गुरुदक्षिणा: Difference between revisions
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<p> शिक्षा-समाप्ति के पश्चात् शिष्य के द्वारा गुरु की आज्ञानुसार दी जाने वाली दक्षिणा । यह दक्षिणा शिष्य के पास धरोहर के रूप में भी रहती थी और आवश्यकता होने पर शिष्य से ले ली जाती थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.79-81 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> शिक्षा-समाप्ति के पश्चात् शिष्य के द्वारा गुरु की आज्ञानुसार दी जाने वाली दक्षिणा । यह दक्षिणा शिष्य के पास धरोहर के रूप में भी रहती थी और आवश्यकता होने पर शिष्य से ले ली जाती थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_17#79|हरिवंशपुराण - 17.79-81]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
शिक्षा-समाप्ति के पश्चात् शिष्य के द्वारा गुरु की आज्ञानुसार दी जाने वाली दक्षिणा । यह दक्षिणा शिष्य के पास धरोहर के रूप में भी रहती थी और आवश्यकता होने पर शिष्य से ले ली जाती थी । हरिवंशपुराण - 17.79-81