लवणसैंधव: Difference between revisions
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<p> लवणसमुद्र । इसके जल का स्वाद नमक के समान खारा होता है । इसके महामच्छों का सम्मूर्च्छन जन्म होता है । ये मच्छ इसके तट पर नौ योजन और मध्य में अठारह योजन लंबे होते हैं । तीर्थंकर वृषभदेव के राज्याभिषेक के लिए इस समुद्र का जल लाया गया था । <span class="GRef"> महापुराण 16. 213, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.628, 630, </span>देखें [[ | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> लवणसमुद्र । इसके जल का स्वाद नमक के समान खारा होता है । इसके महामच्छों का सम्मूर्च्छन जन्म होता है । ये मच्छ इसके तट पर नौ योजन और मध्य में अठारह योजन लंबे होते हैं । तीर्थंकर वृषभदेव के राज्याभिषेक के लिए इस समुद्र का जल लाया गया था । <span class="GRef"> महापुराण 16. 213, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#628|हरिवंशपुराण - 5.628]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#630|हरिवंशपुराण - 5.630]], </span>देखें [[ लवणांबोधि | लवणांबोधि ]]</p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
लवणसमुद्र । इसके जल का स्वाद नमक के समान खारा होता है । इसके महामच्छों का सम्मूर्च्छन जन्म होता है । ये मच्छ इसके तट पर नौ योजन और मध्य में अठारह योजन लंबे होते हैं । तीर्थंकर वृषभदेव के राज्याभिषेक के लिए इस समुद्र का जल लाया गया था । महापुराण 16. 213, हरिवंशपुराण - 5.628,हरिवंशपुराण - 5.630, देखें लवणांबोधि