भग है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 28 सुस्वर है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 29 दु:स्वर है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 30 शुभ है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 31 अशुभ है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 32 बादर है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 33 सूक्ष्म है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 34 पर्याप्त है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 35 अपर्याप्त है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 36 स्थिर है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 37 अस्थिर है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 38 आदेय है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 39 अनादेय है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 40 यश:कीर्ति है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 41 अयश:कीर्ति है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 42 तीर्थंकर नहीं नहीं नहीं नहीं 7 गोत्र - 1 उच्च है अंत को.को. चतु.स्थान अजघन्य 2 नीच है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य 8 अंतराय - पाँचों है अंत को.को. द्विस्थान अजघन्य
द्रष्टव्य - इस सारिणी में केवल सत्त्व तथा असत्त्व योग्य प्रकृतियों का उल्लेख किया गया है, सत्त्व-व्युच्छित्ति का नहीं। उसका कथन सर्वत्र ओघवत् जानना। जिस स्थान में जिस प्रकार प्रकृति का असत्त्व कहा गया है, उस स्थान में उस उस प्रकृति को छोड़ कर शेष प्रकृतियों की व्युच्छित्ति ओघवत् जान लेना। जहाँ कुछ विशेषता है, वहाँ उसका निर्देश कर दिया गया है। सत्त्व असत्त्व का कथन भी यहां तीन अपेक्षाओं से किया गया है - उद्वेलना रहित सामान्य जीवों की अपेक्षा, स्वस्थान उद्वेलना युक्त जीवों की अपेक्षा और उत्पन्न स्थान उद्वेलना युक्त जीवों की अपेक्षा।
क्र. मार्गणा गुणस्थान असत्त्व कुल सत्त्व योग्य असत्त्व सत्त्व कुल गुणस्थान 1 गति मार्गणा - (1) नरक गति - ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./346/498) 1 सामान्य देवायु =1 148 1 147 4 उद्वेलना सहित देखो आगे पृथक् शीर्षक 2 1-3 पृथिवी - नरकगति सामान्यवत् - 3 4-6 पृथिवी देवायु, तीर्थंकर =2 148 2 146 4 4 7 पृथिवी देव, मनुष्यायु, तीर्थ =3 148 3 145 4 (2) तिर्यंच गति - ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./346/499-500) 1 सामान्य तीर्थंकर =1 148 1 147 5 उद्वेलना सहित देखो आगे पृथक् शीर्षक अविरत सम्यग्दृष्टि नरक व मनुष्य आयु की व्युच्छित्ति =2 147 x 147 - संयतासंयत x 147 2 145 - 2 पंचेंद्रिय प. - सामान्य तिर्यंचवत् - 3 योनिमति प. - सामान्य तिर्यंचवत् - 4 तिर्यंच ल.अप. तीर्थ, देवायु, नरकायु =3 148 3 145 1 (3) मनुष्यगति - ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./346/503) 1 सामान्य x 148 x 148 14 उद्वेलना सहित देखो आगे पृथक् शीर्षक संयतासंयत तिर्यंच, नरकायु =2 148 2 146 - 2 मनुष्य पर्याप्त - मनुष्य सामान्यवत् 3 मनुष्यणी प. (तीर्थ सहित क्षपक) 7 स्त्री वेद की व्युच्छित्ति =1 146 x 146 - मनुष्यणी प. (तीर्थ सहित क्षपक) 8 x 146 1 145 4 ल.अप.मनुष्य तीर्थ, देवायु, नरकायु =3 148 3 145 1 (4) देवगति - ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा/346/503) 1 सामान्य नरकायु =3 148 1 147 4 उद्वेलना सहित देखो आगे पृथक् शीर्षक 2 भवनत्रिक देव तीर्थंकर, नरकायु =2 148 2 146 4 3 सौधर्म ईशानदेवी - भवनत्रिकवत् - 4 सौधर्म-सहस्रार - सामान्य देववत् - 5 आनत-नवग्रैवेयक नरक, तिर्यंचायु =2 148 2 146 4 6 अनुदिश-सर्वार्थसिद्धि नरक, तिर्यंचायु =2 148 2 146 1 चौथा (5) चारों गति के उद्वेलना सहित जीव 1 सामान्य(3 प्रकृतियों के असत्त्व वाले) देवायु, तीर्थंकर,नरकायु=3 148 3 145 - 2 आहर.द्वि.की उद्वेलना सहित को आहारक द्विक =2 145 2 143 3 सम्यग् की द्वि.उद्वेलना सहित को सम्यक्त्व मोह =1 143 1 142 4 मिश्र की द्वि. उद्वेलना सहित को मिश्र मोह =1 142 1 141 2 इंद्रिय मार्गणा - 1-4 इंद्रिय 1 सामान्य उद्वेलना सहित को - तीर्थंकर, देव, नरकायु =3 148 3 145 2 आहा.द्वि. =2 145 2 143 2 सम्यक् प्रकृति =1 143 1 142 2 (i) उत्पन्न उद्वेलना मिश्र =1 142 1 141 2 (ii) उत्पन्न उद्वेलना उच्चगोत्र =1 141 1 140 2 (iii) उत्पन्न उद्वेलना मनुष्यद्विक =2 140 2 138 2 i स्वस्थान उद्वेलना देवद्विक =2 141 2 139 2 ii स्वस्थान उद्वेलना नरक चतु.(नरक द्विक, क्रि.द्विक) =4 139 4 135 2 iii उत्पन्न स्थान उद्वेलना से युक्त होने पर उच्चगोत्र मनुष्य द्विक =3 139 3 136 2 iv उत्पन्न स्थान उद्वेलना से युक्त होने पर उच्चगोत्र मनुष्य द्विक =3 135 3 132 2 2 पंचेंद्रिय x 148 x 148 14 3 काय मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा/349-351/503-506) 1 पृथि.अप.वन.सा देवायु, नरकायु, तीर्थ. =3 148 3 145 2 पृथि.द्विविध उद्वेलना सहित - 1-4 इंद्रियवत् - 2 तेज.वातकाय.सा. देव, नरक, मनुष्यायु, तीर्थ.=4 148 4 144 1 तेज.उत्पन्न स्थान उद्वेलना सहित आहारक द्विक =2 144 2 142 1 सम्यक्त्व मोह =1 142 1 141 1 मिश्र मोह =1 141 1 140 1 देव द्विक =2 140 2 138 1 नरक द्वि.,वैक्रि.द्वि =4 138 4 134 1 स्व स्थान में उद्वेलना सहित उच्च गोत्र =1 134 1 133 1 मनुष्य द्वय =2 133 2 131 1 3 पंचेंद्रिय - x 148 x 148 14 4 योगमार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा/352-353/506-508) 1 चार मन, चार वचन व औदारिक काय योग x 148 x 148 12,13 2 आहारक व आ.मिश्र नरकायु, तिर्यंचायु =2 148 2 146 1(6ठा) 3 वैक्रियक x 148 x 148 4 1 तीर्थंकर प्रकृतिवाला तीसरे नरक तक वा देवगति में जाता है। 