सीतोदा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) चौदह महानदियों में आठवीं नदी । यह जंबूद्वीप में मेरु पर्वत से पश्चिम की ओर विदेहक्षेत्र में गंधिल देश की दक्षिण दिशा की ओर बहती है । क्षीरोदा और स्रोतोंतवाहिनी तथा उत्तरविदेहक्षेत्र की गंधमादिनी फेनमालिनी और ऊर्मिमालिनी ये नदियां इसी नदी में मिली है । मेरु दिशा में निषधाचल के पास इस नदी के दूसरे तर पर शाल्मलिवृक्ष है । <span class="GRef"> महापुराण 4.51-52, 63. 195 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.123, 241-242 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) चौदह महानदियों में आठवीं नदी । यह जंबूद्वीप में मेरु पर्वत से पश्चिम की ओर विदेहक्षेत्र में गंधिल देश की दक्षिण दिशा की ओर बहती है । क्षीरोदा और स्रोतोंतवाहिनी तथा उत्तरविदेहक्षेत्र की गंधमादिनी फेनमालिनी और ऊर्मिमालिनी ये नदियां इसी नदी में मिली है । मेरु दिशा में निषधाचल के पास इस नदी के दूसरे तर पर शाल्मलिवृक्ष है । <span class="GRef"> महापुराण 4.51-52, 63. 195 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#123|हरिवंशपुराण - 5.123]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#241|हरिवंशपुराण - 5.241]]-242 </span></p> | ||
<p id="2">(2) निषधाचल का सातवां कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.89 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) निषधाचल का सातवां कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#89|हरिवंशपुराण - 5.89]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) नील पर्वत का चौथा कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.100 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) नील पर्वत का चौथा कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#100|हरिवंशपुराण - 5.100]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) विद्युत्प्रभ पर्वत का आठवाँ कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.223 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) विद्युत्प्रभ पर्वत का आठवाँ कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#223|हरिवंशपुराण - 5.223]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- विदेह क्षेत्र की प्रसिद्ध नदी-देखें लोक - 3.11
- विदेह क्षेत्रस्थ एक कुंड जिसमें से सीतोदा नदी निकलती है-देखें लोक - 3.10।
- सीतोदा कूट व सीतोदा कुंड की स्वामिनी देवी-देखें लोक - 3.10;
- विद्युत्प्रभविजयार्ध का एक कूट-देखें लोक - 5.4;
- अपर विदेहस्थ एक विभंगा नदी-देखें लोक - 5.8।।
पुराणकोष से
(1) चौदह महानदियों में आठवीं नदी । यह जंबूद्वीप में मेरु पर्वत से पश्चिम की ओर विदेहक्षेत्र में गंधिल देश की दक्षिण दिशा की ओर बहती है । क्षीरोदा और स्रोतोंतवाहिनी तथा उत्तरविदेहक्षेत्र की गंधमादिनी फेनमालिनी और ऊर्मिमालिनी ये नदियां इसी नदी में मिली है । मेरु दिशा में निषधाचल के पास इस नदी के दूसरे तर पर शाल्मलिवृक्ष है । महापुराण 4.51-52, 63. 195 हरिवंशपुराण - 5.123,हरिवंशपुराण - 5.241-242
(2) निषधाचल का सातवां कूट । हरिवंशपुराण - 5.89
(3) नील पर्वत का चौथा कूट । हरिवंशपुराण - 5.100
(4) विद्युत्प्रभ पर्वत का आठवाँ कूट । हरिवंशपुराण - 5.223