अचल: Difference between revisions
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<p id="5">(5) अवसर्पिणी काल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न दूसरा बलभद्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.290, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 111 </span>देखें [[ अचलस्तोक ]]</p> | <p id="5">(5) अवसर्पिणी काल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न दूसरा बलभद्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.290, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 111 </span>देखें [[ अचलस्तोक ]]</p> | ||
<p id="6">(6) वसुदेव के भाई अचल का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.49 </span></p> | <p id="6">(6) वसुदेव के भाई अचल का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.49 </span></p> | ||
<p id="7">(7) वाराणसी नगरी का एक राजा, गिरिदेवी का पति । <span class="GRef"> पद्मपुराण 41.107 </span></p> | <p id="7">(7) वाराणसी नगरी का एक राजा, गिरिदेवी का पति । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_41#107|पद्मपुराण - 41.107]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) राम की वानरसेना का एक योद्धा । <span class="GRef"> पद्मपुराण 74. 65-66 </span></p> | <p id="8">(8) राम की वानरसेना का एक योद्धा । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_74#65|पद्मपुराण - 74.65-66]] </span></p> | ||
<p id="9">(9) जंबूद्वीप के पश्चिम विदेह में का एक चक्रवर्ती । इसकी रानी का नाम रत्ना और पुत्र का नाम अभिराम था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 85. 102-103 </span></p> | <p id="9">(9) जंबूद्वीप के पश्चिम विदेह में का एक चक्रवर्ती । इसकी रानी का नाम रत्ना और पुत्र का नाम अभिराम था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_85#102|पद्मपुराण - 85.102-103]] </span></p> | ||
<p id="10">(10) अंतिम संख्यावाची नाम । <span class="GRef"> महापुराण 3.222-227 </span></p> | <p id="10">(10) अंतिम संख्यावाची नाम । <span class="GRef"> महापुराण 3.222-227 </span></p> | ||
<p id="11">(11) सिद्ध का एक गुण । इसकी प्राप्ति के लिए ‘‘अचलाय नमः’’ इस पीठिका-मंत्र का जप किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 40.13 </span></p> | <p id="11">(11) सिद्ध का एक गुण । इसकी प्राप्ति के लिए ‘‘अचलाय नमः’’ इस पीठिका-मंत्र का जप किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 40.13 </span></p> | ||
<p id="12">(12) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.128 </span></p> | <p id="12">(12) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.128 </span></p> | ||
<p id="13">(13) मथुरा के राजा चंद्रप्रभ और उसकी दूसरी रानी कनकप्रभा का पुत्र । इसने शस्त्रविद्या में विशिखाचार्य को पराजित कर कौशांबी के राजा कोशीवत्स की पुत्री इंद्रदत्ता के साथ विवाह किया था । अंत में इसे मथुरा का राज्य प्राप्त हो गया था । इसने कुछ समय राज्य करने के पश्चात् यश: समुद्र आचार्य से निर्ग्रंथ दीक्षा धारण कर ली थी तथा समाधिमरण करके स्वर्ग प्राप्त किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 91.19-42 </span></p> | <p id="13">(13) मथुरा के राजा चंद्रप्रभ और उसकी दूसरी रानी कनकप्रभा का पुत्र । इसने शस्त्रविद्या में विशिखाचार्य को पराजित कर कौशांबी के राजा कोशीवत्स की पुत्री इंद्रदत्ता के साथ विवाह किया था । अंत में इसे मथुरा का राज्य प्राप्त हो गया था । इसने कुछ समय राज्य करने के पश्चात् यश: समुद्र आचार्य से निर्ग्रंथ दीक्षा धारण कर ली थी तथा समाधिमरण करके स्वर्ग प्राप्त किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_91#19|पद्मपुराण - 91.19-42]] </span></p> | ||
<p id="14">(14) छठा रुद्र । यह वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ था । </p> | <p id="14">(14) छठा रुद्र । यह वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ था । </p> | ||
<p>इसकी ऊंचाई सत्तर धनुष और आयु साठ लाख वर्ष थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.535-536, 540 </span></p> | <p>इसकी ऊंचाई सत्तर धनुष और आयु साठ लाख वर्ष थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.535-536, 540 </span></p> |
Revision as of 22:14, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
2. द्वितीय बलदेव। अपरनाम अचलस्तोक (देखें अचलस्तोक )।
3. एकादश रुद्रों में छठा रुद्र। अपरनाम बल (देखें शलाका पुरुष - 7)।
4. भरत क्षेत्र का एक ग्राम (देखें मनुष्य - 4)।
5. पश्चिम धातकी खंड का मेरु (देखें लोक - 4.2)।
पुराणकोष से
(1) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में बाईसवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.55-70
(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित मगध देश का एक ग्राम । वसुदेव ने यहाँ वनमाला को प्राप्त किया था । महापुराण 62.325, हरिवंशपुराण 24.25 पांडवपुराण 4. 194
(3) अंधकवृष्णि और सुभद्रा का छठा पुत्र यह समुद्रविजय, अक्षोभ्य, स्तिमितसागर, हिमवान् और विजय का छोटा भाई तथा धारण, पूरण, अभिचंद्र और वसुदेव का बड़ा भाई था । महापुराण 70.94-96, हरिवंशपुराण 18.12-14
(4) भगवान् महावीर के नवम गणधर । हरिवंशपुराण 3.43
(5) अवसर्पिणी काल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न दूसरा बलभद्र । हरिवंशपुराण 60.290, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 111 देखें अचलस्तोक
(6) वसुदेव के भाई अचल का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.49
(7) वाराणसी नगरी का एक राजा, गिरिदेवी का पति । पद्मपुराण - 41.107
(8) राम की वानरसेना का एक योद्धा । पद्मपुराण - 74.65-66
(9) जंबूद्वीप के पश्चिम विदेह में का एक चक्रवर्ती । इसकी रानी का नाम रत्ना और पुत्र का नाम अभिराम था । पद्मपुराण - 85.102-103
(10) अंतिम संख्यावाची नाम । महापुराण 3.222-227
(11) सिद्ध का एक गुण । इसकी प्राप्ति के लिए ‘‘अचलाय नमः’’ इस पीठिका-मंत्र का जप किया जाता है । महापुराण 40.13
(12) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.128
(13) मथुरा के राजा चंद्रप्रभ और उसकी दूसरी रानी कनकप्रभा का पुत्र । इसने शस्त्रविद्या में विशिखाचार्य को पराजित कर कौशांबी के राजा कोशीवत्स की पुत्री इंद्रदत्ता के साथ विवाह किया था । अंत में इसे मथुरा का राज्य प्राप्त हो गया था । इसने कुछ समय राज्य करने के पश्चात् यश: समुद्र आचार्य से निर्ग्रंथ दीक्षा धारण कर ली थी तथा समाधिमरण करके स्वर्ग प्राप्त किया था । पद्मपुराण - 91.19-42
(14) छठा रुद्र । यह वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ था ।
इसकी ऊंचाई सत्तर धनुष और आयु साठ लाख वर्ष थी । हरिवंशपुराण 60.535-536, 540