4 वैक्रियक मिश्र तिर्यंच, मनुष्यायु =2 148 2 146 4 1,4 146 x 146 - 2 आ.द्वि.,तीर्थ.,नरकायु =4 146 4 142 - 5 औदारिक मिश्र. देवायु, नरकायु =2 148 2 146 1,2,4व 13 वां 6 कार्माण 148 x 148 4 - वैक्रियक मिश्र व सयोगीवत् - - - - - 5 वेद मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/508/1 ) 1 पुरुष वेद x 148 x 148 14 2 स्त्री वेद सा. x 148 x 148 14 स्त्री क्षपक श्रेणी तीर्थंकर 148 1 147 6(8-14) 3 नपुंसक वेद - स्त्रीवेदवत् - - - - - 6 कषाय मार्गणा - क्रोधादि में गुणस्थान 9 लोभ में गुणस्थान 10 148 x 148 9 या 10 7 ज्ञान मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/508/6 ) 1 कुमति, कुश्रुत, विभंग x 148 x 148 2 2 मति, श्रुत, अवधि x 148 x 4-12 3 मन:पर्यय नरक तिर्यंचायु =2 148 2 146 6-12 4 केवल ओघवत् व्युच्छित्ति =63 148 63 85 13-14 8 संयम मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/508/9 ) 1 सामान्य 2 सामायिक छेदोपस्था. नरक तिर्यंचायु =2 148 2 146 6-9 3 परिहार विशुद्धि नरक तिर्यंचायु =2 148 2 146 6-7 4 सूक्ष्म सांपराय (उप.) नरक तिर्यंचायु =2 148 2 146 1 (10) सूक्ष्म सांपराय (क्षपक) ओघवत् 46 व्युच्छि. =46 148 46 102 10 वां 5 यथाख्यात उप.xउपशम. नरक, तिर्यंचायु =2 148 2 146 1 (11वां) यथाख्यात क्षा. (xउपशम.) नरक, तिर्यंच, देवायु,दर्शन मोह की 3, अनंतानुबंधी 4 =10 148 10 138 11 वां यथाख्यात (क्षा.xक्षपक.) ओघवत् व्युच्छिन्न 47=47 148 47 101 12-14 6 संयतासंयत नरकायु =1 148 1 147 1 (5 वां) 7 असंयत x 148 x 148 1-4 9 दर्शन मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/509/5 ) 1 चक्षु, अचक्षु दर्शन x 148 x 148 1-12 2 अवधि दर्शन x 148 x 148 4-12 3 केवल दर्शन ओघवत् व्युचिछन्न =63 148 63 85 13-14 10 लेश्या मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354/509/7 ) 1 कृष्ण, नील तीर्थंकर =1 148 1 147 4 2 कापोत 1 x 148 x 148 4 3 पीत, पद्म x 148 x 148 1-7 1 तीर्थंकर =1 (तीर्थ.सत्त्व वाला नरक जाने के सम्मुख होय तभी सम्यक्त्व को छोड़े। परंतु तब लेश्या भी कापोत हो जाये। क्योंकि शुभ लेश्या में सम्यक्त्व की विराधना नहीं होती।)
148 1 147 - 4 शुक्ल 148 x 148 8-13 11 भव्यत्व मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/354-355/509-510/16 ) 1 भव्यत्व x 148 x 148 14 2 अभव्यत्व तीर्थ., सम्य.,मिश्रमोह, आ.द्वि.,आ.बंधन संघात द्वय=7 148 7 141 1 12 सम्यक्त्व मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/512/1 ) 1 क्षायिक सम्यक्त्व नरक, तिर्यंचायु, दर्शनमोह 3, अनंतानुबंधी =9 148 9 139 4-14 2 वेदक सम्यक्त्व x 148 x 148 4-7 3 उपशम सम्यक्त्व x 148 x 148 4-11 4 द्वितीयोपशम ( लब्धिसार 220 ) अनंतानुबंधी 4,नरक, तिर्यंचायु =6 148 6 142 4-11 4 सम्यग्मिथ्यात्व तीर्थंकर =1 148 1 147 1 (3 रा) 5 सासादन तीर्थंकर, आ.द्वि. =3 148 3 145 1 (2 रा) 6 मिथ्यादृष्टि x 148 x 148 1 13 संज्ञी मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/513/7 ) 1 संज्ञी x 148 x 148 1-12 2 असंज्ञी तीर्थंकर =1 148 1 147 2 14 आहारक मार्गणा - ( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/355/512/9 ) 1 आहारक x 148 x 148 13 2 अनाहारक x 148 x 148 5 (1,2,4,13,14) 1,2,4 - कार्माण काय योगवत् - - - - - 13 - ओघवत् - - - - -
प्रमाण - कषायपाहुड़ 2/101/83-87 ।
संकेत - 28 प्र.=मोह की सर्व 28 प्रकृतियाँ 7 प्र.=दर्शन मोह 3+अनंतानुबंधी 4; 6प्र.=मिथ्यात्व रहित उक्त 7; 2 प्र.=सम्य., व मिश्र मोह वि.=विभक्ति; अवि.=अविभक्ति। शेष के लिए देखो सारणी सं.1 का प्रारंभ।
प्रमाण मार्गणा विभक्ति अविभक्ति की प्रकृति या शेष की विभक्ति 28 प्र. 7 प्र. 6 प्र. 2 प्र. अन्य विकल्प 1 गति मार्गणा 83 नरक गति सामान्य x 7 प्र. x x x 84 प्रथम पृथिवी x 7 प्र. x x x 84 2-7 पृथिवी x x 6 प्र. x x 84 तिर्यंच सामान्य x 7 प्र. x x x 84 पंचेंद्रिय ति.सा.प. x 7 प्र. x x x 84 तिर्यंच योनिमति x x x 6 प्र. x 84 पंचे.ति.ल.अप. x x x 6 प्र. x 83 मनुष्य त्रिक x x x x x 84 मनुष्य ल.अप. x x x x x 84 देव सामान्य x x x x x 84 भवनत्रिक देवी x x x x x 84 सर्वकल्प वासी x x x x x 2 इंद्रिय मार्गणा 84 सर्व एकेंद्रिय प.अप. x x x x x 84 सर्व विकलेंद्रिय प.अप. x x x x x 83 सर्व पंचेंद्रिय सा.प. x x x x x 84 सर्व पंचे.ल.अप. x x x x x 3 काय मार्गणा - इंद्रिय मार्गणावत् - - 4 योग मार्गणा 83 पाँचों मनोयोग x x x x x 83 पाँचों वचनयोग x x x x x 83 काय योग सामान्य x x x x x 83 औ.औ.मिश्र x x x x x 84 वै.,वै.मिश्र x x x x x 85 आ.,आ.मिश्र x x x x x 83 कार्माण x x x x x 5 वेद मार्गणा 85 स्त्री वेद x x x x अप्रत्य.आदि 12 कषाय.दर्शन मोह 3, नपु.=16 की वि.अवि.शेष 12 की अवि.। 85 पुरुष वेद x x x x संज्व.4, व पुरुष वेद के बिना 23 की विभक्ति अवि.और इन 5 की वि.। 85 नपुंसक वेद x x x x 12 कषाय, दर्शनमोह 3, नपुं. इन 16 की वि.अवि.। शेष 12 की वि.। अपगत वेद x x x x अनंतानु 4 के बिना 24 वि.अवि.अनंतानु.की विभक्ति। 6 कषाय मार्गणा 86 क्रोध x x x x संज्व.4 बिना 24 की वि.अवि. 86 मान x x x x संज्व.मान, माया, लोभ बिना 25 की वि.अवि.। 86 माया x x x x संज्व.माया, लोभ, बिना 27 की वि.अवि.। 86 लोभ x x x x संज्व.लोभ बिना 27 की वि.अवि.। 86 अकषायी x x x x अनंतानु.4 बिना 24 की वि.अवि.। 7 ज्ञान मार्गणा x x x x x 84 मति, श्रुत, अज्ञान x x x x x 84 विभंग ज्ञान x x x x x 83 मति, श्रुत, अवधि x x x x x 83 मन:पर्यय x x x x x 8 संयम मार्गणा 83 संयम सा. x x x x x 86 सामायि.छेदो. x x x x संज्व.लोभ बिना 27 की वि.अवि.। 84 परिहार विशुद्धि x x x x x 86 सूक्ष्म सांपराय x x x x संज्व.लोभ अनंता.4 बिना 23 की वि.अवि.। 86 यथाख्यात x x x x अनंता.4 बिना 24 की वि.अवि.। 84 संयतासंयत x x x x x x असंयत x x x x x 9 दर्शन मार्गणा 83 चक्षु, अचक्षु x x x x x 83 अवधि x x x x x 10 लेश्या मार्गणा 84 कृष्णादि 5 x x x x x 84 शुक्ल x x x x x 11 भव्य मार्गणा 83 भव्य x x x x 87 अभव्य x x x x सम्य.,मिश्र मोह बिना 26 की वि.अवि.। 12 सम्यक्त्व मार्गणा 83 सम्यक्त्व सा. x x x x x 87 क्षायिक x x x x अनंता.4, दर्शनमोह 3 बिना 21 की वि.अवि.। 87 वेदक x x x x अनंता.4, सम्य., मिश्र मोह बिना 22 की वि.अवि.। 87 उपशम x x x x अनंता.4 बिना 24 की वि.अवि.। 87 सम्यग्मिथ्यादृष्टि x x x x अनंता.4 बिना 24 की वि.अवि.। 87 सासादन x x x x सर्व 28 की वि.।xकी वि.अवि.। मिथ्यादृष्टि x x x x x 13 संज्ञी मार्गणा 83 संज्ञी x x x x x 85 असंज्ञी x x x x x 14 आहारक मार्गणा 83 आहारक x x x x x 83 अनाहारक x x x x x
