सीमंकर: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) पांचवे कुलकर । ये चौथे क्षेमंधर कुलकर के पुत्र थे । इनके समय में कल्पवृक्षों की संख्या कम हो गयी थी । इसलिए इन्होंने प्रजा के लिए कल्पवृक्षों की सीमा निर्धारित की थी जिससे ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । इनकी आयु पल्य का लाखवाँ भाग थी । इनके पुत्र सीमंधर थे । <span class="GRef"> महापुराण 6.107-111, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3.78, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.153-155, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.105 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) पांचवे कुलकर । ये चौथे क्षेमंधर कुलकर के पुत्र थे । इनके समय में कल्पवृक्षों की संख्या कम हो गयी थी । इसलिए इन्होंने प्रजा के लिए कल्पवृक्षों की सीमा निर्धारित की थी जिससे ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । इनकी आयु पल्य का लाखवाँ भाग थी । इनके पुत्र सीमंधर थे । <span class="GRef"> महापुराण 6.107-111, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#78|पद्मपुराण - 3.78]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#153|हरिवंशपुराण - 7.153-155]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.105 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक मुनि । ये जंबूद्वीप के ऐरावतक्षेत्र में स्थित विंध्यपुर नगर के राजा विंध्यसेन के पुत्र नलिनकेतु के दीक्षागुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 63. 99-100, 107-108 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) एक मुनि । ये जंबूद्वीप के ऐरावतक्षेत्र में स्थित विंध्यपुर नगर के राजा विंध्यसेन के पुत्र नलिनकेतु के दीक्षागुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 63. 99-100, 107-108 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
देखें भूतकालीन पंचम कुलकर
देखें शलाका पुरुष - 9।
पुराणकोष से
(1) पांचवे कुलकर । ये चौथे क्षेमंधर कुलकर के पुत्र थे । इनके समय में कल्पवृक्षों की संख्या कम हो गयी थी । इसलिए इन्होंने प्रजा के लिए कल्पवृक्षों की सीमा निर्धारित की थी जिससे ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । इनकी आयु पल्य का लाखवाँ भाग थी । इनके पुत्र सीमंधर थे । महापुराण 6.107-111, पद्मपुराण - 3.78, हरिवंशपुराण - 7.153-155, पांडवपुराण 2.105
(2) एक मुनि । ये जंबूद्वीप के ऐरावतक्षेत्र में स्थित विंध्यपुर नगर के राजा विंध्यसेन के पुत्र नलिनकेतु के दीक्षागुरु थे । महापुराण 63. 99-100, 107-108