धर्ममति: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) कौशांबी नगरी के सेठ सुभद्र और सेठानी सुमित्रा की पुत्री । इसने जिनमति आर्यिका के पास जिनगुण नाम का तप ग्रहण किया । तप करते हुए यह मरकर महाशुक्र स्वर्ग में इंद्राणी हुई थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.101-102 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) कौशांबी नगरी के सेठ सुभद्र और सेठानी सुमित्रा की पुत्री । इसने जिनमति आर्यिका के पास जिनगुण नाम का तप ग्रहण किया । तप करते हुए यह मरकर महाशुक्र स्वर्ग में इंद्राणी हुई थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#101|हरिवंशपुराण - 60.101-102]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.115 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.115 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
(1) कौशांबी नगरी के सेठ सुभद्र और सेठानी सुमित्रा की पुत्री । इसने जिनमति आर्यिका के पास जिनगुण नाम का तप ग्रहण किया । तप करते हुए यह मरकर महाशुक्र स्वर्ग में इंद्राणी हुई थी । हरिवंशपुराण - 60.101-102
(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.115