अंतरिक्ष
From जैनकोष
(1) अष्टांग निमित्त का एक भेद । अंतरिक्ष में चंद्र, सूर्य, यह, नक्षत्र और प्रकीर्णक ज्योतियाँ रहती हैं । इन ज्योतियों के उदय और अस्त से जय, पराजय, हानि, वृद्धि, शोक, जीवन, लाभ, अलाभ आदि का ज्ञान किया जाता है । महापुराण 62.182-183 हरिवंशपुराण - 10.117
(2) कृष्ण द्वारा जरासंध पर छोड़ा गया एक अस्त्र । हरिवंशपुराण - 52.51