संकेत - ब.=बद्धयमान आयुष्क; भु.=भुज्यमान आयुष्क। स्थान सं. अबद्धायुष्क के भंग कुल सत्त्व योग असत्त्व सत्त्व प्रकृति प्रति स्थान भंग बद्धायुष्क के भंग प्रति स्थान भंग अबद्धायुष्क के भंग स्थान का स्वामी असत्त्व की प्रकृतियाँ विवरण विवरण 1 मिथ्यादृष्टि - ( गोम्मटसार कर्मकांड/366-371/522-535 )। कुल स्थान 18 (बद्धा.10, अबद्धा.8); कुल भंग=50 (बद्धा.26,अबद्धा.24) 1 तीर्थंकर नरकायु बद्ध मनुष्य नरक जाने के सम्मुख तिर्यंच, देवायु 148 2 146 1 भुज्यमान मनुष्य, बद्धायमान नरक 1 भुज्यमान मनुष्य 2 तीर्थंकर रहित कोई भी जीव भु.ब.बिना 2 आयु तीर्थ.=3 148 3 145 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 अन्यतम भुज्यमानायु 3 तिर्यं,देवायु,आ.चतु. =6 148 6 142 1 मनुष्य नरकायु सहित 1 केवल 1 भुज्यमानायु 4 कोई2आयु,आ.चतु.तीर्थ.=7 148 7 141 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 अन्यतम भुज्यमानायु 5 उपरोक्त7+सम्यक्त्व =1 141 1 140 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 अन्यतम भुज्यमानायु 6 उपरोक्त+सम्यक्त्व+मिश्र=2 141 2 139 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 अन्यतम भुज्यमानायु 7 देवद्विक की उद्वेलना वाला चतुरिंद्रिय उपरोक्त 9 व देवद्विक =2 139 2 137 1 भुज्यमान तिर्यंच, बद्धयमान मनुष्य अथवा भु.ति., ब.ति., भु.मनुष्य, ब.ति. 4 अन्यतम भुज्यमानायु 8 नरक द्विक, वै.द्वि, देव द्वि.की, की उद्वेलना वाला चतुरिंद्रिय उपरोक्त 11+(नरक द्विक, देवद्विक वैक्रियक द्विक)=6 137 6 131 1 भुज्यमान तिर्यंच, बध्यमान मनुष्य 2 मनुष्य या तिर्यंचायु 9 उच्चगोत्र के उद्वेलना वाला तेज.,वात कायिक उपरोक्त 17+मनुष्यायु उच्चगोत्र =2 131 2 129 1 भुज्यमान तिर्यंच, बध्यमान तिर्यंच x पुनरुक्त 10 मनुष्यद्विक की उद्वेलना वाला उपरोक्त तेज वात कायिक उपरोक्त 19 व मनुष्य द्विक 129 2 127 1 भुज्यमान तिर्यंच, बध्यमान तिर्यंच x पुनरुक्त 26 24 2 सासादन - ( गोम्मटसार कर्मकांड/372-375/536-539 )। कुल स्थान=6 (बद्धा.2, अबद्धा.4); कुल भंग=18 (बद्धा.6,अबद्धा.12) 1 भु.ब.बिना 2 आयु, तीर्थ.,आ.चतु. 148 141 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 2 आ.चतु के बंधवाले किसी को सासादन की प्राप्तिहोय भु.ब.बिना 2 आयु,तीर्थ.=3 148 145 1 2 3 नं.1 की 7 - ब.आयु =1 145 144 x x 4 4 नं.2 की 3 - ब.आयु =1 145 144 x x 2 6 12 3 मिश्र - ( गोम्मटसार कर्मकांड/372-375/536-539 )। कुल स्थान 8 (बद्धा.14, अबद्धा.4); कुल भंग=36 (बद्धा.20;अबद्धा.16) 1 भु.ब.बिना 2 आयु, तीर्थंकर 148 3 145 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 अन्यतम भुज्यमान 2 उपरोक्त 3 ÷ अनंता.4 145 4 145 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 अन्यतम भुज्यमान 3 उपरोक्त 3 + आ.चतु. 145 4 141 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 अन्यतम भुज्यमान 4 उपरोक्त 7 + अनंता.4 141 4 137 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 अन्यतम भुज्यमान 20 16 4 अविरत सम्यग्दृष्टि - ( गोम्मटसार कर्मकांड/376-381/540-549 ) कुल स्थान=40 (बद्धा.=20, अबद्धा.=20); कुल भंग=120 (बद्धा.=60,अबद्धा.=60) 1 तीर्थंकर सत्त्व तिर्य.को न हो। तिर्यं. व अन्य कोईआयु =2 148 2 146 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 3 2 उपरोक्त 2+अनंता.4 =4 146 4 142 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 3 3 उपरोक्त 6+मिथ्यात्व =1 142 1 141 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 1 4 उपरोक्त 6 + मिश्र व मिथ्यात्व = 2 142 2 140 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 3 5 उपरोक्त 6+दर्शनमोह 3=3 142 3 139 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 3 6 तीर्थ.,भु.ब.बिना 2 आयु=3 148 3 145 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 7 भु.ब. बिना 2 आयु, अन.4, तीर्थ.= 7 148 7 141 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 8 मनुष्य उपरोक्त 7+मिथ्यात्व =8 148 8 140 3 भु.मनु.,ब.ति.,नारक, देव। ब.मनु.,पुनरुक्त 1 9 उपरोक्त7+मिथ्यात्व,मिश्र=9 148 9 139 3 भु.मनु.,ब.ति.,नारक, देव। ब.मनु.,पुनरुक्त 4 10 उपरोक्त7+दर्शनमोह 3=10 148 10 138 4 भु.नरक,ब.मनु.,भु.ति.ब.देव, भु.मनु.,ब.देव,भु.मनु.ब.ति.। 3 11 ति.व अन्य कोई आयु, आ.चतु.= 6 148 6 142 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 3 12 +4 अनंतानु.= 4 142 4 138 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 3 13 +मिथ्यात्व = 1 138 1 137 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 1 14 + मिश्र = 1 137 1 116 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 3 15 + सम्यक्त्व = 1 136 1 135 2 भु.मनु.,ब.नरक,भु.मनु.,ब.देव Vice versa 3 16 अन्यतम 2 आयु, तीर्थ., आ.चतु.= 7 148 7 141 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 17 + 4अनंतानु.