नरवाहन: Difference between revisions
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<p class="HindiText">मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह शक जाति का एक सरदार था, जो राजा विक्रमादित्य के काल में मगधदेश के किसी भाग पर अपना अधिकार जमाये बैठा था। इसका दूसरा नाम नभ:सेन था। इतिहास में इसका नाम नहपान प्रसिद्ध है। श्वेताम्बर मान्यता के अनुसार मालवादेश की राज्य वंशावली में भी नभ:सेन की बजाय नरवाहन ही नाम दिया है। भृत्यवंश के गोतमीपुत्र सातकर्णी (शालिवाहन) ने वी.नि.६०५ में इसे परास्त करके इसका देश भी मगध राज्य में मिला लिया (क.पा.१/प्र.५३/पं.महेन्द्र) और इसी के उपलक्ष्य में उसने शक संवत् प्रचलित किया था। समय–वी.नि.५६६-६०६ (ई.पू.३९-७९) नोट–शालिवाहन द्वारा वी.नि.६०५ में इसके परास्त होने की संगति बैठाने के लिए– देखें - [[ इतिहास#3.3 | इतिहास / ३ / ३ ]]।</p> | |||
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Revision as of 17:16, 25 December 2013
मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह शक जाति का एक सरदार था, जो राजा विक्रमादित्य के काल में मगधदेश के किसी भाग पर अपना अधिकार जमाये बैठा था। इसका दूसरा नाम नभ:सेन था। इतिहास में इसका नाम नहपान प्रसिद्ध है। श्वेताम्बर मान्यता के अनुसार मालवादेश की राज्य वंशावली में भी नभ:सेन की बजाय नरवाहन ही नाम दिया है। भृत्यवंश के गोतमीपुत्र सातकर्णी (शालिवाहन) ने वी.नि.६०५ में इसे परास्त करके इसका देश भी मगध राज्य में मिला लिया (क.पा.१/प्र.५३/पं.महेन्द्र) और इसी के उपलक्ष्य में उसने शक संवत् प्रचलित किया था। समय–वी.नि.५६६-६०६ (ई.पू.३९-७९) नोट–शालिवाहन द्वारा वी.नि.६०५ में इसके परास्त होने की संगति बैठाने के लिए– देखें - इतिहास / ३ / ३ ।