नरवृषभ
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
(महापुराण/61/66-68) वीतशोकापुरी नगरी का राजा था। दीक्षा पूर्वक मरणकर सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ। यह ‘सुदर्शन’ नामक बलभद्र के पूर्व का दूसरा भव है –देखें सुदर्शन ।
पुराणकोष से
जंबूद्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व की ओर स्थित वीतशोकापुरी का राजा । राजभोगों को भोगकर और उनसे विरक्त होकर इसने दमवर मुनि से दीक्षा ले ली थी । उग्र तपश्चरण करते हुए मरकर यह सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ था । महापुराण 61.66-68