अयोग: Difference between revisions
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यह मन-वचन-काय के परिस्पंदनरूप योग का विरोधी भाव है। अतः इसे अयोग कहा जाता है। | <p class="HindiText"> यह मन-वचन-काय के परिस्पंदनरूप योग का विरोधी भाव है। अतः इसे अयोग कहा जाता है। | ||
अधिक जानकारी के लिए देखें [[ योग#2.3 | योग -2.3]]</p> | |||
Revision as of 16:25, 28 October 2022
यह मन-वचन-काय के परिस्पंदनरूप योग का विरोधी भाव है। अतः इसे अयोग कहा जाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें योग -2.3