= 4 141 4 137 5 (देखो आयु कर्म के सत्त्व स्थान) 4 18 + मिथ्यात्व = 1 137 1 136 3 भु.मनु.ब.ति.,नारक, देव/ब.मनुष्य, पुनरुक्त 1 19 +मिश्र =1 136 1 135 3 भु.मनु.ब.ति.,नारक, देव/ब.मनुष्य, पुनरुक्त 4 20 +सम्यक्त्व =1 135 1 134 4 देखो नं. (10) 4 60 60 5 देश संयत - ( गोम्मटसार कर्मकांड/382/550 ) कुल स्थान=40 (बद्धा.=20, अबद्धा.=20); कुल भंग=48 (बद्धा.=24,अबद्धा.=24) 1-5 अविरतवत् अविरतवत् 1x5 बीसों स्थानों में भु.मनु.,ब.देव का एक भंग 1x5 भु.मनुष्य 6,7 अविरतवत् अविरतवत् 2x2 भु.मनु.,ब.देव/भु.ति.,ब.देव। 2x2 भु.मनु.या तिर्यंच 8-15 अविरतवत् अविरतवत् 1x8 भु.मनु.,ब.देव का एक भंग सर्वत्र 1x8 भु.मनुष्य सर्वत्र 16-17 अविरतवत् अविरतवत् 2x2 सं.6,7 वत् 2x2 सं.6,7 वत् 18-20 अविरतवत् अविरतवत् 1x3 सं. 1-5 वत् 1x3 सं. 1-5 वत् 24 24 6-7 प्रमत्त अप्रमत्त - ( गोम्मटसार कर्मकांड/382/550 ) कुल स्थान=40 (बद्धा.=20, अबद्धा.=20); कुल भंग=120 (बद्धा.=60,अबद्धा.=60) 1-20 अविरतवत् अविरतवत् 1x20 भु.मनु.,बद्धा.देव का एक भंग सर्वत्र 1x20 भु.मनुष्य सर्वत्र 20 20
8. उपशम श्रेणी/उप.क्षा.सम्यक्त्व (अपूर्वकरण)
( गोम्मटसार कर्मकांड/383-384/551-553 ) - स्थान=24; भंग=24।
द्रष्टव्य - कनकनंदि सिद्धांत चक्रवर्ती के अनुसार यहाँ स्थान नं.1,2,7,8,13,14,11 इन आठ स्थानों को छोड़कर 16 स्थान व 16 भंग होते हैं। ( गोम्मटसार कर्मकांड 391/558 )।
संकेत - देखें सारणी सं.1 का प्रारंभ।
स्थान सं. असत्त्ववाली प्रकृतियाँ पहले सत्त्व योग्य असत्त्व अब सत्त्व योग्य भंग विवरण 1 नरक, तिर्यंच आयु 148 2 146 1 बद्धायु मनुष्य 2 145 1 अबद्धायु मनुष्य 3 अनंतानुबंधी चतु. 146 4 142 1 बद्धायु मनुष्य 4 141 1 अबद्धायु मनुष्य 5 दर्शनमोह त्रिक. 142 3 139 1 बद्धायु मनुष्य 6 138 1 अबद्धायु मनुष्य 7 नरक-तिर्यंच आयु+तीर्थंकर 148 3 145 1 बद्धायुष्क मनुष्य 8 144 1 अबद्धायु मनुष्य 9 अनंतानुबंधी चतु. 145 4 141 1 बद्धायु मनुष्य 10 140 1 अबद्धायु मनुष्य 11 दर्शनमोह त्रिक 141 3 138 1 बद्धायु मनुष्य 12 137 1 अबद्धायु मनुष्य 13 नरक-तिर्यंच आयु+आहा.चतु. 148 6 142 1 बद्धायु मनुष्य 14 141 1 अबद्धायु मनुष्य 15 अनंतानुबंधी चतुष्क 142 4 138 1 बद्धायु मनुष्य 16 137 1 अबद्धायु मनुष्य 17 दर्शनमोह त्रिक. 138 3 135 1 बद्धायु मनुष्य 18 134 1 अबद्धायु मनुष्य 19 नरक-तिर्य.आयु+आहा.चतु.+ तीर्थं. 148 7 141 1 बद्धायु मनुष्य 20 140 1 अबद्धायु मनुष्य 21 अनंतानुबंधी चतुष्क 141 4 137 1 बद्धायु मनुष्य 22 136 1 अबद्धायु मनुष्य 23 दर्शनमोह त्रिक 137 3 134 1 बद्धायु मनुष्य 24 133 1 अबद्धायु मनुष्य 9-11 उपशम श्रेणी/उपशम व क्षा.सम्यक्त्व (अनिवृत्तिकरणादि उपशांत कषाय पर्यंत)। ( गोम्मटसार कर्मकांड/385/553 ) स्थान 24; भंग 24।
द्रष्टव्य - आ.कनकनंदि के अनुसार स्थान 16, भंग=16।
8. क्षपक श्रेणी (अपूर्वकरण)
( गोम्मटसार कर्मकांड/385/553 ) - स्थान=4; भंग=4।
द्रष्टव्य - बद्धायुष्क को क्षपक श्रेणी संभव नहीं अत: केवल अबद्धायुष्क मनुष्य के ही स्थान हैं।
स्थान सं. असत्त्व वाली प्रकृतियाँ पहले सत्त्व योग्य असत्त्व अब सत्त्व योग्य भंग विवरण 1 तीन आयु+अनंत चतु.+दर्शनमोह त्रिक. 148 10 138 1 x 2 तीर्थंकर 138 1 137 1 x 3 आहारक चतु. 138 4 134 1 x 4 आहारक चतु.+तीर्थंकर 138 5 133 1 x 9. क्षपक श्रेणी (अनिवृत्तिकरण)
( गोम्मटसार कर्मकांड/386-388/554-555 ) - स्थान=36; भंग=
द्रष्टव्य - गो.सा.में पुरुष वेदी व स्त्रीवेदी दोनों के समान आलाप मानकर कुल स्थान 36 बताये हैं, पर सारणी 1 के अनुसार पुरुष व स्त्रीवेदी के आलापों में कुछ अंतर होने से यहाँ स्थान 44 बनते हैं।
संकेत - पुं.वेदी=पुरुषवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।
स्त्रीवेदी - स्त्रीवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।
नपुं.वेदी=नपुंसकवेदोदय सहित श्रेणी चढ़ने वाला।
द्रष्टव्य - केवल अबद्धायुष्क मनुष्य के आलाप ही संभव है क्योंकि बद्धायुष्क क्षपक श्रेणी पर नहीं चढ़ सकता।
गुणस्थान सत्त्व स्थान असत्त्ववाली प्रकृतियाँ पहले सत्त्व योग्य असत्त्व अब सत्त्व योग्य भंग विवरण 9/i 1 3 आयु+अनंत चतु.+दर्शन मोह त्रि.=व्युच्छिन्न 148 10 138 1 x 2 तीर्थंकर 138 1 137 1 x 3 आहारक चतुष्क 138 4 1 x 4 आहा.चतु.+तीर्थंकर 138 5 1 x 9/ii 1 नरक द्वि, तिर्यंच द्वि 1-4 इंद्रिय, स्त्यान.त्रिक, आतप, उद्योत, सूक्ष्म, साधारण,स्थावर = 16 व्युच्छिन्न 138 16 1 x 2 तीर्थंकर 122 1 121 1 x 3 आहारक चतुष्क 121 4 118 1 x 4 आहारक चतुष्क+तीर्थंकर 122 5 117 1 x 9/iii 1 अप्रत्या.4+प्रत्या.4 =8व्युच्छिन्न 122 8 114 1 x 2 तीर्थंकर 114 1 113 1 x 3 आहारक चतुष्क 114 4 110 1 x 4 आहारक चतुष्क+तीर्थंकर 114 5 109 1 x 9/iv 1 x 114 x 114 1 स्त्रीवेदी व नपुं.वेदी 2 तीर्थंकर 114 1 113 1 स्त्रीवेदी व नपुं.वेदी नपुंसक 114 1 ... 1 पुरुष वेदी 3 तीर्थंकर+नपुंसक 114 2 112 1 पुरुष वेदी 4 आहारक चतुष्क 114 4 110 1 स्त्रीवेदी व नपुं.वेदी 5 आहारक चतुष्क + नपुंसक 114 5 109 1 पुरुष वेदी आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 114 5 109 1 स्त्रीवेदी व नपुं.वेदी 6 आहा.चतु.+तीर्थंकर+नपुंसक 114 6 108 1 पुरुष वेदी 9/v 1 x 114 x 114 1 नपुंसक वेदी 2 तीर्थंकर 114 1 113 1 नपुंसक वेदी स्त्री वेद 114 1 113 1 पुरुषवेदी व स्त्रीवेदी 3 तीर्थंकर + स्त्रीवेद 114 2 112 1 पुरुषवेदी व स्त्रीवेदी 4 आहारक चतुष्क 114 4 110 1 नपुंसक वेदी 5 आहारक चतुष्क + स्त्रीवेदी 114 5 109 1 पुरुषवेदी+स्त्रीवेदी आहारक चतुष्क+तीर्थंकर 114 5 109 1 नपुंसक वेदी 6 आहारक चतु.+तीर्थंकर+स्त्री. 114 6 108 1 पुरुषवेदी व स्त्रीवेदी 9/vi 1 स्त्री.व नपुं. =2 व्युच्छिन्न 114 2 112 1 स्त्रीवेदी व नपुं.वेदी 2 तीर्थंकर 112 1 111 1 स्त्रीवेदी व नपुं.वेदी 3 आहारक चतुष्क 112 4 108 1 स्त्रीवेदी व नपुं.