केकसी: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> कौतुकमंगल नगर के निवासी विद्याधर व्योम-बिंदु और उसकी भार्या नंदवती की छोटी पुत्री और कौशिकी की अनुजा । इंद्र से पराजित होने के पश्चात् अपनी विभूति को पुन: पाने के लिए सुमाली के पुत्र रत्नश्रदा ने अध्ययन में मानस्तंभिनी विद्या की सिद्धि की । साधनाकाल | <span class="HindiText"> कौतुकमंगल नगर के निवासी विद्याधर व्योम-बिंदु और उसकी भार्या नंदवती की छोटी पुत्री और कौशिकी की अनुजा । इंद्र से पराजित होने के पश्चात् अपनी विभूति को पुन: पाने के लिए सुमाली के पुत्र रत्नश्रदा ने अध्ययन में मानस्तंभिनी विद्या की सिद्धि की । साधनाकाल में रत्नश्रवा की परिचर्या के लिए व्योमबिंदु ने इसे नियुक्त किया । विद्या के सिद्ध होते ही व्योमबिंदु ने इसका विवाह रत्नश्रवा के साथ कर दिया । इसके तीन पुत्र हुए और एक पुत्री । पुत्रों के नाम थे-दशानन, भानुकर्ण, और विभीषण और पुत्री का नाम था चंद्रनखा । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#126|पद्मपुराण - 7.126-147]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#165|पद्मपुराण - 7.165]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#222|पद्मपुराण - 7.222-225]], 106.171 </span> | ||
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Latest revision as of 22:20, 17 November 2023
कौतुकमंगल नगर के निवासी विद्याधर व्योम-बिंदु और उसकी भार्या नंदवती की छोटी पुत्री और कौशिकी की अनुजा । इंद्र से पराजित होने के पश्चात् अपनी विभूति को पुन: पाने के लिए सुमाली के पुत्र रत्नश्रदा ने अध्ययन में मानस्तंभिनी विद्या की सिद्धि की । साधनाकाल में रत्नश्रवा की परिचर्या के लिए व्योमबिंदु ने इसे नियुक्त किया । विद्या के सिद्ध होते ही व्योमबिंदु ने इसका विवाह रत्नश्रवा के साथ कर दिया । इसके तीन पुत्र हुए और एक पुत्री । पुत्रों के नाम थे-दशानन, भानुकर्ण, और विभीषण और पुत्री का नाम था चंद्रनखा । पद्मपुराण - 7.126-147,पद्मपुराण - 7.165,पद्मपुराण - 7.222-225, 106.171