लवणांकुश
From जैनकोष
राम और सीता का पुत्र । यह मदनांकुश के साथ युगल रूप में पुंडरीक नगर के राजा वज्रजंघ के यहाँ श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन जन्मा था । सिद्धार्थ क्षुल्लक ने इन्हें शस्त्र और शास्त्र विद्याएँ सिखाई थीं । विवाह योग्य होने पर राजा क्ज्रजंघ ने इन्हें शशिचूला आदि अपनी बत्तीस कन्याएँ दी थीं । इन दोनों भाइयों ने विवाह के पश्चात् दिग्विजय करके अनेक राजाओं को अपने अधीन किया था । नारद से राम और लक्ष्मण का परिचय ज्ञातकर तथा गर्भावस्था में उनके द्वारा सीता का त्याग किया जाना जानकर दोनों ने रामलक्ष्मण से घोर युद्ध किया था । राम और लक्ष्मण इन्हें परास्त नहीं कर सके वे । इस युद्ध में राम ने लवणांकुश का तथा लक्ष्मण ने मदनांकुश का सामना किया था । ये दोनों कुमार राम और लक्ष्मण का परिचय ज्ञात कर चुके थे । अत: ये दोनों तो राम-लक्ष्मण को चोट पहुँचाये बिना युद्ध करते रहे जबकि राम और लक्ष्मण ने इन कुमारों को शत्रु समझकर युद्ध किया था । लक्ष्मण ने तो चक्र भी चलाया था । अंत में सिद्धार्थ क्षुल्लक ने इन दोनों कुमारों का राम और लक्ष्मण को परिचय देते हुए जैसे ही उन्हें सीता का पुत्र बताया कि राम और लक्ष्मण ने अपने-अपने शस्त्र फेंक दिये और दोनों सहर्ष इन कुमारों से जा मिले थे । संसार से विरक्त होने पर राम ने इसी के पुत्र अनंगलवण को राज्य सौंपा था । महापुराण 100.16-47, 69, 101. 1-2, 67, 102.31-45, 169-170, 183, 103. 16, 29-30, 43-48, 119.1-2, 123.82 देखें मदनांकुश