वारुणीवर: Difference between revisions
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<p id="1">(1) मध्यलोक के आरंभिक सोलह द्वीपों में चौथा द्वीप । इसे इसी नाम का समुद्र घेरे हुए है <span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.614 </span> </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) मध्यलोक के आरंभिक सोलह द्वीपों में चौथा द्वीप । इसे इसी नाम का समुद्र घेरे हुए है <span class="GRef"> <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#614|हरिवंशपुराण - 5.614]] </span> </span></p> | ||
<p id="2">(2) इस नाम के द्वीप को घेरे हुए वलयाकार एक समुद्र । <span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.614 </span> </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) इस नाम के द्वीप को घेरे हुए वलयाकार एक समुद्र । <span class="GRef"> <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#614|हरिवंशपुराण - 5.614]] </span> </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
मध्यलोक का चतुर्थ द्वीप व सागर - देखें लोक - 5.1।
पुराणकोष से
(1) मध्यलोक के आरंभिक सोलह द्वीपों में चौथा द्वीप । इसे इसी नाम का समुद्र घेरे हुए है हरिवंशपुराण - 5.614
(2) इस नाम के द्वीप को घेरे हुए वलयाकार एक समुद्र । हरिवंशपुराण - 5.614