मदनवेगा
From जैनकोष
(1) हस्तिनापुर के कुरुवंशी राजा विद्युद्वेग विद्याधर की पुत्री । चंडवेग और दधिमुख इसके भाई थे । एक निमित्तज्ञानी मुनि ने बताया था कि चंडवेग के कंधे पर जिसके गिरने से चंडवेग को विद्या सिद्ध होगी वह इसका पति होगा । एक समय मानसवेग विद्याधर वसुदेव को हरकर ले गया और उसे गंगा में डाल दिया । वह चंडवेग पर गिरा । चंडवेग पर यह घटना घटते ही दधिमुख ने इसका विवाह वसुदेव से कर दिया । इसने वसुदेव से अपने पिता को बंधन मुक्त कराने का वर माँगा था । वसुदेव ने भी इसकी इच्छा पूर्ण की थी । अनावृष्टि इसी का पुत्र था । हरिवंशपुराण - 24.80-86, 25.36-39, 25.71, 26.1
(2) वासव नट तथा प्रियरति नटी की पुत्री । इसने श्रीपाल के समक्ष पुरुष-वेश में और इसके पिता ने स्त्री-वेष में नृत्य किया था । श्रीपाल ने नट और नटी को पहचान लिया था । निमित्तज्ञ ने नट और नटी के इस गुप्त रहस्य के जानने वाले को सुरम्य देश में श्रीपुर नगर के राजा श्रीधर की पुत्री जयवती का पति होना बताया था । महापुराण 47.11-18
(3) विजयार्ध पर्वत के दक्षिण तट पर स्थित वस्त्वालय नगर के राजा सेंद्रकेतु और उसकी रानी सुप्रभा से उत्पन्न पुत्री । इसने आर्यिका प्रियमित्रा से दीक्षा ले ली थी तथा तपश्चरण करने लगी थी । महापुराण 63. 249-254