संशयमिथ्यात्व: Difference between revisions
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<p> अज्ञान-संशय आदि पाँच प्रकार के मिथ्यात्वों में एक मिथ्यात्व । मिथ्यात्व कर्म के उदय से तत्त्वों के स्वरूप में यह है या नहीं ऐसा संदेह होना या चित्त का दोलायमान बना रहना संशयमिथ्यात्व कहलाता है । <span class="GRef"> महापुराण 62.297, 299 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अज्ञान-संशय आदि पाँच प्रकार के मिथ्यात्वों में एक मिथ्यात्व । मिथ्यात्व कर्म के उदय से तत्त्वों के स्वरूप में यह है या नहीं ऐसा संदेह होना या चित्त का दोलायमान बना रहना संशयमिथ्यात्व कहलाता है । <span class="GRef"> महापुराण 62.297, 299 </span></p> | ||
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अज्ञान-संशय आदि पाँच प्रकार के मिथ्यात्वों में एक मिथ्यात्व । मिथ्यात्व कर्म के उदय से तत्त्वों के स्वरूप में यह है या नहीं ऐसा संदेह होना या चित्त का दोलायमान बना रहना संशयमिथ्यात्व कहलाता है । महापुराण 62.297, 299