दोष: Difference between revisions
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<li> संसारियों के अठारह दोष–देखें [[ अर्हंत#3 | अर्हंत - 3]]। </li> | |||
<li> आप्त में से सर्वदोषों का अभाव संभव है।–देखें [[ मोक्ष#6.4 | मोक्ष - 6.4]]। </li> | |||
<li> आहार संबंधी 46 दोष–देखें [[ आहार#II.4 | आहार - II.4]]। </li> | |||
<li> न्याय संबंधी दोष–देखें [[ न्याय#1 | न्याय - 1]]। </li> | |||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
- सम्यक्त्व के 25 दोष निर्देश–देखें सम्यग्दर्शन - I.2।
- संसारियों के अठारह दोष–देखें अर्हंत - 3।
- आप्त में से सर्वदोषों का अभाव संभव है।–देखें मोक्ष - 6.4।
- आहार संबंधी 46 दोष–देखें आहार - II.4।
- न्याय संबंधी दोष–देखें न्याय - 1।
- जीव के दोष रागादि हैं
समाधिशतक/ टी./5/225/3 दोषाश्च रागादय:। =रागादि दोष कहलाते हैं। ( पंचाध्यायी / उत्तरार्ध/603 )
द्रव्यसंग्रह टीका/14/46/11 निर्दोषपरमात्मनो भिन्ना रागादयो दोषा:। निर्दोष परमात्मा से भिन्न रागादि दोष कहलाते हैं।