ज्योतिरंग: Difference between revisions
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<p> भोगभूमि में विद्यमान दस प्रकार के कल्पवृक्षों में प्रकाश देने वाले रत्न-निर्मित कल्पवृक्ष । ये प्रकाशमान कांति के धारक होते हैं तथा सदैव प्रकाश फैलाते रहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 3.39,56,80,9 35-36, 43, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.80-81, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> भोगभूमि में विद्यमान दस प्रकार के कल्पवृक्षों में प्रकाश देने वाले रत्न-निर्मित कल्पवृक्ष । ये प्रकाशमान कांति के धारक होते हैं तथा सदैव प्रकाश फैलाते रहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 3.39,56,80,9 35-36, 43, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#80|हरिवंशपुराण - 7.80-81]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92 </span></p> | ||
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Latest revision as of 16:34, 13 February 2024
भोगभूमि में विद्यमान दस प्रकार के कल्पवृक्षों में प्रकाश देने वाले रत्न-निर्मित कल्पवृक्ष । ये प्रकाशमान कांति के धारक होते हैं तथा सदैव प्रकाश फैलाते रहते हैं । महापुराण 3.39,56,80,9 35-36, 43, हरिवंशपुराण - 7.80-81, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92