वरदत्त: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) तीर्थंकर नेमिनाथ के प्रथम गणधर । <span class="GRef"> महापुराण 71. 182, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.2, 60. 349, 65.15, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22.59 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) तीर्थंकर नेमिनाथ के प्रथम गणधर । <span class="GRef"> महापुराण 71. 182, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#2|हरिवंशपुराण - 58.2]], 60. 349, 65.15, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22.59 </span></p> | ||
<p id="2">(2) राजा विभीषण और रानी प्रियदत्ता का पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 10. 149 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) राजा विभीषण और रानी प्रियदत्ता का पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 10. 149 </span></p> | ||
<p id="3">(3) राजा भगीरथ का पुत्र । भगीरथ ने इसे ही राज्य सौंपकर कैलाश पर्वत पर योग धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 48.138-139 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) राजा भगीरथ का पुत्र । भगीरथ ने इसे ही राज्य सौंपकर कैलाश पर्वत पर योग धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 48.138-139 </span></p> | ||
<p id="4">(4) एक केवली । ये जयसेन चक्रवर्ती के दीक्षागुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 69.88-89 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) एक केवली । ये जयसेन चक्रवर्ती के दीक्षागुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 69.88-89 </span></p> | ||
<p id="5">(5) द्वारावती नगरी का राजा । इसने तीर्थंकर नेमि को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । <span class="GRef"> महापुराण 71. 175-176 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) द्वारावती नगरी का राजा । इसने तीर्थंकर नेमि को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । <span class="GRef"> महापुराण 71. 175-176 </span></p> | ||
<p id="6">(6) राजा सत्यंधर के नगर-श्रेष्ठी धनपाल का पुत्र । यह जीवंधर का मित्र था । <span class="GRef"> महापुराण 75.256-260 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) राजा सत्यंधर के नगर-श्रेष्ठी धनपाल का पुत्र । यह जीवंधर का मित्र था । <span class="GRef"> महापुराण 75.256-260 </span></p> | ||
<p id="7">(7) एक मुनि । हस्तिनापुर के राजा हरिषेण ने अपनी रानी विनयश्री के साथ इन्हें आहार कराया था, जिसके फलवरूप इसकी रानी मरकर हैमवत क्षेत्र में आर्या हुई थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 105-107 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) एक मुनि । हस्तिनापुर के राजा हरिषेण ने अपनी रानी विनयश्री के साथ इन्हें आहार कराया था, जिसके फलवरूप इसकी रानी मरकर हैमवत क्षेत्र में आर्या हुई थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#105|हरिवंशपुराण - 60.105-107]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) तीर्थंकर नेमिनाथ के प्रथम गणधर । महापुराण 71. 182, हरिवंशपुराण - 58.2, 60. 349, 65.15, पांडवपुराण 22.59
(2) राजा विभीषण और रानी प्रियदत्ता का पुत्र । महापुराण 10. 149
(3) राजा भगीरथ का पुत्र । भगीरथ ने इसे ही राज्य सौंपकर कैलाश पर्वत पर योग धारण किया था । महापुराण 48.138-139
(4) एक केवली । ये जयसेन चक्रवर्ती के दीक्षागुरु थे । महापुराण 69.88-89
(5) द्वारावती नगरी का राजा । इसने तीर्थंकर नेमि को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । महापुराण 71. 175-176
(6) राजा सत्यंधर के नगर-श्रेष्ठी धनपाल का पुत्र । यह जीवंधर का मित्र था । महापुराण 75.256-260
(7) एक मुनि । हस्तिनापुर के राजा हरिषेण ने अपनी रानी विनयश्री के साथ इन्हें आहार कराया था, जिसके फलवरूप इसकी रानी मरकर हैमवत क्षेत्र में आर्या हुई थी । हरिवंशपुराण - 60.105-107