वेदी 4 आहारक चतुष्क+तीर्थंकर 112 5 107 1 स्त्रीवेदी व नपुं.वेदी 5 हास्यादि = 6 व्युच्छिन्न 112 6 106 1 पुरुष वेदी 6 तीर्थंकर 106 1 105 1 पुरुष वेदी 7 आहारक चतुष्क 106 4 102 1 पुरुष वेदी 8 आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 106 5 101 1 पुरुष वेदी 9/vii 1 पुरुष वेद = 1 व्युच्छिन्न 106 1 105 1 तीनों वेदी 2 तीर्थंकर 105 1 104 1 तीनों वेदी 3 आहारक चतुष्क 105 4 101 1 तीनों वेदी 4 आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 105 5 100 1 तीनों वेदी 9/viii 1 संज्वलन क्रोध =1 व्युच्छिन्न 105 1 104 1 x 2 तीर्थंकर 104 1 103 1 x 3 आहारक चतुष्क 104 4 100 1 x 4 आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 104 5 99 1 x 9/ix 1 संज्वलन मान =1 व्युच्छिन्न 104 1 103 1 x 2 तीर्थंकर 103 1 1 x 3 आहारक चतुष्क 103 4 1 x 4 आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 103 5 1 x 10. क्षपक श्रेणी (सूक्ष्म सांपराय) ( गोम्मटसार कर्मकांड 389/556 ) - स्थान=4; भंग=4 1 संज्वलन माया =1 व्युच्छिन्न 103 1 1 x 2 तीर्थंकर 102 1 1 x 3 आहारक चतुष्क 102 4 1 x 4 आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 102 5 1 x 12. क्षीणकषाय - ( गोम्मटसार कर्मकांड 389/556 ) - स्थान=8; भंग=8 1 संज्वलन लोभ =1 व्युच्छिन्न 102 1 101 1 x 2 तीर्थंकर 101 1 100 1 x 3 आहारक चतुष्क 101 4 97 1 x 4 आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 101 5 96 1 द्विचरम समय 5 निद्रा, प्रचला = 2 व्युच्छिन्न 101 2 99 1 चरम समय 6 तीर्थंकर 99 1 98 1 चरम समय 7 आहारक चतुष्क 99 4 95 1 चरम समय 8 आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 99 5 94 1 चरम समय 13. सयोगकेवली - ( गोम्मटसार कर्मकांड 390/557 ) - स्थान=4; भंग=4 1 5 ज्ञानावरण+5 दर्शनावरण+4 अंतराय =14 व्युच्छिन्न 99 1 x 2 तीर्थंकर 85 1 x 3 आहारक चतुष्क 85 1 x 4 आहारक चतुष्क + तीर्थंकर 85 1 x 14. अयोगकेवली - ( गोम्मटसार कर्मकांड 390/557 ) - स्थान=8; भंग=8 1-4 सयोगीवत् चारों स्थान द्वि चरम समय तक 5 व्युच्छित्ति=72 (देखें सारणी नं - 1) 85 72 13 1 चरम समय 6 तीर्थंकर 13 1 1 1 चरम समय 7 व्युच्छित्ति = 13 13 13 13 1 चरम समय के अंत में 8 व्युच्छित्ति = 12 12 12 12 1
संकेत - देखो सारणी 1 का प्रारंभ
सं. मार्गणा कुल स्थान प्रतिस्थान प्रकृति प्रति स्थान भंग प्रकृतियों का विवरण 1 ज्ञानावरणीय - ( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/4,24 ); (पं.सं./सं./5/5-30); ( गोम्मटसार कर्मकांड/630/830 ) 1-12 गुणस्थान 1 5 x पाँचों ज्ञानावरणीय 1 2 दर्शनावरणीय - ( गोम्मटसार कर्मकांड/631-32/831 ) 1 1-9/i 1 9 1 सर्व दर्शनावरणी 2 9/ii-12/i 1 6 1 स्त्यागृद्धि त्रिक् रहित 6 3 12/ii 1 4 1 चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल 3 3 वेदनीय - ( गोम्मटसार कर्मकांड/633-634/832 ) 1 1-14/i 1 2 1 दोनों वेदनीय 2 14/ii 1 1 1 सात या असाता 2 4 मोहनीय (देखो पृथक् सारणी) 5 आयु - ( गोम्मटसार कर्मकांड/366-371/522-535 ) 1 बद्धायुष्क 2 1 2 (i) भु.मनु., बध्य.मनु. (ii) भु.तिर्यंच, बध्य.तिर्यंच
2 5 (i) भु.मनु.,ब.ति. ii व vice versa (ii) भु.मनु.,ब.नारक व vice versa
(iii) भु.ति.,ब.नारक व vice versa
(iv) भु.ति.,ब.नारक व vice versa
(v) भु.ति., ब.देव व vice versa
2 अबद्धायुष्क 1 1 4 अन्यतम भुज्यमान आयु से 4 भंग 3 6 नाम - (देखो पृथक् सारणी) 7 गोत्र - ( गोम्मटसार कर्मकांड/635/833-835 ) 1 1-14/i 1 2 1 दोनों गोत्र 2 14/ii 1 1 1 उच्च गोत्र 2 8 अंतराय - ( गोम्मटसार कर्मकांड/630/830/ ) 1 1-12/ii 1 5 1 पाँचों अंतराय
( कषायपाहुड़ 2/ पृष्ठ), ( पंचसंग्रह / प्राकृत/5/33-36 ), (पं.सं./सं./5/42-47) कुल सत्त्व योग्य=28; कुल सत्त्व स्थान=15
द्रष्टव्य - अनिवृत्तिकरण में मोहनीय के क्षय का क्रम :
1. नवें गुणस्थान के काल के संख्यातवें भाग को व्यतीत करके (अप्रमत्त व प्रमत्त) 8 प्रकृतियों का क्षय करता है।
2. अनंतर अंतर्मुहूर्त बिता कर क्रम से (9/i) में दर्शायी 16 का क्षय करता है।
3. ओघ में प्ररूपणा पुरुषवेद सहित चढ़ने वालों की हैं। यदि स्त्रीवेद, नपुंसक वेद के साथ श्रेणी चढ़े तो 9/iii व 9/iv में तीनों वेदों की क्षपणा 6 नो कषायों के साथ युगपत् प्रारंभ करता है। तहाँ पुरुष वेद की अंतिम खंड को क्षपणा के निकट उससे पहले ही स्त्री व नपुंसक वेदों के अंतिम खंडों का अभाव हो जाता है। तब वहाँ 9/iv स्थान बजाय 5 के सत्त्व के 11 के सत्त्ववाला बनता है। फिर पुरुष वेद व 6 नोकषाय को युगपत् क्षय करके 9/vii में पुरुषवेदीवत् ही 4 का सत्त्व कर लेता है।
संकेत - देखो सारणी सं.1 का प्रारंभ
सं. मार्गणा गुणस्थान प्रतिस्थान प्रकृति प्रमाण प्रकृतियों का विवरण प्रमाण स्वामी जीव विवरण कषायपाहुड़ 2/ पृ. कषायपाहुड़ 2/ पृ. 1 211 क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 9/x 1 202 संज्वलन लोभ 2 212 क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 9/ix 2 202 संज्वलन लोभ, माया 3 212 क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 9/viii 3 202 संज्वलन लोभ, माया व मान 4 212 क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 9/vii 4 202 चारो संज्वलन 5 212 क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 9/vi 5 203 4 संज्वलन व पुरुष वेद 6 212 क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 9/v 11 203 4 संज्वलन, पुरुष वेद, 6 नो कषाय 7 212 क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 9/iv 12 203 4 संज्वलन, 6 नो कषाय, पु.स्त्री वेद, 8 212 क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 9/iii 13 203 4 संज्वलन, 6 नो कषाय, 3 वेद, 9 212 दर्शन मोह के क्षय सहित चारों गति के जीव 9/ii 21 203 4 अनंतानुबंधी रहित चारित्र मोह की 25 10 212 दर्शन मोह क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी 4-7 कृत-कृत्य वे 22 203 उपरोक्त 21 व सम्यक् प्रकृति 11 217 दर्शन मोह क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी (मिथ्यात्व का क्षय कर चुका हो शेष दो का क्षय करना बाकी हो) 4-7 23 203 मिथ्यात्व, अनंतानुबंधी रहित सर्व 12 218 चर्तुगति उपशम या वेदक सम्यग्दृष्टि या सम्यग्मिथ्यादृष्टि अनंता. की विसंयोजना सहित 13 221 चर्तुगति के अनादि या सादि मिथ्यादृष्टि 1 26 203 सम्य. व मिश्र मोह 14 221 चर्तुगति के सादि मिथ्यादृष्टि (मिश्र मोह की उद्वेलना सहित) 1 27 203 सम्यक् प्रकृति रहित सर्व 15 221 उपशम व वेदक सम्यग्दृष्टि, यो.1-3 गु.स. 1-4 28 203 सर्व
