धर्मभावना: Difference between revisions
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<p> बारहवीं अनुप्रेक्षा । इसमें यह चिंतन किया जाता है कि धर्म से ही जीव का कल्याण संभव है, उत्तम क्षमा आदि धर्म के बीज है, इन्हीं से दु:खों का नाश एवं मोक्ष प्राप्त होता है, तीन लोक की संपदाएं भी सरलता से इन्हीं से प्राप्त हो जाती है । <span class="GRef"> महापुराण 11.109 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 25.117-123, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 11.122-130 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> बारहवीं अनुप्रेक्षा । इसमें यह चिंतन किया जाता है कि धर्म से ही जीव का कल्याण संभव है, उत्तम क्षमा आदि धर्म के बीज है, इन्हीं से दु:खों का नाश एवं मोक्ष प्राप्त होता है, तीन लोक की संपदाएं भी सरलता से इन्हीं से प्राप्त हो जाती है । <span class="GRef"> महापुराण 11.109 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 25.117-123, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 11.122-130 </span></p> | ||
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बारहवीं अनुप्रेक्षा । इसमें यह चिंतन किया जाता है कि धर्म से ही जीव का कल्याण संभव है, उत्तम क्षमा आदि धर्म के बीज है, इन्हीं से दु:खों का नाश एवं मोक्ष प्राप्त होता है, तीन लोक की संपदाएं भी सरलता से इन्हीं से प्राप्त हो जाती है । महापुराण 11.109 पांडवपुराण 25.117-123, वीरवर्द्धमान चरित्र 11.122-130