अंतरिक्ष निमित्त ज्ञान: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>- | | ||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> '''अंतरिक्ष''', भौम, अंग, स्वर, व्यंजन, लक्षण, छिन्न और स्वप्न ये आठ निमित्त होते हैं । इनके द्वारा भावी शुभाशुभ जाना जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 62.180-181, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#117|हरिवंशपुराण - 10.117]] </span></p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ अंतरिक्ष | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ अंतरिक्ष लोक | अगला पृष्ठ ]] | [[ अंतरिक्ष लोक | अगला पृष्ठ ]] | ||
Line 9: | Line 11: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
अंतरिक्ष, भौम, अंग, स्वर, व्यंजन, लक्षण, छिन्न और स्वप्न ये आठ निमित्त होते हैं । इनके द्वारा भावी शुभाशुभ जाना जाता है । महापुराण 62.180-181, हरिवंशपुराण - 10.117