बाबा मैं न काहूका: Difference between revisions
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Latest revision as of 02:43, 16 February 2008
बाबा! मैं न काहूका, कोई नहीं मेरा रे ।।बाबा. ।।टेक ।।
सुर नर नारक तिरयक गति मैं, मोकों करमन घेरा रे ।।१ ।।बाबा. ।।
मात पिता सुत तिय कुल परिजन, मोह गहल उरझेरा रे ।
तन धन बसन भवन जड़ न्यारे, हूँ चिन्मूरत न्यारा रे ।।२ ।।बाबा. ।।
मुझ विभाव जड़ कर्म रचत हैं, करमन हमको फेरा रे ।
विभाव चक्र तजि धारि सुभावा अब आनन्दघन हेरा रे ।।३ ।।बाबा. ।।
खरच खेद नहीं अनुभव करते, निरखि चिदानन्द तेरा रे ।
जप तप व्रत श्रुत सार यही है, बुधजन कर न अबेरा रे ।।४ ।।बाबा. ।।