द्रष्टव्य - (सत्त्व स्थान में प्रकृतियों का विवरण देखो सारणी सं.4 )
सं. प्रमाण गुणस्थान विकल्प नं.1 विकल्प नं.2 विकल्प नं.3 विकल्प नं.4 कषायपाहुड़ 2/ पृ. सादि मिथ्यादृष्टि अनादि मि. सातिशय मि. 1 मिथ्यादृष्टि 26,27,28 26 26 2 सासादन 28 x x 3 सम्यग्मिथ्यात्व 28 x x सम्यक्त्व क्षायिक कृतकृत्य वेदक वेदक उपशम 4 212/221 अविरत सम्यक्त्व 21 22,23,24 28 28 5 212/221 संयतासंयत 21 22,23,24 28 28 6 212/221 प्रमत्तसंयत 21 22,23,24 28 28 7 212/221 अप्रमत्तसंयत 21 22,23,24 28 28 212/221 अप्रमत्त सा. x 22,23,24 x x क्षपक श्रेणी - पुरुषवेदी आरोहक स्त्रीवेदी आरोहक नपुंसक वेदी आरोहक 8 212/221 अपूर्वकरण 21 21 21 8 212 अनिवृत्तिकरण (i) 21 21 21 द्रष्टव्य - सारणी सं.1 अनिवृत्तिकरण (ii) 21 21 21 अनिवृत्तिकरण (iii) 13 13 13 अनिवृत्तिकरण (iv) 13-नपुं.=12 13 13 अनिवृत्तिकरण (v) 12-स्त्री=11 12 (13-स्त्रीवेद) 13 अनिवृत्तिकरण (vi) 11-6 नो कषाय=5 11(12-नपुं.) 11 (13 स्त्रीवेद) अनिवृत्तिकरण (vii) 5-पु.वेद=4 4(11-पु.वेद 6 कषाय) 4 (11-पु.वेद 6 नोकषाय) अनिवृत्तिकरण (viii) 5 3 3 अनिवृत्तिकरण (ix/i) 2 2 2 अनिवृत्तिकरण (ix/ii) 1 (बादर) 1 (बादर) 1 बादर 10 211 सूक्ष्मसांपराय 1 सूक्ष्म 1 सूक्ष्म 1 सूक्ष्म 12 क्षीणकषाय x x x उपशम श्रेणी उपशम सम्यक्त्व - 8-11 28-24 के दो स्थान उपशम श्रेणी क्षायिक सम्यकत्व - 8-11 21 का स्थान
सं. मार्गणा स्थान सं. मार्गणा स्थान 1 गति अपेक्षा - सम्यक्त्व अपेक्षा - पर्याप्त - पर्याप्त - 1 चारों में अन्यतम गति के जीव पर्याप्त 10 अन्यतम सम्यक्त्व 2 केवल मनुष्य गति के जीव पर्याप्त 11 केवल क्षायिक सम्यक्त्व 3 मनुष्य व देव गति के जीव पर्याप्त 12 केवल कृतकृत्य वेदक सम्यक्त्व 4 मनुष्य व तिर्यंच गति के जीव पर्याप्त 13 केवल वेदक सम्यक्त्व 5 देव व नरक गति के जीव पर्याप्त 14 केवल उपशम सम्यक्त्व 6 नरक व मनुष्य गति के जीव पर्याप्त 15 उपशम व वेदक सम्यक्त्व 7 देव मनुष्य व तिर्यंच गति के जीव पर्याप्त 16 उपशम वेदक सम्यग्दृष्टि व सम्यग्मिथ्यादृष्टि 8 देव मनुष्य व नरक गति के जीव पर्याप्त 17 उपर्युक्त सं.16+सासादन व सादि मिथ्यादृष्टि 9 मनुष्य, तिर्यंच व नरक गति के जीव पर्याप्त 18 सादि मिथ्यादृष्टि व सासादन द्रष्टव्य - (i) यह 9 स्थान 'पर्याप्तक' के जानने
(ii)इन्हीं 9 स्थानों को 'अपर्याप्तक' बनाने के लिए पर्याप्त के स्थान पर अपर्याप्त लिख लेना।
(iii) इन्हीं 9 स्थानों को पर्याप्तापर्याप्त बनाने के लिए पर्याप्त के स्थान पर उभय लिख लेना।
19 वेदक सम्यक्त्व, मिश्र., सासादन, मिथ्या. 20 सादि मिथ्यादृष्टि 21 अनादि मिथ्यादृष्टि 22 सादि अनादि मिथ्यादृष्टि वेद की अपेक्षा - 23 केवल पुरुष वेद
प्रमाण - ( कषायपाहुड़ 2/ पृष्ठ), संकेत - प्रकृतियों का विवरण देखो सारणी सं.4
प्रमाण मार्गणा कुल सत्त्व स्थान प्रति स्थान प्रकृतियाँ प्रत्येक स्थान का क्रमश: स्वामित्व विशेष (देखें सारणी सं - 9) 1 गति मार्गणा - 221 नरक गति - 221 सामान्य 6 28,27,26,24,22,21 17,20,22,15,12/अ.,10 221 प्रथम पृथिवी 6 28,27,26,24,22,21 17,20,22,15,12/अ.,10 221 2-7 पृथिवी 4 28,27,26,24 17,20,22,15 तिर्यंचगति - 221 सामान्य 6 28,27,26,24,22,21 17,20,22,15,12/अ.भोग भूमि, 10 221 पंचेंद्रिय सा.व प. 6 28,27,26,24,22,21 17,20,22,15,12/अ.भोग भूमि, 10 221 पंचेंद्रिय योनिमति 4 28,27,26,24 17,20,22,15 223 लब्ध्यपर्याप्त तिर्यंच 3 28,27,26 20,20,22 मनुष्य गति - 223 सामान्य - ओघवत् -- 223 मनु. पर्या. व मनुष्यणी - ओघवत् -- 224 मनुष्य ल.अप. 3 28,27,26 देवगति - 222 सामान्य 6 28,27,26,24,22,21 17,20,22,15/अ.12/23/अ.11-23 222 भवनत्रिक देव 4 28,27,26,24 17,20,22,15 222 सौधर्मादि देवियाँ 4 28,27,26,24 17,20,22,15 222 सौधर्म-नवग्रैवेयक 6 28,27,26,24,22,21 17,20,22,15/अ.12/23/अ.11/23 222 अनुदिश-सर्वार्थसिद्धि 4 28,24,22,21 15,15,12/अ.,11 2 इंद्रिय मार्गणा - 224 एकेंद्रिय सर्व भेद 3 28,27,26 18,20,22 224 विकलेंद्रिय सर्व भेद 3 28,27,26 20,20+22 224 पंचेंद्रिय सामान्य व पर्याप्त 15 - ओघवत् -- 224 पंचेंद्रिय लब्ध्यपर्याप्त 3 28,27,26 20,20,22 3 काय मार्गणा - 224 सर्व स्थावर 3 28,27,26 20,20,22 224 त्रस सा. व पर्याप्त 15 - ओघवत् -- 224 त्रस लब्ध्यपर्याप्त 3 28,27,26 20,20,22 4 योग मार्गणा - 224 5 मन, 5 वचन, व काय सामान्य योगी 15 - ओघवत् -- 224 औदारिक काय - ओघवत् -- 225 औदारिक मिश्र 6 28 2/अ./13,2/अ.भोग भू.12 28 ति.अ.भोग भूमि/12 28,27,26 4/अ./18, 4/अ./20, 4/अ.20 24,22 व 21 2/अ./13, 4/अ.योग/13 225 वैक्रियक 28,27,26,24,21 5/17,5/20,5/22 226 वैक्रियक मिश्र 9 उपरोक्त सर्व + 22 5/अ.के उपरोक्त सर्व+5 अ./12 226 आहारक व आहारक मिश्र 3 28,24,21 13,13,11 226 कार्माण 6 28,28,28,27,26,24,24 1/18,3/13,देव/14,1/20,1/22,3/13, देव14,1/12,1/11 (यहाँ तिर्यंच को भोगभूमिज ही जानना।) 5 वेद मार्गणा - 227 स्त्रीवेदी 9 28,27,26,24 23,22,13,12,21
7/17,7/20,7/22,7/15 2/12,2 क्षपक, 2/11
227 पुरुषवेदी 11 28,27,26,24 21,23,22
