कुधर्म: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 16: | Line 16: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<span class="HindiText"> मिथ्यादृष्टियों द्वारा सेव्य धर्म । इससे जीवों को नीची योनियों में जन्म लेना पड़ता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.202-203 </span> | <span class="HindiText"> मिथ्यादृष्टियों द्वारा सेव्य धर्म । इससे जीवों को नीची योनियों में जन्म लेना पड़ता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#202|पद्मपुराण - 5.202-203]] </span> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 26: | Line 26: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: क]] | [[Category: क]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 22:20, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
- कुधर्म की विनय का निषेध–देखें विनय - 4।
- कुधर्म के निषेध का कारण–देखें अमूढदृष्टि - 3।
पुराणकोष से
मिथ्यादृष्टियों द्वारा सेव्य धर्म । इससे जीवों को नीची योनियों में जन्म लेना पड़ता है । पद्मपुराण - 5.202-203