ज्ञानसागर: Difference between revisions
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<li> मुनि पद्मसिंह (ई.1086) कृत 63 गाथा और 74 शलोक प्रमाण ग्रंथ। विषय–कर्महेतुक संसार भ्रमण। ( | <li> मुनि पद्मसिंह (ई.1086) कृत 63 गाथा और 74 शलोक प्रमाण ग्रंथ। विषय–कर्महेतुक संसार भ्रमण। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /3</span>) </li> | ||
<li>काष्ठा संघ नंदितट गच्छ। गुरु परमपरा–वैश्वसेन विद्याभूषण, ज्ञान सागर। एक ब्रह्मचारी थे। कृतियें–अक्षर बावनी आदि हिंदी रचनायें, कथा संग्रह तथा ब्र.मतिसागर के पठनार्थ एक गुटका। समय–वि.श.17 (ई.श.17 पूर्व)। ( | <li>काष्ठा संघ नंदितट गच्छ। गुरु परमपरा–वैश्वसेन विद्याभूषण, ज्ञान सागर। एक ब्रह्मचारी थे। कृतियें–अक्षर बावनी आदि हिंदी रचनायें, कथा संग्रह तथा ब्र.मतिसागर के पठनार्थ एक गुटका। समय–वि.श.17 (ई.श.17 पूर्व)। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/442</span>), (<span class="GRef">हिंदी जैन साहित्य इतिहास/37/डा.कामता प्रसाद</span>)। </li> | ||
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Latest revision as of 17:22, 12 February 2024
- आचार्य देवसेन (ई.933-955) द्वारा रचित प्राकृत गाथाबद्ध ग्रंथ।
- मुनि पद्मसिंह (ई.1086) कृत 63 गाथा और 74 शलोक प्रमाण ग्रंथ। विषय–कर्महेतुक संसार भ्रमण। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /3)
- काष्ठा संघ नंदितट गच्छ। गुरु परमपरा–वैश्वसेन विद्याभूषण, ज्ञान सागर। एक ब्रह्मचारी थे। कृतियें–अक्षर बावनी आदि हिंदी रचनायें, कथा संग्रह तथा ब्र.मतिसागर के पठनार्थ एक गुटका। समय–वि.श.17 (ई.श.17 पूर्व)। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/442), (हिंदी जैन साहित्य इतिहास/37/डा.कामता प्रसाद)।