गर्भ: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> तत्त्वार्थसूत्र/2/33 </span>जरायुजांडजपोतानां गर्भ:।33।=जरायुज अंडज व | <span class="GRef"> तत्त्वार्थसूत्र/2/33 </span><p class="SanskritText">जरायुजांडजपोतानां गर्भ:।33। </p> | ||
<p class="HindiText">=जरायुज, अंडज व पोत जीवों का गर्भजन्म होता है। </p> | |||
<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/2/31/187/4 </span><p class="SanskritText">स्त्रिया उदरे शुक्रशोणितयोर्गरणं मिश्रणं गर्भ:। मात्रुपभुक्ताहारगरणाद्वा गर्भ:। </p> | |||
<p class="HindiText">=स्त्री के उदर में शुक्र और शोणित के परस्पर गरण अर्थात् मिश्रण को गर्भ कहते हैं। अथवा माता के द्वारा उपभुक्त आहार के गरण होने को गर्भ कहते हैं। </p> | |||
<span class="GRef">( राजवार्तिक/2/31/2-3/140/25 )</span>,<br> | |||
<span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/83/205/1 </span><p class="SanskritText">जायमानजीवेन शुक्रशोणितरूपपिंडस्य गरणं–शरीरतया उपादानं गर्भ:। </p> | |||
<p class="HindiText">=माता का रुधिर और पिता का वीर्यरूप पुद्गल का शरीररूप ग्रहणकरि जीव का उपजना सो गर्भ जन्म है।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 16: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: ग]] | [[Category: ग]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 22:20, 17 November 2023
तत्त्वार्थसूत्र/2/33
जरायुजांडजपोतानां गर्भ:।33।
=जरायुज, अंडज व पोत जीवों का गर्भजन्म होता है।
सर्वार्थसिद्धि/2/31/187/4
स्त्रिया उदरे शुक्रशोणितयोर्गरणं मिश्रणं गर्भ:। मात्रुपभुक्ताहारगरणाद्वा गर्भ:।
=स्त्री के उदर में शुक्र और शोणित के परस्पर गरण अर्थात् मिश्रण को गर्भ कहते हैं। अथवा माता के द्वारा उपभुक्त आहार के गरण होने को गर्भ कहते हैं।
( राजवार्तिक/2/31/2-3/140/25 ),
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/83/205/1
जायमानजीवेन शुक्रशोणितरूपपिंडस्य गरणं–शरीरतया उपादानं गर्भ:।
=माता का रुधिर और पिता का वीर्यरूप पुद्गल का शरीररूप ग्रहणकरि जीव का उपजना सो गर्भ जन्म है।