अचलस्तोक
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
( महापुराण सर्ग संख्या 58/श्लोक)
पूर्व भव नं. 3 में भरतक्षेत्र महापुर नगरका राजा वायुरथ। 80।, पूर्व भव नं. 2 में प्राणतेंद्र। 82। वर्तमान भव - यह द्वितीय बलदेव हैं। अपर नाम अचल - देखें शलाका पुरुष - 3।
पुराणकोष से
तीर्थंकर वासुपूज्य के काल में उत्पन्न दूसरे बलभद्र । भरतक्षेत्र की द्वारावती नगरी के राजा ब्रह्मा और रानी सुभद्रा के ये पुत्र थे । प्रतिनारायण तारक के मरने के पश्चात् इन्हें चार रत्न प्राप्त हुए थे । इनके भाई का नाम द्विपृष्ठ था । तारक प्रतिनारायण को द्विपृष्ठ ने ही चक्र से मारा था । द्विपृष्ठ के मरने पर उसके वियोग से संतप्त होकर इन्होंने वासुपूज्य तीर्थंकर से संयम धारण कर लिया और तप करके मोक्ष पाया । महापुराण 58.83-119 दूसरे पूर्वभव में ये महापुर नगर के वायुरथ नामक राजा थे । इसके पश्चात् प्राणत स्वर्ग के अनुत्तर विमान में ये देव हुए थे और वहां से च्युत होकर बलभद्र हुए थे । महापुराण 58.123