13,12,11,5
7/17,7/20,7/22,7/15 7/11,2/12,7/12 व
ओघवत्
258 नपुंसकवेदी 9 28,27,26,24 22,21,13,13,12
9/17,9/20,9/22,9/15 6/12,6/11,2/12 ओघवत्
229 अपगतवेदी 8 24,21 11,5,4,3,2,1
उपशांत कषाय 6 कषाय मार्गणा - 229 क्रोध 12 28 से 4 तक - ओघवत् 229 मान 13 28 से 3 तक - ओघवत् 229 माया 14 28 से 2 तक - ओघवत् 229 लोभ 15 28 से 1 तक - ओघवत् 229 अकषायी 2 24,21 उपशांत कषाय 7 ज्ञान मार्गणा - 224 मति, श्रुत अज्ञान 3 28,27,26 18,20,22 224 विभंग 3 28,27,26 18,20,22 229 मति, श्रुतज्ञान 13 28,24 से 1 1/15, ओघवत् 229 अवधिज्ञान 13 28,24 से 1 1/15, ओघवत् 229 मन:पर्ययज्ञान 13 28,24 से 1 1/15, ओघवत् 8 संयम मार्गणा - संयम सामान्य 229 सामायिक, छेदोपस्थापन 13 28,24 से 2 2/5, ओघवत् 230 परिहार विशुद्धि 5 28,24,23,22,21 2/15,15,12,11 230 सूक्ष्म सांपराय 3 24,21 1 उपशामक, क्षपक 229 यथाख्यात 2 24,21 उपशांत कषाय 230 संयमासंयम 5 28,24,23,22,21 4/15,4/15,2/12,2/11 230 असंयम 0 28 से 21 तक ओघवत् 9 दर्शन मार्गणा - 222 चक्षु - - ओघवत् -- अचक्षु - - ओघवत् -- 229 अवधि 13 28,24 से 1 1/15, ओघवत् 10 लेश्या मार्गणा - 230 कृष्ण 5 28,28,27,26,24,21 1/19,9/15,1/20,1/22,9/15,2/11 230 नील 5 28,28,27,26,24,21 230 कापोत 2 22 21
ति.अपर्याप्त भोग भूमिज 6/उभय/12,11
231 पीत, पद्म 7 28,27,26,24 21,23,22
7/17, 7/20, 7/22, 7/15 7/11, 2/12, 3/12 देव अपर्याप्त
231 शुक्ल 15 22, सर्व 15 स्थान ओघवत् 11 भव्यत्व मार्गणा - 222 भव्य ओघवत् --- 232 अभव्य 1 26 21 12 सम्यक्त्व मार्गणा - 229 सम्यक्त्व सामान्य 13 28,24 से 1 तक 1/15 ओघवत् 232 क्षायिक 9 21 से 1 तक 1/11 ओघवत् 232 वेदक 4 28,24,23,22 1/13, 1/13, 2/13, 1/12 232 उपशम 2 28,24 1, 1 232 सम्यग्मिथ्यात्व 2 28,24 1, 1 232 सासादन 1 28 1 234 मिथ्यादृष्टि 3 28,27,26 20,20,22 13 संज्ञी मार्गणा - 223 संज्ञी ओघवत् --- 224 असंज्ञी 3 28,27,26 18,20,22 14 आहारक मार्गणा - 222 आहारक ओघवत् --- 232 अनाहारक कार्माणकाय योगवत् ---
सं. स्वामी जीव गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./620-824 प्रतिस्थान प्रकृति प्रकृतियों का विवरण ( गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा./610/817) 1 कर्म भूमिज मनु.प.व नि.अप.असंयमादि वैमानिक देव असंयत 93 2 2 सासादन रहित चतुर्गति के जीव 92 93-तीर्थंकर 3 देव सम्यग्दृष्टि, मनुष्य, नारकी सम्यक् व मिथ्यादृष्टि 91 93-आहारक द्विक् 4 अनिवृत्तिकरण में प्रकृतियों का क्षय भये पीछे चतुर्गति। 90 93-आहारक द्विक् व तीर्थंकर 5 देव द्विक् की उद्वेलना, एकेंद्रिय या विकलेंद्रिय के हो तो वह मरकर जहाँ उपजे वहाँ तिर्यंच, मनुष्य मिथ्यादृष्टि भी उस उद्वेलना सहित रहे हैं। 88 उपर्युक्त 90-देवद्विक् 6 उपर्युक्त सं.5 जीव नारकद्विक् की उद्वेलना कर ले तो। 84 उपर्युक्त 88-नारक द्विक् व वैक्रियक द्विक् 7 मनुष्यद्विक् की उद्वेलना भये तेज, वात कायिक या अन्य 88 वाले स्थानवत् होय ऐसा तिर्यंच सा मिथ्यादृष्टि 82 93-(तीर्थंकर, आहारक द्वि.,देवद्विक्, नारकद्विक्, वैक्रियक द्वि., मनुष्य द्विक् 8 अनिवृत्तिकरण 9/ii से 14/i तक 80 93-(नरक द्वि., तिर्यंच द्वि., 1-4 इंद्रिय आतप, उद्योत, सूक्ष्म, साधारण, स्थावर। 9 अनिवृत्तिकरण 9/ii से 14/i तक 79 80-तीर्थंकर 10 अनिवृत्तिकरण 9/ii से 14/i तक 78 80-आहारक द्विक् 11 अनिवृत्तिकरण 9/ii से 14/i तक 77 80-आहारक द्वि., तीर्थंकर 12 तीर्थंकर अयोगी का अंतसमय 10 मनुष्य गति, पंचे., सुभग, त्रस, बादर, पर्याप्त, आदेय, यश, तीर्थंकर, मनुष्यानुपूर्वी 13 सामान्य अयोगी का अंतसमय 9 उपर्युक्त 10-तीर्थंकर
क्र. मार्गणा कुल स्थान प्रति स्थान प्रकृतियाँ 1 नारकी सामान्य 3 90, 91, 92 2 नारकी (4-7 पृ.) 2 90, 92 3 तिर्यंच (सर्व) 3 82, 84, 88 4 मनुष्य सामान्य 12 82 रहित सर्व 5 अयोग केवली 4 77, 78, 79, 80, 9, 10 6 सयोग केवली 4 77, 78, 79, 80 7 आहारक 2 92, 93 8 सर्व भोग भूमि मनुष्य, तिर्यंच 2 90, 93 9 वैमानिक देव 4 90, 91, 92, 93 10 भवनत्रिक 2 90, 92 11 सर्व सासादनवर्ती 1 90
संकेत - सत्त्व स्थान - प्रकृतियों का विवरण=देखो सारणी सं.11।
गुण स्थान कुल स्थान प्रतिस्थान प्रकृति (देखो सारणी सं.11) गुणस्थान कुल स्थान प्रतिस्थान प्रकृतियाँ (देखो सारणी सं.11) 1 6 82, 84, 88, 90, 91, 92 8 4 90, 91, 92, 93 2 1 90 9 8 क्षपक 77,78,79,80 उपशमक 90,91,92,93
3 2 90, 92 10 8 पूर्वोक्त नवम गुणस्थानवत् 4 4 90, 91, 92, 93 11 4 90, 91, 92, 93 5 4 90, 91, 92, 93 12 4 77, 78, 79, 80 6 4 90, 91, 92, 93 13 4 77, 78, 79, 80 7 4 90, 91, 92, 93 14 6 9, 10, 77, 78, 80
क्र. मार्गणा कुल स्थान प्रति स्थान प्रकृति (देखो सारणी सं.11) 1 गति मार्गणा - 1 नरक 3 90, 91, 92 2 तिर्यंच 5 82, 84, 88, 90, 92 3 मनुष्य 12 77,78,79,80,84,88,90,91,92,93,9,90 4 देव 4 90, 91, 92, 93 2 इंद्रिय मार्गणा - 1 एकेंद्रिय 5 82, 84, 88, 90, 92 2 विकलेंद्रिय 5 82, 84, 88, 90, 92 3 पंचेंद्रिय 13 77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93,9,10 3 काय मार्गणा - 1 पृ., अप., तेज.,वायु., वन. 5 82,84,88,90,91,92 2 त्रस 13 पंचेंद्रियवत् 4 योग मार्गणा - 1 सर्व मन वचन 12 77,78,89,80,82,84,88,90,91,92,93,9,10 2 औदारिक 11 77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93 3 औदारिक मिश्र 11 77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93 4 वैक्रियक 4 90, 91, 92, 93 5 वैक्रियक मिश्र 4 90, 91, 92, 93 6 आहारक 2 92, 93 7 आहारक मिश्र 2 92, 93 8 कार्माण 11 77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93 5 वेद मार्गणा - 1 स्त्री वेद 9 77,79,82,84,88,90,91,92,93 2 नपुंसक वेद 9 पूर्वोक्त स्त्रीवेदवत् 3 पुरुष वेद 11 77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93 