मदना: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) भरतक्षेत्र के आर्यखंड की एक नदी । दिग्विजय के समय भरतेश के सेनापति ने ससैन्य इसे पार किया था । मपु 30. 59 </p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) भरतक्षेत्र के आर्यखंड की एक नदी । दिग्विजय के समय भरतेश के सेनापति ने ससैन्य इसे पार किया था । मपु 30. 59 </p> | ||
<p id="2">(2) कौमुदी नगरी के राजा सुमुख की वेश्या । तापस अनुंधर की प्रशंसा सुनकर इसने उसकी परीक्षा ली थी तथा तप से उसे भ्रष्ट किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 39.180-212 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) कौमुदी नगरी के राजा सुमुख की वेश्या । तापस अनुंधर की प्रशंसा सुनकर इसने उसकी परीक्षा ली थी तथा तप से उसे भ्रष्ट किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_39#180|पद्मपुराण - 39.180-212]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
भरत क्षेत्र में आर्यखंड की एक नदी–देखें मनुष्य - 4।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र के आर्यखंड की एक नदी । दिग्विजय के समय भरतेश के सेनापति ने ससैन्य इसे पार किया था । मपु 30. 59
(2) कौमुदी नगरी के राजा सुमुख की वेश्या । तापस अनुंधर की प्रशंसा सुनकर इसने उसकी परीक्षा ली थी तथा तप से उसे भ्रष्ट किया था । पद्मपुराण - 39.180-212
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