निमित्त: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> निमित्त दोष - निमित्त ज्ञान के आठ भेद हैं - मसा, तिल आदि व्यंजन, मस्तक आदि अंग, शब्द रूप स्वर, वस्त्रादिक का छेद वा तलवारादि का प्रहार, भूमिविभाग, सूर्यादि ग्रहों का उदय अस्त होना, पद्म चक्रादि लक्षण और स्वप्न। इन अष्टांग निमित्तों से शुभाशुभ कहकर भोजन-लेने से साधु '''निमित्त दोष''' युक्त होता है। <br> | |||
<div class="HindiText">यह आहार के 46 दोषों में से एक दोष है। अन्य संबंधित विषय के लिए देखें [[ आहार#4.1.1 | आहार - 4.1.1]]। | <div class="HindiText">यह आहार के 46 दोषों में से एक दोष है। अन्य संबंधित विषय के लिए देखें [[ आहार#4.1.1 | आहार - 4.1.1]]। | ||
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Revision as of 14:51, 22 December 2022
सिद्धांतकोष से
निमित्त दोष - निमित्त ज्ञान के आठ भेद हैं - मसा, तिल आदि व्यंजन, मस्तक आदि अंग, शब्द रूप स्वर, वस्त्रादिक का छेद वा तलवारादि का प्रहार, भूमिविभाग, सूर्यादि ग्रहों का उदय अस्त होना, पद्म चक्रादि लक्षण और स्वप्न। इन अष्टांग निमित्तों से शुभाशुभ कहकर भोजन-लेने से साधु निमित्त दोष युक्त होता है।
यह आहार के 46 दोषों में से एक दोष है। अन्य संबंधित विषय के लिए देखें आहार - 4.1.1।
पुराणकोष से
अंतरिक्ष, भौम, अंग, स्वर, व्यंजन, लक्षण, छिन्न और स्वप्न ये आठ निमित्त होते हैं । इनके द्वारा भावी शुभाशुभ जाना जाता है । महापुराण 62.180-181, हरिवंशपुराण 10.117