रेवती: Difference between revisions
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<p id="3">(3) भरतक्षेत्र मे हस्तिनापुर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा की धाय । इसने नंदयशा के सातवें पुत्र निर्नामक का पालन-पोषण किया था । <span class="GRef"> महापुराण </span>के अनुसार नंदयशा द्वारा सातवाँ पुत्र अलग कर दिये जाने पर यही उसे नंदयशा की | <p id="3" class="HindiText">(3) भरतक्षेत्र मे हस्तिनापुर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा की धाय । इसने नंदयशा के सातवें पुत्र निर्नामक का पालन-पोषण किया था । <span class="GRef"> महापुराण </span>के अनुसार नंदयशा द्वारा सातवाँ पुत्र अलग कर दिये जाने पर यही उसे नंदयशा की बड़ी बहिन बंधुमती को सौंपने गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण </span>71. 260-265, <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#141|हरिवंशपुराण - 33.141-144]] </span></p> | ||
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<p id="5">(5) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में वृद्ध ग्राम के राष्ट्रकूट वैश्य की स्त्री । इसके भगदत्त और भवदेव दो पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण </span>76.152-153 </p> | <p id="5" class="HindiText">(5) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में वृद्ध ग्राम के राष्ट्रकूट वैश्य की स्त्री । इसके भगदत्त और भवदेव दो पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण </span>76.152-153 </p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- एक नक्षत्र−देखें नक्षत्र ।
- श्रावस्ती नगरी की सम्यक्त्व से विभूषित एक श्राविका थी। मथुरास्थ मुनिगुप्त ने एक विद्याधर के द्वारा इसके लिए आशीष भेजी। तब उस विद्याधर ने ब्रह्मा व तीर्थंकर आदि का ढोंग रचकर इसकी परीक्षा ली। जिसमें यह अडिग रही थी। (वृहद कथा कोष/कथा 7)।
पुराणकोष से
(1) अरिष्टपुर के राजा के भाई रेवती की पुत्री । यह बलदेव की स्त्री थी । हरिवंशपुराण - 44.40-41 देखें रेवत
(2) एक नक्षत्र । पद्मपुराण - 20.50
(3) भरतक्षेत्र मे हस्तिनापुर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा की धाय । इसने नंदयशा के सातवें पुत्र निर्नामक का पालन-पोषण किया था । महापुराण के अनुसार नंदयशा द्वारा सातवाँ पुत्र अलग कर दिये जाने पर यही उसे नंदयशा की बड़ी बहिन बंधुमती को सौंपने गयी थी । महापुराण 71. 260-265, हरिवंशपुराण - 33.141-144
(4) सुकेतु के भाई विद्याधर रतिमाल की कन्या । यह बलभद्र को दी गयी थी । हरिवंशपुराण - 36.60-61
(5) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में वृद्ध ग्राम के राष्ट्रकूट वैश्य की स्त्री । इसके भगदत्त और भवदेव दो पुत्र थे । महापुराण 76.152-153