बादर: Difference between revisions
From जैनकोष
Line 3: | Line 3: | ||
<span class="SanskritText"><span class="GRef"> प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/268/230/14 </span>तद्ग्रहणयोग्यैर्बादरै:।</span> | <span class="SanskritText"><span class="GRef"> प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/268/230/14 </span>तद्ग्रहणयोग्यैर्बादरै:।</span> | ||
<span class="HindiText"> जो इंद्रियों के ग्रहण के योग्य होते हैं वे बादर होते हैं।<br> | <span class="HindiText"> जो इंद्रियों के ग्रहण के योग्य होते हैं वे बादर होते हैं।</span> | ||
<br><br> | |||
अन्य लक्षण एवं बादर से संबंधित विषय जानने के लिए देखें -[[ सूक्ष्म#2.1 | सूक्ष्म - 2 ]] <br> | <span class="HindiText">अन्य लक्षण एवं बादर से संबंधित विषय जानने के लिए देखें -[[ सूक्ष्म#2.1 | सूक्ष्म - 2 ]] <br> | ||
सहनानी जानने के लिए देखें - [[ गणित#I.2.5 | गणित - I.2.5 ]]।</span> | सहनानी जानने के लिए देखें - [[ गणित#I.2.5 | गणित - I.2.5 ]]।</span> | ||
Revision as of 14:26, 5 January 2023
सिद्धांतकोष से
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/268/230/14 तद्ग्रहणयोग्यैर्बादरै:।
जो इंद्रियों के ग्रहण के योग्य होते हैं वे बादर होते हैं।
अन्य लक्षण एवं बादर से संबंधित विषय जानने के लिए देखें - सूक्ष्म - 2
सहनानी जानने के लिए देखें - गणित - I.2.5 ।
पुराणकोष से
वे जीव जिनके शरीर का घात हो सकता है । महापुराण 17.24, पद्मपुराण 105.145