संशयमिथ्यात्व
From जैनकोष
अज्ञान-संशय आदि पाँच प्रकार के मिथ्यात्वों में एक मिथ्यात्व । मिथ्यात्व कर्म के उदय से तत्त्वों के स्वरूप में यह है या नहीं ऐसा संदेह होना या चित्त का दोलायमान बना रहना संशयमिथ्यात्व कहलाता है । महापुराण 62.297, 299
अज्ञान-संशय आदि पाँच प्रकार के मिथ्यात्वों में एक मिथ्यात्व । मिथ्यात्व कर्म के उदय से तत्त्वों के स्वरूप में यह है या नहीं ऐसा संदेह होना या चित्त का दोलायमान बना रहना संशयमिथ्यात्व कहलाता है । महापुराण 62.297, 299