स्तव: Difference between revisions
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<span class="GRef"> गोम्मटसार कर्मकांड/73/88 </span><span class="PrakritText">सयलंग ... सवित्थरं ससंखेवं वण्णणसत्थं थय ... होइ नियमेण ।88।</span> = <span class="HindiText">सकल अंग संबंधी अर्थ को विस्तार से वा संक्षेप से विषय करने वाले शास्त्र को '''स्तव''' कहते हैं । </span><br /> | |||
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गोम्मटसार कर्मकांड/73/88 सयलंग ... सवित्थरं ससंखेवं वण्णणसत्थं थय ... होइ नियमेण ।88। = सकल अंग संबंधी अर्थ को विस्तार से वा संक्षेप से विषय करने वाले शास्त्र को स्तव कहते हैं ।
अधिक जानकारी के लिये देखें भक्ति - 3.1.3।