7 ज्ञान मार्गणा - 1 मति, श्रुतअज्ञान 6 82,84,88,90,91,92 2 विभंग 3 90,91,92 3 मति, श्रुत, अवधि 8 77,88,79,80,90,91,92,93 4 मन:पर्यय 8 77,88,79,80,90,91,92,93 5 केवल 6 77,78,79,80,9,10 8 संयम मार्गणा - 1 सामायिक छेदोपस्थापन 8 77,78,79,80,90,91,92,93 2 परिहार विशुद्धि 4 90,91,92,93 3 सूक्ष्म सांपराय 8 77,78,89,80,90,91,92,93 4 यथाख्यात 10 77,78,79,80,90,91,92,93,9,10 5 देश संयत 4 90,91,92,93 6 असंयत 7 82,84,88,90,91,92,93 9 दर्शन मार्गणा - 1 चक्षु दर्शन 9 77,79,82,84,88,90,91,92,93 2 अचक्षु दर्शन 9 77,79,82,84,88,90,91,92,93 3 अवधि दर्शन 8 77,78,79,80,90,91,92,93 4 केवल दर्शन 6 77,78,79,80,9,10 10 लेश्या मार्गणा - 1 कृष्णादि 3 7 82,84,88,90,91,92,93 2 पीत 4 90,91,92,93 3 पद्म 4 90,91,92,93 4 शुक्ल 8 77,78,79,80,90,91,92,93 11 भव्य मार्गणा - 1 भव्य 13 सर्व स्थान 2 अभव्य 4 82,84,88,90 12 सम्यक्त्व मार्गणा - 1 क्षायिक 10 77,78,79,80,90,91,92,93,9,10 2 वेदक 4 90,91,92,93 3 उपशम 4 90,91,92,93 4 सम्यक् मिथ्यात्व 2 90, 93 5 सासादन 1 90 6 मिथ्यादृष्टि 6 82,84,88,90,91,92,93 13 संज्ञी मार्गणा - 1 संज्ञी 9 77,78,82,84,88,90,91,92,93 2 असंज्ञी 5 82,84,88,90,91 14 आहारक मार्गणा - 1 आहारक 9 77,79,82,84,88,90,91,92,93 2 अनाहारक सामान्य 11 77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93 3 अनाहारक अयोगी 2 9, 10
क्र. मार्गणा कुल स्थान प्रति स्थान प्रकृति (देखो सारणी सं.11) 1 अपर्याप्तक - 1 अपर्याप्त सातों समास 5 82,84,88,90,92 2 सर्व एके. विकलेंद्रिय तथा असंज्ञी पर्याप्त 5 82,84,88,90,92 3 संज्ञी पर्याप्त 11 77,78,79,80,82,84,88,90,91,92,93
क्र. प्रकृति प्रमाण जघन्य स्थिति क्षपक श्रेणी में ही संभव 1 मिथ्यात्व 203 2 समय 2 सम्यग्मिथ्यात्व 203 2 समय 3 सम्यक्प्रकृति 205 1 समय 4 अनंतानुबंधी 4 2 समय 5 8 कषाय 203 2 समय 6 संज्वलन क्रोध 207 अंत: कम 2 मास 7 संज्वलन मान 208 अंत: कम 1 मास 8 संज्वलन माया 209 अंत: कम 1/2 मास 9 संज्वलन लोभ 205 1 समय 10 6 कषाय 210 संख्यात वर्ष 11 स्त्री वेद 205 1 समय 12 पुरुष वेद 209 अंत: कम 8 वर्ष 13 नपुंसक वेद 205 1 समय 14 संक्रमण होने के पश्चात् शेष बची सम्यक्प्रकृति 205 1 समय
प्रमाण गुणस्थान व प्रकृति
स्थिति सत्त्व
जघन्य प्रमाण उत्कृष्ट 1. मिथ्यादृष्टि - 9 मोह सामान्य 1 सा.पल्य/असं. देखें स्थिति - 61 70 को.को.सा. 194 मिथ्यात्व 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
देखें स्थिति - 61 70 को.को.सा. 195 सम्य.मिश्रमोह 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
देखें स्थिति - 61 अंत: कम 1 सा. 197 16 कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
देखें स्थिति - 61 40 को.को.सा. 197 नो कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
देखें स्थिति - 61 1 आवली कम 1 सा. 2. सासादन - 11 सामान्य मोह अंत:को.को. सा. देखें स्थिति - 61 अंत:को.को. सा. 200 दर्शन मोह त्रिक 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
देखें स्थिति - 61 अंत:को.को. सा. 200 16 कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
देखें स्थिति - 61 अंत:को.को. सा. 200 नो कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
देखें स्थिति - 61 अंत:को.को. सा. 3. सम्यग्मिथ्यादृष्टि - 10 मोह सामान्य अंत: देखें स्थिति - 61 अंत: कम 70 को.को.सा. 200 दर्शन मोह त्रिक 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: कम 70को.को.सा. 200 16 कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: कम 40को.को.सा. 200 नो कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: कम 40को.को.सा. 4. अविरत सम्यग्दृष्टि (क्षायिक) - 11 मोह सामान्य अंत: 11 अंत: 200 12 कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: 200 नो कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: 4. अविरत सम्यग्दृष्टि (वेदक) - 13 मोह सामान्य अंत:को.को. सा. 11 अंत: कम 70 को.को.सा. 203 दर्शन मोह त्रिक 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: कम 70 को.को.सा. 203 16 कषाय अंत:को.को. सा. 200 अंत: कम 40 को.को.सा. 203 नो कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: कम 40को.को.सा. 4. अविरत सम्यग्दृष्टि (उपशम) - 13 मोह सामान्य अंत: 11 अंत: 203 दर्शन मोह त्रिक 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: 203 16 कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: 203 नो कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: 5. संयतासंयत - 13 मोह सामान्य अंत: 11 अंत: 203 दर्शन मोह त्रिक 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: 203 16 कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: 203 नो कषाय 2 समय (देखें सत्त्व - 3.16)
200 अंत: 6-7. प्रमत्त अप्रमत्त संयत (सामान्य) - सामान्य संयत संयतासंयतवत् 10 संयतासंयतवत् सामान्य छेदोपस्थापन संयतासंयतवत् 200 संयतासंयतवत् 13 परिहार विशुद्धि संयतासंयतवत् 200 संयतासंयतवत् 6. क्षायिक सामायिक छेदोपस्थापन - मोह सामान्य 12 कषाय 9 कषाय 8-9 (उपशामक) - सर्व स्थान 200 संयतासंयतवत् 10. सूक्ष्म सांपराय उपशामक - सर्व स्थान देखें सत्त्व - 3.16 200 संयतासंयतवत् 11. उपशांत कषाय - मोह सामान्य अंत: 10 अंत: दर्शन मोह त्रिक देखें सत्त्व - 3.16 200 अंत: 12 कषाय देखें सत्त्व - 3.16 200 अंत: नो कषाय देखें सत्त्व - 3.16 200 अंत: 8-9 (क्षपक) - मोह सामान्य देखें सत्त्व - 3.16 12 कषाय देखें सत्त्व - 3.16 नो कषाय देखें सत्त्व - 3.16 10. सूक्ष्म सांपराय क्षपक - 12 मोह सामान्य 1 समय लोभ देखें सत्त्व - 3.16
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