षट् काल: Difference between revisions
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देखें [[ काल#4 | काल - 4]]। | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/3/27/223/4</span><span class="SanskritText">तत्रावसर्पिणी षड्विधा—सुषमासुषमा सुषमा सुषमदुष्षमा दुष्षमसुषमा दुष्षमा अतिदुष्ष्मा चेति। उत्सर्पिण्यपि अतिदुष्षमाद्या सुषमसुषमांता षड्विधैव भवति।</span>=<span class="HindiText">अवसर्पिणी के छह भेद हैं—सुषमासुषमा, सुषमा, सुषमदुष्षमा, दुष्षमसुषमा, दुष्षमा और अतिदुष्षमा। इसी प्रकार उत्सर्पिणी भी अतिदुष्षमा से लेकर सुषमसुषमा तक छह प्रकार का है। (अर्थात् दुष्षमदुष्षम, दुष्षमा, दुष्षमसुषमा, सुषमदुष्षमा, सुषमा और अतिसुषमा) </span> | ||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ उत्सर्पिणी आदि काल निर्देश#4.3 | काल - 4.3]]। </p> | |||
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Latest revision as of 10:29, 1 March 2024
सर्वार्थसिद्धि/3/27/223/4तत्रावसर्पिणी षड्विधा—सुषमासुषमा सुषमा सुषमदुष्षमा दुष्षमसुषमा दुष्षमा अतिदुष्ष्मा चेति। उत्सर्पिण्यपि अतिदुष्षमाद्या सुषमसुषमांता षड्विधैव भवति।=अवसर्पिणी के छह भेद हैं—सुषमासुषमा, सुषमा, सुषमदुष्षमा, दुष्षमसुषमा, दुष्षमा और अतिदुष्षमा। इसी प्रकार उत्सर्पिणी भी अतिदुष्षमा से लेकर सुषमसुषमा तक छह प्रकार का है। (अर्थात् दुष्षमदुष्षम, दुष्षमा, दुष्षमसुषमा, सुषमदुष्षमा, सुषमा और अतिसुषमा)
अधिक जानकारी के लिये देखें काल - 4.3।