प्रजापाल: Difference between revisions
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सुकच्छ देश के श्रीपुर नगर का राजा था । जिन दीक्षाधारण कर ली थी । आयु के अंत में समाधि सहित मरणकर अच्युत स्वर्ग में उत्पन्न हुआ । (म.प्र./66/67-75) यह पद्म चक्रवर्ती का पूर्व तीसरा भव है - देखें [[ पद्म ]]। | <div class="HindiText"> सुकच्छ देश के श्रीपुर नगर का राजा था । जिन दीक्षाधारण कर ली थी । आयु के अंत में समाधि सहित मरणकर अच्युत स्वर्ग में उत्पन्न हुआ । (म.प्र./66/67-75) यह पद्म चक्रवर्ती का पूर्व तीसरा भव है - देखें [[ पद्म ]]। | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) पांचवां बलभद्र । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.234 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) पांचवां बलभद्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#234|पद्मपुराण - 20.234]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी का राजा । इसकी गुणवती और यशस्वती नाम की दो पुत्रियाँ तथा लोकपाल नाम का पुत्र था । इसने पुत्र को राज्य सौंपकर शिवंकर वन में शीलगुप्त मुनि से संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 45. 48-49, 46.19-20 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 3. 201 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी का राजा । इसकी गुणवती और यशस्वती नाम की दो पुत्रियाँ तथा लोकपाल नाम का पुत्र था । इसने पुत्र को राज्य सौंपकर शिवंकर वन में शीलगुप्त मुनि से संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 45. 48-49, 46.19-20 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 3. 201 </span></p> | ||
<p id="3">(3) जंबूद्वीप के मेरु पर्वत से पूर्व की ओर स्थित सुकच्छ देश के श्रीपुर नगर का राजा । यह तीर्थंकर मल्लिनाथ के तीर्थ में हुए पद्म चक्रवर्ती के तीसरे पूर्वभव का जीव था । उल्कापात देखकर इसे प्रबोध हो गया था । फलस्वरूप इसने पुत्र को राज्य सौंपकर शिवगुप्त जिनेश्वर के पास संयम धारण कर लिया था । समाधिमरण से यह अमृत स्वर्ग में इंद्र हुआ तथा यहाँ से च्युत होकर वाराणसी नगरी में इक्ष्वाकुवंशी राजा पद्मनाभ का पद्म नामक पुत्र हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 66.67-77 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) जंबूद्वीप के मेरु पर्वत से पूर्व की ओर स्थित सुकच्छ देश के श्रीपुर नगर का राजा । यह तीर्थंकर मल्लिनाथ के तीर्थ में हुए पद्म चक्रवर्ती के तीसरे पूर्वभव का जीव था । उल्कापात देखकर इसे प्रबोध हो गया था । फलस्वरूप इसने पुत्र को राज्य सौंपकर शिवगुप्त जिनेश्वर के पास संयम धारण कर लिया था । समाधिमरण से यह अमृत स्वर्ग में इंद्र हुआ तथा यहाँ से च्युत होकर वाराणसी नगरी में इक्ष्वाकुवंशी राजा पद्मनाभ का पद्म नामक पुत्र हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 66.67-77 </span></p> | ||
<p id="4">(4) विदेह क्षेत्र में पुष्कलावती देश के शोभानगर का राजा । <span class="GRef"> महापुराण 46.95 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) विदेह क्षेत्र में पुष्कलावती देश के शोभानगर का राजा । <span class="GRef"> महापुराण 46.95 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पुराणकोष से
(1) पांचवां बलभद्र । पद्मपुराण - 20.234
(2) पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी का राजा । इसकी गुणवती और यशस्वती नाम की दो पुत्रियाँ तथा लोकपाल नाम का पुत्र था । इसने पुत्र को राज्य सौंपकर शिवंकर वन में शीलगुप्त मुनि से संयम धारण कर लिया था । महापुराण 45. 48-49, 46.19-20 पांडवपुराण 3. 201
(3) जंबूद्वीप के मेरु पर्वत से पूर्व की ओर स्थित सुकच्छ देश के श्रीपुर नगर का राजा । यह तीर्थंकर मल्लिनाथ के तीर्थ में हुए पद्म चक्रवर्ती के तीसरे पूर्वभव का जीव था । उल्कापात देखकर इसे प्रबोध हो गया था । फलस्वरूप इसने पुत्र को राज्य सौंपकर शिवगुप्त जिनेश्वर के पास संयम धारण कर लिया था । समाधिमरण से यह अमृत स्वर्ग में इंद्र हुआ तथा यहाँ से च्युत होकर वाराणसी नगरी में इक्ष्वाकुवंशी राजा पद्मनाभ का पद्म नामक पुत्र हुआ । महापुराण 66.67-77
(4) विदेह क्षेत्र में पुष्कलावती देश के शोभानगर का राजा । महापुराण 46.95