जांबवती: Difference between revisions
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<p> विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के जांबव नगर के राजा विद्याधर जांबव की रानी शिवचंद्रा की पुत्री, विश्वसेन की बहिन तथा कृष्ण की पटरानी । मधु के भाई कैटभ का जीव शंब नाम से इसी का पुत्र हुआ था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 43.218, 44.7-17, 48.4,8,60. 53 </span>पूर्व जन्म में यह वीतशोक नगर में दमक वैश्य की देविला नामक पुत्री थी । पति-वियोग से व्रत ग्रहण कर नंदनवन में यह व्यंतरी हुई । इसके पश्चात् यह विजयपुर नगर में मधुषेण वैश्य की बंधुयशा नाम की पुत्री हुई । मरकर यह प्रथम स्वर्ग में देवांगना हुई । इसके बाद पुंडरीकिणी नगरी में वज्र नामक वैश्य की सुमति नाम की पुत्री हुई । फिर ब्रह्म स्वर्ग में अप्सरा हुई । इस पर्याय में जांबव राजा की पुत्री हुई । <span class="GRef"> महापुराण 71.359-382 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के जांबव नगर के राजा विद्याधर जांबव की रानी शिवचंद्रा की पुत्री, विश्वसेन की बहिन तथा कृष्ण की पटरानी । मधु के भाई कैटभ का जीव शंब नाम से इसी का पुत्र हुआ था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_43#218|हरिवंशपुराण - 43.218]], 44.7-17, 48.4,8,60. 53 </span>पूर्व जन्म में यह वीतशोक नगर में दमक वैश्य की देविला नामक पुत्री थी । पति-वियोग से व्रत ग्रहण कर नंदनवन में यह व्यंतरी हुई । इसके पश्चात् यह विजयपुर नगर में मधुषेण वैश्य की बंधुयशा नाम की पुत्री हुई । मरकर यह प्रथम स्वर्ग में देवांगना हुई । इसके बाद पुंडरीकिणी नगरी में वज्र नामक वैश्य की सुमति नाम की पुत्री हुई । फिर ब्रह्म स्वर्ग में अप्सरा हुई । इस पर्याय में जांबव राजा की पुत्री हुई । <span class="GRef"> महापुराण 71.359-382 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के जांबव नगर के राजा विद्याधर जांबव की रानी शिवचंद्रा की पुत्री, विश्वसेन की बहिन तथा कृष्ण की पटरानी । मधु के भाई कैटभ का जीव शंब नाम से इसी का पुत्र हुआ था । हरिवंशपुराण - 43.218, 44.7-17, 48.4,8,60. 53 पूर्व जन्म में यह वीतशोक नगर में दमक वैश्य की देविला नामक पुत्री थी । पति-वियोग से व्रत ग्रहण कर नंदनवन में यह व्यंतरी हुई । इसके पश्चात् यह विजयपुर नगर में मधुषेण वैश्य की बंधुयशा नाम की पुत्री हुई । मरकर यह प्रथम स्वर्ग में देवांगना हुई । इसके बाद पुंडरीकिणी नगरी में वज्र नामक वैश्य की सुमति नाम की पुत्री हुई । फिर ब्रह्म स्वर्ग में अप्सरा हुई । इस पर्याय में जांबव राजा की पुत्री हुई । महापुराण 71.359-382